• सूखे के कारण जिम्बाब्वे में आपातकाल घोषित

    हरारे। जिम्बाब्वे के राष्ट्रपति राबर्ट मुगावे ने शुक्रवार को सूखे के मद्देनजर देश में अपाताकाल घोषित कर दिया। वहां साल 2015-16 के कृषि मौसम में अल नीनो प्रभाव के कारण सूखा पड़ा है, जिससे फसलें सूख गई हैं और धरती में दरारें आ गई हैं। अब तक देश भर में लगभग 16,000 पशु चारे की कमी के कारण काल के गाल में समा गए।...

    हरारे। जिम्बाब्वे के राष्ट्रपति राबर्ट मुगावे ने शुक्रवार को सूखे के मद्देनजर देश में अपाताकाल घोषित कर दिया। वहां साल 2015-16 के कृषि मौसम में अल नीनो प्रभाव के कारण सूखा पड़ा है, जिससे फसलें सूख गई हैं और धरती में दरारें आ गई हैं। अब तक देश भर में लगभग 16,000 पशु चारे की कमी के कारण काल के गाल में समा गए।


    स्थानीय सरकार, लोक निर्माण व राष्ट्रीय आवास मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा कि यह घोषणा प्रभावित क्षेत्रों में राहत सामग्री मुहैया कराने की तत्काल प्राथमिकता सुनिश्चित करने के लिए की गई है। जिम्बाब्वे में आमतौर पर नवंबर अंत से मार्च तक बारिश होती है। लेकिन इस साल जनवरी से ही सूखा पड़ा है और फसलें सूख गई हैं। कई इलाकों में जहां फसले सूख गईं तो वहीं देर से रोपाई होने वाली फसलों को मौसम को देखते हुए इस साल किसानों ने बोया ही नहीं।  वहां सूखे के कारण स्थिति इतनी बुरी हो गई है कि किसानों ने पशुओं को अपने खेत में बोई फसल को चरने के छोड़ दिया है। बयान में कहा गया है कि इस साल 95 फीसदी से अधिक किसानों की 75 फीसदी से भी कम उपज हुई है। इस दौरान चारे की कमी के कारण किसान बेहद कम कीमत पर पशुओं को बेच रहे हैं। यहां तक महज 50 डॉलर में वे अपने पशुधन की बिक्री कर रहे हैं जो सामान्य कीमत से तीन गुना सस्ता है। जिम्बाब्वे की अर्थव्यवस्था कृषि पर आश्रित है। जिम्बाब्वे को निर्यात से होने वाली कमाई में कृषि से होनेवाली आय 30 फीसदी है। वहीं, देश के सकल घरेलू उत्पाद में कृषि का योगदान 10 फीसदी है। अभी भी वहां की 70 फीसदी आबादी कृषि व उससे जुड़े कारोबार पर आश्रित है। वहां हर साल 14 लाख टन मक्के की खपत होती है। सरकार ने जनवरी में 5 से 7 लाख टन मक्के के आयात पर 26 करोड़ डॉलर खर्च किए, ताकि लोगों को भूख से बचाया जा सके और खाद्यान्न का स्टॉक बढ़ाया जा सके। वहां की सरकार ने पिछले साल कृषि मौसम को देखते हुए विकास में सहभागी और अन्य हितधारकों से कम से कम 30 करोड़ डॉलर मुहैया कराने की अपील की थी ताकि खाद्यान्न खरीदा जा सके।

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