• बस्तर दरबार द्वारा बनाए गए टाउन क्लब में अनियमितता का आलम

    जगदलपुर । 75 साल पहले बस्तर दरबार द्वारा नगरवासियों के लिए बनाया गया टाउन क्लब अब अनियमितताओं का अड्डा बन गया है। जिसके खिलाफ अब आवाजें भी उठने लगी हैं, वहीं प्रशासन से भी शिकायत की गई है। क्लब परिसर स्थित भवन में संचालित निजी स्कूलों का किराया वर्षों से पदाधिकारी वसूलते आ रहे हैं। इनमें से एक स्कूल से 13 साल से वसूली जा रही राशि का कोई हिसाब नहीं है।...

    जगदलपुर । 75 साल पहले बस्तर दरबार द्वारा नगरवासियों के लिए बनाया गया टाउन क्लब अब अनियमितताओं का अड्डा बन गया है। जिसके खिलाफ अब आवाजें भी उठने लगी हैं, वहीं प्रशासन से भी शिकायत की गई है। क्लब परिसर स्थित भवन में संचालित निजी स्कूलों का किराया वर्षों से पदाधिकारी वसूलते आ रहे हैं। इनमें से एक स्कूल से 13 साल से वसूली जा रही राशि का कोई हिसाब नहीं है।

    वहीं एक स्कूल कई वर्षों से किराया ही नहीं दे रहा है। पहले प्रति वर्ष क्लब द्वारा तैराकी, कबड्डी और साइकल रेस जैसी प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती थीं अब ये खेल गतिविधियां भी 20-25 साल से बंद हैं। पिछले महीने कुछ लोगों ने क्लब में पूरे शहर से मात्र 69 सदस्य होने की बात सामने आई है। अचानक नए सदस्यों को सदस्यता देकर क्लब की नई कार्यकारिणी का गठन किया है जिसे क्लब के पुराने सदस्य अवैध ठहरा रहे हैं। बस्तर कमिश्नर व तहसीलदार को पत्र लिखकर क्लब को जिला प्रशासन के अधीन करने की मांग की गई है।

    वर्ष 1931 में ब्रिटिश शासन के अधीन बस्तर दरबार ने अपने मनोरंजन के लिए बस्तर आफिसर्स क्लब और राजमहल के सामने 35 हजार 381 वर्ग फीट भूमि पर बस्तर महाराजा रूद्रप्रतापदेव की स्मृति में टाउन क्लब और लाइब्रेरी भवन बनवाया था ताकि नागरिक पठन- पाठन के साथ मनोरंजन और खेल गतिविधियों में भी शामिल हो सके। टाउन क्लब में 13 से अधिक कमरे, बरामदा और हाल हैं। यह क्लब 1931 से पंजीकृत है और इसका बैंक अकाउंट केन्द्रीय सहकारी बैंक जगदलपुर में है।

    टाउन क्लब पंजीयन क्रमांक 4125 के बायलॉज के अनुसार प्राथमिक सदस्य बनने के पहले आवेदन करना पड़ता है। 75 साल पुराने टाउन क्लब के पदाधिकारियों द्वारा आवेदन की जांच के बाद योग्य सदस्य से दो हजार रुपए सदस्यता शुल्क जमा कराया जाता है। इसके अलावा, प्रति वर्ष 120 रुपए वार्षिक शुल्क देना अनिवार्य है। बताया गया कि क्लब में पहले 69 सदस्य थे परन्तु टाउन क्लब में आपसी विवाद के कारण दिनों दिन सदस्य कम हो गए। इधर नया सदस्य बनाने के पूर्व पुराने सदस्यों की राय भी नहीं ली गई। गुटबाजी के चलते लाखों की आबादी वाले शहर से क्लब की सदस्य संख्या नाममात्र की है।

    12 साल बाद चुनावः सचिव राजेन्द्र बाजपेई पिछले 51 वर्ष से क्लब से जुड़े हुए हैं। उन्होंने बताया कि 1965 में कुंवर गणेश सिंह और वर्ष 2002 में नरेन्द्र भारत को अध्यक्ष बनाया गया था। पिछले 12-13 साल से क्लब में चुनाव नहीं हुआ था इसलिए क्लब में युवाओं को जोड़ते हुए तथा फिर से क्लब की गतिविधियों को प्रारंभ करने के उद्देश्य से अगले तीन साल के लिए नौ जनवरी 2016 को नई कार्यकारिणी का गठन किया गया है। इसके अध्यक्ष सुधीर जैन,उपाध्यक्ष रजनीश पाणीग्राही, एस करीमुद्दीन, विपिन शर्मा, कोषाध्यक्ष राजकुमार मोदी, सह सचिव भगवान सिंह ठाकुर, क्रीड़ा सचिव निलोत्पल दत्त, सांस्कृतिक सचिव निजाम रहमान तथा व्यवस्थापक आरएन पाण्डेय हैं। क्लब में फिलहाल केवल 50 सदस्य हैं।

    क्लब में टेबल टेनिस, कैरम, चेस आदि खेलों की व्यवस्था स्थायी रूप से थी किन्तु अब यहां ताश के अलावा कोई खेल नहीं होता। लाइबे्ररी में अध्ययन के लिए सैंकड़ों किताबें थीं जिसे बंद कर दिया गया है। क्लब को सक्सेस कॉन्वेंट और लाइब्रेरी को सरस्वती शिशु मंदिर नामक शैक्षणिक संस्थाओं को किराए पर दिया गया है। क्लब के मैदान में व्यावसायिक आयोजन करने वालों से किराया लिया जाता है। वहीं खोंमचे एवं ठेलों से ली जाने वाली राशि पर संशय है।

