• भारत 130वें स्थान पर : यूएनडीपी

    नई दिल्ली ! संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम की अद्यतन रिपोर्ट में भारत का मानव विकास सूचकांक 188 देशों में पांच पायदान की छलांग के साथ 130वें स्थान पर है। रिपोर्ट में वर्ष 2014 में भारत इस सूचकांक के लिए 0.609 अंक मिला। 1980 से लेकर 2014 के बीच भारत का मानव विकास सूचकांक 0.326 से बढ़कर 0.609 हो गया।...

    नई दिल्ली !  संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम की अद्यतन रिपोर्ट में भारत का मानव विकास सूचकांक 188 देशों में पांच पायदान की छलांग के साथ 130वें स्थान पर है। रिपोर्ट में वर्ष 2014 में भारत इस सूचकांक के लिए 0.609 अंक मिला। 1980 से लेकर 2014 के बीच भारत का मानव विकास सूचकांक 0.326 से बढ़कर 0.609 हो गया। यह 68.1 फीसदी की वृद्धि है। सालाना दर पर यह 1.54 फीसदी की वृद्धि है। मानव विकास सूचकांक तीन मुख्य आयामों पर आधारित है, इनमें आयु एवं स्वास्थ्य जीवन, ज्ञान के लिए पहुंच और जीवन स्तर शामिल हैं। भारत को असमानता, विशेषतकर शिक्षा में असमानता 42.1 प्रतिशत के कारण 28.6 प्रतिशत एचडीआई का नुकसान हुआ है। ब्रिक्स देशों में असमानता के चलते दक्षिण अफ्रीका को सर्वाधिक - 35.7 प्रतिशत और रूस को सबसे कम 10.5 प्रतिशत नुकसान है। 155 देशों के लैंगिक असमानता सूचकांक (जो लिंग आधारित असमानता तीन आयामों, प्रसूता स्वास्थ्य, सशक्तिकरण और आर्थिक गतिविधि, में दर्शाता है) में भारत का स्थान 0.563 अंक के साथ 130वां है। इथियोपिया में आज जारी 2015 वैश्विक मानव विकास रिपोर्ट में सरकारों से अब यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया है कि कार्य जनता की बेहतरी, असमानता दूर करने, आजीविका हासिल करने और लोगों को सशक्त बनाने में योगदान कर सकें। मानव विकास के लिए कार्य नामक यह रिपोर्ट सरकारों को नौकरियों से आगे बढ़ कर अवैतनिक देखभाल, स्वैच्छिक या सृजनात्मक कार्य जैसे विभिन्न प्रकार के मानव विकास के लिए महत्वपूर्ण कार्यो पर विचार करने को प्रोत्साहित करती है। अनुकूल परिस्थितियां और कार्य की अच्छी गुणवत्ता मानव विकास में पर्याप्त रूप से योगदान कर सकती है। हालांकि बंधुआ मजदूरी, बाल मजदूरी और मानव तस्करी के रूप में कार्य मानवाधिकारों का उल्लंघन कर सकते हैं और घरेलू नौकर, यौन व्यापार या खतरनाक उद्योगों में कार्य जैसे कुछ कार्य कामगारों को जोखिम में डाल सकते हैं।


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