• रूस, तुर्की और अमरीका

    दुनिया में आतंकवाद के खात्मे के लिए सभी देशों को मिलजुल कर प्रयास करना होगा, यह बात न जाने कितनी बार, कितने मंचों से कही जा चुकी है। लेकिन वर्तमान परिदृश्य में यह संभावना दूर की कौड़ी ही लगती है।...

    दुनिया में आतंकवाद के खात्मे के लिए सभी देशों को मिलजुल कर प्रयास करना होगा, यह बात न जाने कितनी बार, कितने मंचों से कही जा चुकी है। लेकिन वर्तमान परिदृश्य में यह संभावना दूर की कौड़ी ही लगती है। अभी पेरिस हमलों के तुरंत बाद रूस द्वारा सीरिया में आईएस पर किए जा रहे हमलों के विरोध के सुर थोड़े धीमे हुए, लेकिन इस वक्त रूस और तुर्की जिस तरह से आमने-सामने हैं, उससे प्रतीत होता है कि आतंकवाद के खिलाफ उलझी हुई रणनीति में कुछ पेंच और बढ़ गए हैं। रूस के विमान एसयू- 24 को तुर्की के एफ-16 लड़ाकू विमानों ने निशाना बनाकर गिरा दिया। रूसी राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन का कहना है कि विमान को तब गिराया गया जब वह सीरियाई इलाके में था, जबकि तुर्की सैन्य अधिकारियों का कहना है कि बार-बार चेतावनी के बावजूद विमान उनकी हवाई सीमा में घुस गया था। खबरों के मुताबिक विमान में दोनों पायलटों ने पैराशूट के सहारे छलांग लगाई, जिसमें से एक की मौत गोली से हुई, जबकि दूसरे पायलट के बारे में अभी पता लगना बाकी है। सीरियाई विद्रोहियों द्वारा जारी एक वीडियो में दावा किया गया है कि तुर्कमैन विद्रोही (सीरिया की असद सरकार के खिलाफ विद्रोह कर रहा एक तुर्की अल्पसंख्यक समुदाय) दोनों पायलटों पर गोलियां चला रहे हैं, जबकि तुर्की भाषा में एक व्यक्ति चिल्ला रहा है, उन्हें मारो मत, जिंदा पकड़ो। वीडियो में भारी गोलीबारी दिखाई गई है और विद्रोही गाड इज़ ग्रेट चिल्ला रहे हैं। इस वीडियो की सत्यता की पुष्टि होना बाकी है। लेकिन इतना तय है कि इस घटना से रूस और तुर्की के बीच खटास बढ़ गई है, और सीरिया में कब्जा जमा रहे आईएस को इससे लाभ मिल सकता है। व्लादीमीर पुतिन इस घटना को पीठ पर छुरा घोंपने के समान बता रहे हैं। लेकिन अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने तुर्की का समर्थन किया है यह कहकर कि तुर्की के पास अपनी हवाई सीमा की सुरक्षा का अधिकार है। ओबामा यह कहना भी नहींभूले कि ये घटना रूस के सीरिया में चलाए जा रहे हवाई अभियान से जुड़ी समस्या को सामने लाती है। अगर रूस तुर्की समर्थित सीरिया के विद्रोहियों को निशाना बनाने के बजाए इस्लामिक स्टेट से लड़ाई पर ध्यान लगाए तो टकराव या फिर गलतियों की संभावनाएं कम रहेंगी। रूस का विमान तुर्की की हवाई सीमा में घुसा या तुर्की ने जबरदस्ती उसे निशाना बनाया, इसकी सच्चाई अभी आना बाकी है। लेकिन बराक ओबामा जिस तरह से रूस की गलती का उल्लेख कर रहे हैं, उससे जाहिर है कि वे आईएस के खिलाफ लड़ाई में रूस के साथ नहींहैं। रूस ने इस घटना के गंभीर परिणाम होने की चेतावनी दी है। पिछले कई दशकों में यह पहली बार है जब नाटो के किसी देश ने किसी रूसी विमान को निशाना बनाया है। सीरिया में आईएस पर रूस के हमले के बाद पहली बार रूस को इस तरह के हमले का सामना करना पड़ा है। इस घटना का असर रूस और तुर्की के आपसी संबंधों पर पड़ेगा, यह नजर आ रहा है। लेकिन इससे भी ज्यादा आईएस के खिलाफ मुहिम पर असर पड़ेगा। फ्रांस के राष्ट्रपति ओलांद ने आईएस के खिलाफ अभियान में रूस का साथ देने की इच्छा जतलाई है, उधर वे अमरीका में राष्ट्रपति ओबामा से भी मिलकर लडऩे की अपील कर रहे हैं। लेकिन जो परिस्थितियां बन रही हैं, उसमें यह नजर आ रहा है कि पश्चिमी देश अपने छोटे-छोटे हितों को साधने के लिए वृहत्तर उद्देश्यों को ताक पर रख रहे हैं। अगर यह मान भी लें कि रूस का विमान तुर्की सीमा में आ गया, तो क्या उसे गिराना और पायलटों को मारना ही एकमात्र उपाय था। बचाव के रूप में किए गए इस शक्तिप्रदर्शन से क्या हासिल हुआ? और अमरीका को इस विवाद में बीच में पडऩे की क्या आवश्यकता? क्या वह रूस के साथ मिलकर लड़ रहा है, जो उसे नसीहत दे रहा है? या तुर्की का साथ देकर शीतयुद्ध का दौर दोबारा लाना चाहता है?

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