• महिलाओं पर अहम् जिम्मेदारी

    महिलाओं की सामाजिक भागीदारी बढ़ाने के लिए राज्य सरकार ने भारतमाता वाहिनी के नाम का एक ऐसा समूह बनाया है, जिससे जुड़ी महिलाएं नशाखोरी के खिलाफ काम कर रही हैं। इन महिलाओं की मांग पर सरकार को दो हजार से कम आबादी मेें खोली गई शराब की दुकानों को बंद करने का निर्णय लेना पड़ा था। ...

    महिलाओं की सामाजिक भागीदारी बढ़ाने के लिए राज्य सरकार ने भारतमाता वाहिनी के नाम का एक ऐसा समूह बनाया है, जिससे जुड़ी महिलाएं नशाखोरी के खिलाफ काम कर रही हैं। इन महिलाओं की मांग पर सरकार को दो हजार से कम आबादी मेें खोली गई शराब की दुकानों को बंद करने का निर्णय लेना पड़ा था। सरकार की कोशिश शराबबंदी की दिशा में आगे बढऩे की है और भारतमाता वाहिनी का गठन इसी उद्देश्य को ध्यान में रखकर किया गया है। पंचायत एवं समाजसेवा विभाग के अधीन भारतमाता वाहिनी से जुड़ी महिलाओं की गतिविधियों को प्रभावशाली ढंग से चलाने की योजना तैयार की गई थी, लेकिन इन गतिविधियों को अपेक्षित गति नहीं मिल सकी। पंचायत एवं समाजसेवा विभाग का कार्यक्षेत्र काफी सीमित रहा है। अब राज्य सरकार ने भारतमाता वाहिनी की गतिविधियों को आबकारी विभाग से जोडऩे का निर्णय लिया है। सरकार ऐसा करके वाहिनी की गतिविधियों को उद्देश्यपरक बनाना चाहती है। आबकारी विभाग ही शराब की दुकानें संचालित करता है। अब महिलाएं यदि किसी दुकान को बंद करने या कहीं अवैध शराब बिकने की शिकायत करती हैं तो विभागीय अधिकारी उस पर तत्काल कार्रवाई कर सकते हैं। राज्य में शराब की खपत लगातार बढ़ रही है। सरकार को अतिरिक्त राजस्व तो मिल रहा है, लेकिन यह शराब सामाजिक, आर्थिक उन्नति की राह में एक बड़ी बाधा बनकर भी सामने आ रही है। सरकार शराब की बिक्री को नियंत्रित करने के लिए महिलाओं को नई भूमिका निभाने के लिए आगे लाने का प्रयास कर रही है। राज्य में इस क्षेत्र में काम कर चूकी महिलाओं में सबसे बड़ा नाम आदिवासी समाजसेविका और इंदिरा गांधी समाज सेवा पुरस्कार से सम्मानित राजमोहिनी देवी का है, जिन्होंने आदिवासी परिवारों को नशे के व्यसन से दूर रहने तथा स्वच्छता अपनाने का संदेश ही नहीं दिया बल्कि इसे आंदोलन बना दिया। कहा जा सकता है कि इस आदिवासी समाजसेविका के सपने को पूरा करने का काम अब भारतमाता वाहिनी की महिलाओं को करना है। महिलाएं उनके इस आंदोलन को समझें और उसे आगे बढ़ाए इसके लिए उन्हें यह बताया जाना चाहिए कि राजमोहिनी देवी ने इस काम को कैसे अंजाम दिया। राजमोहिनी देवी के अनुयायियों की संख्या लगातार बढ़ रही थी। उनसे जुडऩे की प्रमुख शर्त ही यह थी कि वह शराब और मांसाहार से दूर रहेगा और रहन-सहन में स्वच्छता अपनाएगा। उनके बाद इस काम को उनके अनुयायी आगे नहीं बढ़ा सके और यह आंदोलन उनके निधन के साथ ही जैसे खत्म हो गया। आज जब महिलाओं को भारतमाता वाहिनी के जरिए सरकार खुद नशाखोरी के खिलाफ आगे लाना चाहती है, एक और राजमोहिनी देवी की भी जरुरत है, जो इसे आंदोलन बना सके।

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