• रुपये में होने वाली किसी भी गिरावट का स्वागत किया जाना चाहिए

    नई दिल्ली ! देश के निर्यातकों को प्रतिस्पर्धी बनाए रखने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को रुपये में गिरावट होने देना चाहिए और इसके बचाव में विदेशी पूंजी भंडार का उपयोग तभी करना चाहिए, जब गिरावट काफी अधिक हो। यह बात रविवार को एसोसिएटेड चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया (एसोचैम) ने यहां एक बयान में कही।...

    नई दिल्ली !   देश के निर्यातकों को प्रतिस्पर्धी बनाए रखने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को रुपये में गिरावट होने देना चाहिए और इसके बचाव में विदेशी पूंजी भंडार का उपयोग तभी करना चाहिए, जब गिरावट काफी अधिक हो। यह बात रविवार को एसोसिएटेड चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया (एसोचैम) ने यहां एक बयान में कही। एसोचैम ने कहा, "चीन की वजह से वैश्विक बाजार में गिरावट के कारण रुपये में होने वाली किसी भी गिरावट का स्वागत किया जाना चाहिए, वरना भारतीय निर्यातक चीन और अन्य उभरती अर्थव्यवस्था से पिट जाएंगे, जिनकी मुद्रा का अवमूल्यन हो रहा है।"

    उद्योग संघ ने कहा, "भारत को रुपये में अवमूल्यन होने देना चाहिए और आरबीआई को इसके बचाव में विदेशी पूंजी भंडार का उपयोग तभी करना चाहिए, जब रुपये में भारी गिरावट दर्ज की जाए। रुपये के निकट भविष्य में मजबूत होने की भी कोई संभावना नहीं है।"

    रुपया शुक्रवार को डॉलर के मुकाबले 67.59 रुपये रह गया, जो गत 28 महीने का निचला स्तर है।

    उल्लेखनीय है कि वैश्विक सुस्ती के कारण गत 12 महीने से देश के निर्यात में गिरावट देखी जा रही है।

    एसोचैम ने कहा कि सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वैश्विक सुस्ती के बीच भी भारतीय निर्यातकों की प्रतिस्पर्धात्मकता बनी रहे।


    युआन का गत पांच महीने में तीन बार अवमूल्यन हो चुका है। इसका सबसे बुरा प्रभाव उन कंपनियों पर पड़ेगा, जो चीन को निर्यात करती हैं।

    एसोचैम अध्यक्ष सुनील कनोरिया ने कहा, "सबसे बुरा प्रभाव चीन के साथ व्यापार संतुलन पर पड़ेगा।"

    भारत-चीन द्विपक्षीय व्यापार 2014-15 में 72.3 अरब डॉलर था, जो चीन के पक्ष में 49 अरब डॉलर झुका हुआ था।

    एसोचैम ने कहा कि युआन में जारी अवमूल्यन से व्यापार संतुलन की स्थिति और खराब होगी।

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