• परमाणु दायित्व संकल्प से जुड़ने के भारत के कदम का स्वागत

    वाशिंगटन । अमेरिका ने परमाणु ऊर्जा दुर्घटना दायित्व पर एक अंतर्राष्ट्रीय संकल्प को स्वीकृति देने का स्वागत किया है। इससे साथ ही ऐतिहासिक भारत-अमेरिका परमाणु समझौते के क्रियान्वयन के रास्ते का अंतिम रोड़ा साफ हो गया है और अमेरिकी कंपनियों को भारत में परमाणु सयंत्र लगाने का रास्ता भी साफ हो गया है। ...

    वाशिंगटन । अमेरिका ने परमाणु ऊर्जा दुर्घटना दायित्व पर एक अंतर्राष्ट्रीय संकल्प को स्वीकृति देने का स्वागत किया है। इससे साथ ही ऐतिहासिक भारत-अमेरिका परमाणु समझौते के क्रियान्वयन के रास्ते का अंतिम रोड़ा साफ हो गया है और अमेरिकी कंपनियों को भारत में परमाणु सयंत्र लगाने का रास्ता भी साफ हो गया है।  अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने कहा, "अमेरिका 'परमाणु पूरक क्षतिपूर्ति संकल्प' (सीएससी) से भारत के जुड़ने का स्वागत करता है।" उन्होंने कहा, "सीएससी में भारत की सदस्यता अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) के अह्वान पर वैश्विक परमाणु दायित्व व्यवस्था तैयार करने की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम का प्रतीक है।" किर्बी ने आगे कहा, "इससे भारत में परमाणु संयंत्र लगाने में अमेरिकी कंपनियों की साझेदारी बढ़ाने में भी मदद मिलेगी, जिसका मतलब है कि भारतवासियों को अधिक औचित्यपूर्ण बिजली मिलेगी। इसके अलावा इससे भारत की कार्बन आधारित बिजली उत्पादन पर निर्भरता भी घटेगी, जो पर्यावरण के लिए लाभकारी होगा। साथ ही इससे भारत की तेजी से बढ़ रही अर्थव्यवस्था के लिए बिजली आपूर्ति भी सुनिश्चित होगी।" किर्बी ने कहा कि इस अंतर्राष्ट्रीय संकल्प में भारत के शामिल होने से भारत और अमेरिका के बीच हुए परमाणु समझौते को लागू करने में मदद मिलेगी, जो अब तक भारत के बेहद जटिल परमाणु दायित्व कानून (2010) के कारण अटका पड़ा था। भारत हाल ही में इस अंतर्राष्ट्रीय संकल्प में शामिल हुआ और यह संकल्प भारत में चार मई को लागू हो जाएगा। भारतीय अधिकारियों के अनुसार, इससे असैन्य परमाणु क्षतिपूर्ति के लिए पूरक मुआवजे का मुद्दा भी सुलझ जाएगा। इस दिशा में जून, 2015 में स्थापित भारतीय परमाणु बीमा कोष (आईएनआईपी) एक और अहम कदम था, जिसमें परमाणु संयंत्र में या आस-पास हुई दुर्घटना की क्षतिपूर्ति के लिए परमाणु बिजली संयंत्र आपूर्तिकर्ता कंपनी को अधिकतम 15 अरब रुपये की बीमा सुरक्षा प्रदान की गई है। मीडिया में आई खबरों के अनुसार, तोशिबा कॉर्प्स वेस्टिंगहाउस इलेक्ट्रिक को मार्च के अंत तक भारत में छह परमाणु रिएक्टरों के निर्माण का ठेका मिलने की संभावना है। भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस दौरान एक वैश्विक परमाणु सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए वाशिंगटन का दौरा भी करने वाले हैं।वेस्टिंगहाउस यदि यह व्यापार समझौता हासिल करने में सफल रहता है तो इससे भारत के 150 अरब डॉलर के परमाणु विद्युत कार्यक्रम में और तेजी आएगी और ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन कम करने में भी मदद मिलेगी।


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