नई दिल्ली । आम आदमी पार्टी से अलग हुए प्रशांत भूषण अब दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ खुलकर सामने आ गए हैं । भूषण ने शनिवार को सुबह-सुबह ही प्रेस कॉन्फ्रेंस कर केजरीवाल के जनलोकपाल बिल को महाजोकपाल बताया. इससे पहले शुक्रवार शाम को भी ट्वीट कर जनलोकपाल को उन सिद्धांतों को तोड़ने वाला बताया था जो उन सभी ने मिलकर तय किए थे । प्रशांत भूषण के मुताबिक दिल्ली सरकार अपना लोकपाल बिल सोमवार को सदन में पेश करने वाली है।
प्रशांत ने केजरीवाल पर किए हमला-
1. अन्ना का आंदोलन स्वतंत्र लोकपाल के लिए था। लोकपाल सरकार से स्वतंत्र होना चाहिए। आप उस आंदोलन से निकली जिन्हें स्वतंत्र लोकपाल लाना था, लेकिन केजरीवाल के दिल्ली जनलोकपाल बिल में वो आत्मा नहीं है। केजरीवाल का बिल, महाजोकपाल है।
2. इस सरकार को आते ही जनलोकपाल लाना चाहिए था। लेकिन साढ़े नौ महीने बाद यह बिल आया। वह भी महाजोकपाल है । हमें इसकी एक कॉपी भी बड़ी मुश्किल से मिली। इस बिल को इस तरह गुप्त क्यों रखा गया। केजरीवाल को अब इस्तीफा दे देना चाहिए।
3. तब एक ड्राफ्टिंग कमिटी बनी। उसमें हम 5 लोग थे, संतोष हेगड़े, केजरीवाल, अन्ना और हम दोनों. इसमें कहा गया था कि लोकपाल को हटाने का अधिकार राजनीति से जुड़े लोगों को नहीं होगा। लेकिन सब सरकार और नेताओं के हाथ में दे दिया गया।
4. लोकपाल हटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट की कमिटी की सिफारिश होनी चाहिए । उत्तराखंड के लोकपाल में भी यही था कि सरकार का सिर्फ एक आदमी होगा. लेकिन इस लोकपाल में नियुक्ति से लेकर उस पर नियंत्रण और उसे हटाने तक सब सरकार के हाथ में है।
5. 2014 में जब आम आदमी पार्टी की सरकार बनी तो इस्तीफा इस आधार पर हुआ कि जनलोकपाल पेश नहीं हुआ। उसका आधार सिर्फ केजरीवाल को पता था। केबिनेट में लोकपाल पास हो गया फिर हमने चिट्ठी लिखकर लोकपाल मांगा और इसे प्राइवेट करने की बात कही।
6. अब लोकपाल ऐसा बनाया कि वह सरकार के कब्जे में रहेगा। चार में से तीन सरकार के लोग होंगे। इस बिल में लोकपाल को दो तिहाई बहुमत से हटाने का अधिकार दे दिया गया है।
7. इस बिल में ये ले आये कि दिल्ली का लोकपाल केंद्र के अधिकारी की जांच करेगा। यह प्रावधान इसलिए रखा गया ताकि केंद्र इसे पास ही न करे। यह दोबारा अटक जाएगा। केजरीवाल के मन में स्वतंत्र लोकपाल का इरादा नहीं था।
8. केजरीवाल का रुख अब बदल गया है। एक बार सत्ता में आ गए तब हम जवाबदेही नहीं होने देंगे वाला रवैया है। यह उस आंदोलन और लोगों के साथ धोखा है।
बिल में भ्रष्टाचार के मामलों में उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान है। जनलोकपाल को ऐसे मामलों में जांच के लिए कई अधिकार दिए हैं। लेकिन चयन समिति के चार सदस्यों में मुख्यमंत्री से लेकर दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष को सदस्य बनाया गया है। उपराज्यपाल को चयन प्रक्रिया से बाहर कर दिया गया है।