• प्रयोगशाला में तैयार हुईं मानव लीवर की क्रियाशील कोशिकाएं

    न्यूयार्क । यकृत (लीवर) की बीमारियों से जूझ रहे लोगों के इलाज में भविष्य में चिकित्सकों को बड़ी सहूलियत मिलने वाली है, क्योंकि शोधकर्ताओं ने एक ऐसी प्रक्रिया का विकास किया है, जिससे प्रयोगशाला में मानव लीवर कोशिकाओं की संख्या तेजी से बढ़ाई जा सकती है, वह भी उसके गुणों से समझौता किए बगैर। इजरायल में हिब्रू यूनिवर्सिटी ऑफ जेरूसलम में इस अध्ययन के मुख्य लेखक याकोव नाहमियास ने कहा, "यह अध्ययन लीवर पर हो रहे अनुसंधानों में मील का पत्थर साबित होगा।" ...

    न्यूयार्क । यकृत (लीवर) की बीमारियों से जूझ रहे लोगों के इलाज में भविष्य में चिकित्सकों को बड़ी सहूलियत मिलने वाली है, क्योंकि शोधकर्ताओं ने एक ऐसी प्रक्रिया का विकास किया है, जिससे प्रयोगशाला में मानव लीवर कोशिकाओं की संख्या तेजी से बढ़ाई जा सकती है, वह भी उसके गुणों से समझौता किए बगैर। इजरायल में हिब्रू यूनिवर्सिटी ऑफ जेरूसलम में इस अध्ययन के मुख्य लेखक याकोव नाहमियास ने कहा, "यह अध्ययन लीवर पर हो रहे अनुसंधानों में मील का पत्थर साबित होगा।"  यह अध्ययन विभिन्न तरह के लिवर-संबंधी अनुसंधानों और प्रत्यारोपण के लिए इंतजार कर रहे लीवर के मरीजों के लिए जैव-कृत्रिम लीवर के निर्माण में मददगार साबित होगा। नाहमियास के अनुसार, हमारी प्रौद्योगिकी हजारों प्रयोगशालाओं को लीवर संबंधी बीमारियों, वायरल हेपेटाइटिस, दवा विषाक्तता और लीवर कैंसर पर अध्ययन को सक्षम करेगी, वह भी बिना अतिरिक्त खर्च के। मानव हेपैटोसाइट्स के बेहद कम आपूर्ति व बिना अपना गुण खोए इसकी संख्या बढ़ाने की क्षमता वैज्ञानिकों के लिए बड़ी चुनौती रही है। यह नई विधि 'अपसाइट प्रोसेस' मानव हेपैटोसाइट्स को संख्या बढ़ाने की अनुमति देती है, जिसके परिणामस्वरूप प्रत्येक लीवर कोशिकाओं से असंख्य कोशिकाओं का निर्माण होता है।  जर्मनी की बायोटेक्नोलॉजी कंपनी के जॉरिस ब्रैसपेनिंग ने कहा, "यह अध्ययन स्वास्थ्य जगत के लिए क्रांतिकारी है। यह हमें विभिन्न दाताओं से लीवर कोशिकाओं को उत्पन्न करने की क्षमता प्रदान करता है। इसके अलावा रोगी से रोगी परिवर्तनशीलता और विशेष स्वाभाव विषाक्तता (पेशंट टू पेशंट वेरियेविलिटी) का अध्ययन करने में भी सक्षम कर रहा है।" यह अध्ययन 'नेचर बायोटेक्नोलॉजी' पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।


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