सड़कों पर अव्यवस्था के खिलाफ हाईकोर्ट के कड़े रुख के बाद बिलासपुर नगर निगम ने कार्रवाई शुरू कर दी है और उसका ब्यौरा रोज प्रशासन को उपलब्ध करा रहा है। यह ऐसी कार्रवाई है जो संभवत: प्राय: शहरों में नियमित चलती रहती है। इसका उद्देश्य यह होता है कि लोग सड़कों पर कब्जा न करें। बिलासपुर में यह समस्या काफी गंभीर है। बाजार कुछ मार्गों तक सिमटा हुआ है और अस्थायी रुप से दुकानें लगाकर रोजी-रोटी कमाने वाले उन्ही मार्गों पर डेरा जमाते हैं, जिन मार्गों में लोगों का आना-जाना सबसे अधिक होता है। कुछ ने तो स्थाई दुकानदारों से अनुबंध करके सामने थोड़ी से जगह ले ली है। दूसरे कुछ ऐसे हैं, जिन्होंने नगर निगम के अमले से लेनदेन करके अपना स्थान सुरक्षित कर लिया है। इसका असर यह हुआ कि सड़कों पर अव्यवस्था बढ़ती चली गई। अब इसका सहज निदान खोजने की जो कोशिश चल रही है, वह कामयाब होती हुई दिखाई नहीं देती। एक तरफ नगर निगम सड़कों पर बेजा कब्जा करने वालों को हटा रहा है, दूसरी ओर वे फिर से काबिज हो जा रहे हैं। हाईकोर्ट को रिपोर्ट दे दी जा रही है कि रोजाना कार्रवाई हो रही है। यह अव्यवस्था दूर कैसे होगी, इसका नियोजित और व्यावहारिक तरीका खोजा जाना अभी भी बाकी है। फुटपाथियों के लिए प्रशासन ने चौपाटी के पास के इलाके को चिन्हित कर दिया है। उनसे कहा गया है कि वे वहां जाकर व्यवसाय शुरू करें। फुटपाथियों को वहां व्यवसाय होने की संभावना नहीं दिखती क्योंकि फिलहाल चौपाटी इलाके में व्यावसायिक गतिविधियां काफी कम है। प्रशासन थोड़ी सख्ती बरतने की तैयारी कर रहा है। वह चाहता है कि लोग चौपाटी के इलाके में जाएं। वहां व्यवसाय जमाने की शुरूआत किसी न किसी को तो करनी होगी। प्रशासन अब सड़कों पर बेजा कब्जा करके दुकानें लगाने वालों का सामान जप्त करने की कार्रवाई शुरू करने जा रहा है। पूरे शहर के फुटपाथियों को चौपाटी के इलाके में भेजा नहीं जा सकता। यदि प्रशासन शहर के चारों इलाकों में फुटपाथियों के लिए स्थान चिन्हित कर उन्हें उपलब्ध करा दे तो यह समस्या दूर हो सकती है। शहर में इस तरह का स्थान चिन्हित करने से पहले फुटपाथियों की रोजी-रोटी प्रभावित न हो, यह भी देखना होगा। इस समस्या का समाधान नए बाजारों के विकास में ही है और फिलहाल इसकी कोई योजना नहीं है। बिलासपुर भी स्मार्ट सिटी बनने वाला है। मौजूदा साधन-सुविधाओं को बेहतर बनाने की कोशिशों में भी कुछ स्मार्ट होता हुआ दिखाई दे, प्रशासन ऐसा कुछ अब तक नहीं कर पाया। न तो ट्रैफिक सिस्टम सुधरा और न ही सड़कों की बदहाली दूर हुई। अब जरुरी है कि इस पर गंभीरतापूर्वक सोचा जाए और योजनाबद्ध तरीके से इन समस्याओं का हल खोजा जाए।