• कुत्तों के काटने के मामले में केंद्र व केरल सरकार को नोटिस

    नई दिल्ली ! सर्वोच्च न्यायालय ने आवारा कुत्तों द्वारा काटे जाने के पीड़ितों को मुआवजा देने की याचिका पर सोमवार को सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार और केरल सरकार को नोटिस जारी किया। नोटिस में याचिका की इस बात का भी उल्लेख है कि कुत्तों द्वारा काटे गए लोगों के इलाज के लिए अस्पतालों में पर्याप्त दवाएं रखी जाएं और कुत्तों द्वारा काटे गए गरीब मरीजों का पूरे देश के अस्पतालों में मुफ्त इलाज किया जाए।...

    नई दिल्ली !   सर्वोच्च न्यायालय ने आवारा कुत्तों द्वारा काटे जाने के पीड़ितों को मुआवजा देने की याचिका पर सोमवार को सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार और केरल सरकार को नोटिस जारी किया। नोटिस में याचिका की इस बात का भी उल्लेख है कि कुत्तों द्वारा काटे गए लोगों के इलाज के लिए अस्पतालों में पर्याप्त दवाएं रखी जाएं और कुत्तों द्वारा काटे गए गरीब मरीजों का पूरे देश के अस्पतालों में मुफ्त इलाज किया जाए। न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति प्रफुल्ल सी. पंत की पीठ ने नोटिस जारी करते हुए चार सप्ताह में इसका जवाब देने को कहा है। जन सेवा शिशुभवन नाम की समाजसेवी संस्था ने अपनी याचिका में आवारा कुत्तों की आबादी को रोकने के लिए इनके बंध्याकरण और टीकाकरण की व्यवस्था करने का भी अनुरोध किया है। संस्था ने उन लोगों के परिवारों के पुनर्वास का भी अनुरोध किया है जिनकी मौत कुत्तों के काटने की वजह से हो गई है। संस्था ने याचिका में कहा है कि केरल में एक दिन में एक अस्पताल में कुत्तों द्वारा काटे जाने के 24 मरीज आते हैं। जन सेवा शिशुभवन ने शीर्ष अदालत से पशु क्रूरता निवारण अधिनियम 1960 के अनुच्छेद 9 (एफ) और 11 (3)(बी) (सी) और केरल नगरपालिका अधिनियम 1994 के अनुच्छेद 438 को लागू करवाने का भी अनुरोध किया है। इन अनुच्छेदों में इस बात की इजाजत दी गई है कि अवांछित पशुओं और आवारा कुत्तों को स्थानीय प्राधिकारी पशु कल्याण बोर्ड की अनुमति से जरूरत पड़ने पर विशेष तरीके से मौत दे सकते हैं। देश की सर्वोच्च अदालत ने अखबारों की उन कतरनों का भी संज्ञान लिया जिनमें आवारा कुत्तों के हमलों में बुरी तरह जख्मी बच्चों की तस्वीरें प्रकाशित हुई हैं। वकील वी.के. बीजू ने स्कूली बच्चों के लिए खास संरक्षण की मांग की। उन्होंने कहा कि ये बच्चे खास तौर से आवारा कुत्तों के निशाने पर होते हैं। याचिका में कहा गया है कि लाखों बच्चे बचपन की बुनियादी जरूरतों से महरूम सड़कों पर जीते हैं और इनमें से कई इन खतरनाक आवारा कुत्तों के शिकार बन जाते हैं। बीजू ने अदालत से आग्रह किया कि समाजसेवी संस्थाओं और संगठनों को आवारा कुत्तों को जान से मारने की अनुमति दी जाए। वकील ने अदालत से यह निर्देश देने का भी आग्रह किया कि कुत्तों के काटे हर मरीज को देश के अस्पतालों में नि:शुल्क प्राथमिक चिकित्सा दी जाए। याचिकाकर्ता संस्था जन सेवा शिशुभवन ने केंद्र और केरल की सरकारों को यह निर्देश देने का भी आग्रह किया कि सरकारी और निजी अस्पतालों में आवारा कुत्तों द्वारा काटे गए मरीजों के लिए पर्याप्त दवाएं रखी जाएं। अदालत ने इस मामले को पहले के एक अन्य मामले के साथ नत्थी कर दिया है जिसमें भी आवारा कुत्तों को मारने की इजाजत मांगी गई है। केरल में लोगों पर कुत्तों के हमलों की घटनाओं का उल्लेख करते हुए वकील बीजू ने अदालत से कहा कि पशु क्रूरता निवारण अधिनियम और राज्यों में बने ऐसे ही कानूनों की वजह से कोई भी उन लोगों के बारे में बात नही कर रहा है जो कुत्तों के काटने की वजह से या तो मर गए हैं या फिर रैबीज बीमारी से जूझ रहे हैं।


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