• अल्पसंख्यकों का भय बयां करने 'असहिष्णुता' नाकाफी : अरुं धति

    पुणे ! लेखिका अरुं धति राय ने शनिवार को कहा कि जिस 'डर' के साए में अल्पसंख्यक जी रहे हैं उसे बताने के लिए 'असहिष्णुता' शब्द नाकाफी है। अरुं धति ने कहा, "लोगों की हत्या, उन्हें जिंदा जलाना और ऐसी ही बातें..असहिष्णुता पर्याप्त शब्द नहीं है। हमें इन सबको बताने के लिए एक नया शब्द गढ़ना पड़ेगा।"...

    पुणे !   लेखिका अरुं धति राय ने शनिवार को कहा कि जिस 'डर' के साए में अल्पसंख्यक जी रहे हैं उसे बताने के लिए 'असहिष्णुता' शब्द नाकाफी है। अरुं धति ने कहा, "लोगों की हत्या, उन्हें जिंदा जलाना और ऐसी ही बातें..असहिष्णुता पर्याप्त शब्द नहीं है। हमें इन सबको बताने के लिए एक नया शब्द गढ़ना पड़ेगा।" बुकर पुरस्कार से सम्मानित लेखिका ने भाजपा सरकार पर आरोप लगाया कि वह 'हिंदू राष्ट्रवाद' के नाम पर 'ब्राह्मणवाद' को बढ़ावा दे रही है। समाज सुधारकों को 'महान हिंदू' बता रही है, जबकि इनमें से कुछ, जैसे अंबेडकर ने हिंदू धर्म छोड़ दिया था। अरुं धति (55) ने ये बातें यहां महात्मा फुले समता परिषद (एमपीएसपी) द्वारा उन्हें महात्मा ज्योतिबा फुले सम्मान से नवाजे जाने के मौके पर कही। समारोह का आरएसएस समर्थक अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने मुखर विरोध किया। परिषद कार्यकर्ताओं ने 'राष्ट्रविरोधी', 'भारत विरोधी सेना', 'पाकिस्तान समर्थक' जैसे नारे लगाए। बाद में परिषद कार्यकर्ताओं ने एमपीएसपी को ज्ञापन दिया, जिसमें उन्होंने कहा है कि अरुं धति राय के "देश विरोधी रुख से सभी भारतीयों की भावना को चोट पहुंची है।" अरुं धति ने देश में 'बढ़ती असहिष्णुता' के खिलाफ अपना राष्ट्रीय पुरस्कार लौटा चुकी हैं। यह पुरस्कार उन्हें 1989 में फिल्म 'इन विच एन्नी गिव्स इट दोज वन्स' की सर्वश्रेष्ठ पटकथा लिखने के लिए मिला था।


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