    कुल 35 हजार 381 वर्ग फीट भूमि में पिछले कुछ वर्षों में क्लब के सभी पदाधिकारियों की स्वीकृति लिए बगैर सक्सेस कॉन्वेंट संचालक ने कई कमरों का निर्माण कर लिया है वहीं क्लब के पीछे के पुराने आम रास्ता को बंद कर दिया गया है। क्लब की जमीन पर ही नगर निगम ने भी गैलरी व दुकानें बनवाई हैं। दुकानों की अमानत राशि और किराया भी निगम वसूल रहा है। क्लब पूरी तरह से कुछ पदाधिकारियों के कब्जे में है। इस पर जिला प्रशासन, नगर निगम या राजस्व विभाग का कोई नियंत्रण नहीं है। आला अधिकारी इस पर कुछ भी कहने से बच रहे हैं।


    होती थीं प्रतियोगिताएं

    क्लब द्वारा प्रति वर्ष गणतंत्र दिवस पर जगदलपुर से धनपुंजी तक साइकिल रेस,दलपत सागर में तैराकी प्रतियोगिता और दशहरा के मौके पर क्लब मैदान में कबड्डी व कुश्ती की प्रतियोगिताएं होती थीं जिसमें बड़ी संख्या में प्रतिभागी हिस्सा लेते थे परंतु यह खेल गतिविधियां पिछले 20- 25 साल से बंद हैं। विजेता टीम को दिया जाने वाला शील्ड क्लब के कोने में अब भी पड़ा है।

    किराया को लेकर विवादः बताया गया कि क्लब की संपत्ति से मिलने वाले किराया राशि को लेकर पदाधिकारियों में काफी विवाद है। सक्सेस कॉन्वेंट से वर्ष 2002 से मिलने वाले किराया का कोई हिसाब नहीं है। पिछले वर्ष क्लब के मैदान में उप्र हैण्डलूम प्रदर्शनी लगी थी जिसका किराया करीब एक लाख 40 हजार रुपए क्लब के खाते में जमा होना था परंतु वह राशि क्लब के एक पदाधिकारी के पास है। यहां लगने वाले चाट ठेलों से भी वसूली गई राशि का कोई हिसाब नहीं है इसलिए पुराने पदाधिकारियों में काफी आक्रोश है। इनमें से कुछ ने तो खुद को क्लब से अलग कर लिया है।

    पूर्व कोषाध्यक्ष श्री अलग क्लब के लिए पिछले दिनों कराए गए चुनाव को अवैध ठहराते हैं और चाहते हैं कि क्लब की संपत्ति को शासन अधिग्रहित कर क्लब और लाइब्रेरी का संचालन करे। इस संदर्भ में वे कमिश्नर बस्तर और तहसीलदार को पत्र लिख चुके हैं। आयुक्त से व्यक्तिगत मुलाकात कर क्लब में हो रही अनियमितता का ब्यौरा सौपने की बात भी कही है। उन्होंने बताया कि इस संदर्भ में पूर्व सांसद स्व बलीराम कश्यप से भी चर्चा हुई थी। उन्होंने भी इसका समर्थन किया था।

    क्लब पदाधिकारियों ने महाराजा रूद्रप्रतापदेव टाउन क्लब भवन को सक्सेस कॉन्वेन्ट स्कूल और लाइब्रेरी भवन को सरस्वती शिशु मंदिर को 35 रुपए प्रतिदिन की दर से किराए पर दिया है। 30 साल से किराया नहीं बढ़ाया गया है। सशिमं वर्ष 1985-86 से संचालित है, वहीं सक्सेस कान्वेंट वर्ष 2002 में प्रारंभ किया गया था। सरस्वती शिशु मंदिर के आचार्य संतोष कुमार भट्ट ने बताया कि प्रति वर्ष भवन का किराया 12 हजार रुपए चेक के माध्यम से क्लब को दिया जा रहा है।

    वहीं सक्सेस कॉन्वेंट के संचालक निलोत्पल दत्त ने बताया कि भवन का नगद किराया वर्ष 2002 से क्लब के व्यवस्थापक को देते आ रहे हैं। इसकी रसीद नहीं मिली है। क्लब मरम्मत के लिए खर्च की गई राशि का हिसाब किराया में समायोजित किया जाता है। क्लब के चौकीदार का वेतन और बिजली बिल का भुगतान स्कूल प्रबंधन करता है।

    क्लब के पूर्व कोषाध्यक्ष हरीश अलग सार्वजनिक जगह के बदले क्लब में ताश खेलने को सही ठहराते हैं पर वे क्लब के कुछ पदाधिकारियों की हरकतों से काफी नाराज हैं। उन्होंने बताया कि क्लब का ताला तुड़वाकर सक्सेस कॉन्वेट को कब्जा दिलाया गया है। शहर की केन्द्रीय सहकारी मर्यादित बैंक जगदलपुर में क्लब का खाता है जिसमें दो लाख से ज्यादा रुपए जमा है। इसका हिसाब देने वे तैयार हैं। सशिमं वाले चेक के माध्यम से बाकायदा किराया दे रहे हैं। क्लब का कोषाध्यक्ष होने के नाते सक्सेस कॉन्वेंट और मैदान में लगने वाली प्रदर्शनी का किराया भी उनके पास आना था परन्तु क्लब का एक पदाधिकारी 20- 25 साल से किराया वसूल रहा है और क्लब के खाते में रूपया जमा नहीं कर रहा है। इस मामले में बस्तर की राजमाता ने भी कथित पदाधिकारी को बुलाकर डांटा था।

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