• एचआईवी पॉजीटिव किशोर के परिजनों को दवा के लिए बिलासपुर की लगानी पड़ती है दौड़

    रायगढ़। जिला अस्पताल में इलाज और दवा की समुचित व्यवस्था नहीं होने के कारण एचआईवी पॉजीटिव किशोर के परिजनों को दवा के लिए हर माह बिलासपुर की दौड़ लगानी पड़ती है। आर्थिक परेशानियों से जूझ रहे इस परिवार के लिए यह बहुत भारी पड़ता है। पहले जिंदल कंपनी के सहयोग से किशोर को बिलासपुर से दवा दिलाकर वापस घर पहुंचाया जाता था, लेकि न पिछले कुछ माह से वह भी बंद हैं। ऐसे में किशोर के दादा का कहना है कि '' हर महिना बिलासपुर जाय ले अब्बड़ खर्चा हो जाथे, जेन जगह दवाई मिलथे ओहर तो एको रुपया नई लेवय, फेर गाड़ी में टिकट कटवाय बर पड़थे। हमन के स्थिति अईसन नई हे कि हर महिना किराया दे सकी। ओकरे खातिर हमन अउ बिलासपुर नी जावथन ।...

    रायगढ़। जिला अस्पताल में इलाज और दवा की समुचित व्यवस्था नहीं होने के कारण एचआईवी पॉजीटिव किशोर के परिजनों को दवा के लिए हर माह बिलासपुर की दौड़ लगानी पड़ती है। आर्थिक परेशानियों से जूझ रहे इस परिवार के लिए यह बहुत भारी पड़ता है। पहले जिंदल कंपनी के सहयोग से किशोर को बिलासपुर से दवा दिलाकर वापस घर पहुंचाया जाता था, लेकि न पिछले कुछ माह से वह भी बंद हैं। ऐसे में किशोर के दादा का कहना है कि '' हर महिना बिलासपुर जाय ले अब्बड़ खर्चा हो जाथे, जेन जगह दवाई मिलथे ओहर तो एको रुपया नई लेवय, फेर गाड़ी में टिकट कटवाय बर पड़थे। हमन के स्थिति अईसन नई हे कि हर महिना किराया दे सकी। ओकरे खातिर हमन अउ बिलासपुर नी जावथन ।

    पीड़ित किशोर के माता पिता की मौत बहुत पहले ही हो गई है। ऐसे में उसके पालन पोषण की जिम्मेदारी दादा उठा रहे हैं लेकिन उनकी स्थिति ऐसी नहीं है कि ईलाज में आने वाली खर्च को वहन कर सके। किशोर के एचआईवी संक्रमित होने की पुष्टी होने पर जिंदल कंपनी ओर से ईलाज कराया गया लेकिन अब यह सहयोग भी मिलना बंद हो गया। अब दादा भी अब हिम्मत हार चुके हैं। इन परिस्थितियों के बीच किशोर जिंदगी और मौत से जंग लड़ने मजबूर है।

    गौरतलब है कि कोतरा रोड थानांतर्गत निवासी एक किशोर के दो साल पहले एचआईवी संक्रमित होने की पुष्टी हुई। किशोर के पिता की मौत एचआईवी संक्रमण के कारण पहले ही हो चुकी है। किशोर के एचआईवी संक्रमित होने की जानकारी पर जिंदल कंपनी ने ईलाज के लिए कदम उठाया और हर माह बिलासपुर पहुंचने में सहयोग दिया जाता रहा। अब उसे किसी का सहयोग नहीं मिल रहा है। किशोर पिछले दो माह दवा के लिए बिलासपुर एआरटी सेंटर नहीं पहुंच पा रहा है। दवा नहीं मिलने के कारण किशोर के हाथ पैर व शरीर के अन्य हिस्से सूज चुके हैं। वह अब हर वक्त लेटा रहात है। कुछ दिन से वह अब चल फिर नहीं पा रहा है।

     

    मंगलवार को जनदर्शन में पीड़ित परिवार ने कलेक्टर को व्यथा सुनाई थी। इस पर कलेक्टर अलरमेल मंगई डी ने तत्काल आदेश दिया था कि गरीब किशोर को शासकीय अस्पताल में रखकर ईलाज की व्यवस्था की जाए, लेकिन महज तीन दिन उपचार के बाद अस्पताल प्रबंधन ने उसे बाहर का रास्ता दिखा दिया। अब न तो उसे उचित दवा मिल पा रहा है न ही उसके अस्पताल से घर जाने के बाद सुध ली गई।


     

    पीड़ित किशोर के दादा ने बताया कि साल 2013 उनके परिवार के लिए काफी दुखद रहा। बीमारी ने उसके बड़े पुत्र को सबसे पहले शिकार बनाया। वह ट्रक ड्राइवर था । एचआईवी संक्रामक के कारण उसकी मौत मई 2013 में हो गई। इसके बाद घर में मौत का सिलसिल चल पड़ा। बेटे की मौत के बाद बहू और कुछ दिन बाद उसके मझले छोटे नाती की भी मृत्यु हो गई। सभी एचआईवी संक्रमित थे।

    शहर व आसपास के क्षेत्र में कई तथााकथित समाजसेवी संस्थान हैं जो गरीबों की मदद का दावा करते हैं, लेकिन उनकी नजर अब तक इस गरीब बेबस परिवार पर नहीं पड़ी है। जीवन और मौत से जूझ रहे किशोर की सहायता के स्थान पर ऐसी संस्थाएं केंडल मार्च और धरन प्रदर्शन कर सुर्खियों में रहने शहर में 13 फरवरी को मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह का आगमन हो रहा है।

    इस दौरान वे मेगा स्वास्थ्य शिविर में शामिल होने वाले हैं। बालक के दादा ने बताया कि कलेक्टर के समक्ष पहुंचकर भी उन्हें राहत नहीं मिली । अब केवल उनके पास मुख्यमंत्री के पास जाने का एक ही रास्ता बच गया है। मुख्यमंत्री के पास पहुंचकर वे अपनी परेशानी बताएं तो हो सकता है वे कोई विकल्प मिल जाए। हमारे अस्पताल में जांच की जाती है, उसे एचआईवी के अलावा भी कई गंभीर बीमारी है। उसे दवा उपलब्ध कराया जाएगा।

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