• बाल मजदूरी की स्थिति भयावह, सरकारी उपायों पर शंका

    नई दिल्ली ! सरकारी आंकड़ों के अनुसार देश में करीब 43 लाख बाल मजदूर है, जबकि बाल अधिकारों के लिए काम करने वाली संस्था बचपन बचाओ आंदोलन का कहना है कि ऐसे बच्चों की संख्या 1 करोड़ 17 लाख हैं, जिनमें काम करने वाले और काम की तलाश करने वाले सभी तरह के बाल मजदूर शामिल हैं।...

    नई दिल्ली !   सरकारी आंकड़ों के अनुसार देश में करीब 43 लाख बाल मजदूर है, जबकि बाल अधिकारों के लिए काम करने वाली संस्था बचपन बचाओ आंदोलन का कहना है कि ऐसे बच्चों की संख्या 1 करोड़ 17 लाख हैं, जिनमें काम करने वाले और काम की तलाश करने वाले सभी तरह के बाल मजदूर शामिल हैं। संसद के मौजूदा सत्र में पेश किए जाने वाले बाल श्रम प्रतिबंध से जुड़े संशोधन विधेयक पर शंका जाहिर करते हुए संस्था की ओर से जारी सर्वेक्षण में कहा गया है कि वर्ष 2011 के जनसंख्या के अनुसार 6 से 14 वर्ष आयु वर्ग के 3 करोड़ 39 लाख बच्चे स्कूल की पढ़ाई बीच में ही छोड़ चुके हैं ऐसे में इनके आसानी से बाल श्रमिक बनने की आशंका है। सबसे ज्यादा बाल मजदूर कपड़ा और जूट उद्योग में हैं और इसके बाद फुटवियर और होटल उद्योगों में है। ऐसे बच्चों को प्रस्तावित कानून से कोई राहत नहीं मिलने वाली। रिपोर्ट के अनुसार बाल श्रम के 21 प्रतिशत मामले घर परिवारों से जुड़े उद्योगों में दिखाई देते हैं। इसमें 14 वर्ष से कम आयु के 21 प्रतिशत बच्चे अपने अभिभावकों या रिश्तेदारों के काम में हाथ बंटाते हैं जबकि 14 से 17 वर्ष आयु के 19 प्रतिशत बच्चे भी ऐसा ही कर रहे हैं। ऐसे बच्चों को संरक्षण देने का कोई प्रावधान विधेयक में नहीं है ।इसके अलावा विधेयक में खतरनाक उद्योगों की संख्या 86 से घटाकर 3 कर दिए जाने का प्रस्ताव भी बाल श्रमिकों के लिए बेहद घातक साबित हो सकता है।


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