• देश संविधान से ही चलेगा : प्रधानमंत्री मोदी

    नई दिल्ली ! लोकसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संविधान को लेकर उठ रहे भ्रम को आज साफ कर दिया है। उन्होंने संविधान में किसी भी तरह के बदलाव से इनकार करते हुए कहा कि ऐसा करना आत्महत्या करने जैसा होगा। असहिष्णुता की बहस के बीच उन्होंने कहा कि सरकार का एक ही धर्म है सरकार का एक ही धर्मग्रंथ है...

    संसद के संविधान दिवस पर बोले प्रधानमंत्री मोदी नई दिल्ली !   लोकसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संविधान को लेकर उठ रहे भ्रम को आज साफ कर दिया है। उन्होंने संविधान में किसी भी तरह के बदलाव से इनकार करते हुए कहा कि ऐसा करना आत्महत्या करने जैसा होगा। असहिष्णुता की बहस के बीच उन्होंने कहा कि सरकार का एक ही धर्म है सरकार का एक ही धर्मग्रंथ है 'भारत का संविधानÓ। मोदी ने कहा कि देश संविधान से ही चलेगा। लोकतंत्र मजबूत हो इसके लिए संविधान की विशेषताओं का संदेश देश के जन-जन तक पहुंचाना जरूरी है।  सर्व पंथ समभाव को 'आईडिया आफ इंडियाÓ बताते हुए उन्होंने कहा कि देश संविधान के अनुसार चला है और आगे भी संविधान के अनुसार ही चलेगा। लोकसभा में संविधान के प्रति प्रतिबद्धता पर दो दिवसीय विशेष चर्चा का आज जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि यह भ्रम फैलाया जा है कि संविधान बदलने के बारे में सोचा जा रहा है। न कभी कोई संविधान बदलने के बारे में सोच सकता है और मैं समझता हूं कि कोई ऐसा सोचेगा तब वह आत्महत्या करेगा। संविधान की प्रस्तावना में 42वें संशोधन के साथ जोड़े गए 'सेक्युलरÓ शब्द पर सवाल उठाए जाने के बीच प्रधानमंत्री का यह बयान काफी महत्वपूर्ण है। उल्लेखनीय है कि कल गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने इस चर्चा में भाग लेते हुए सेक्युलर शब्द पर सवाल उठाते हुए कहा था कि इसका सबसे अधिक राजनीतिक दुरुपयोग हो रहा है। इस पर विपक्ष ने आरोप लगाया था कि सरकार इस शब्द या उसकी व्याख्या बदलना चाहती है।   संविधान बदलने की बात को भ्रम बताते हुए मोदी ने कहा, ''मैं समझता हूं कि हमारा ध्यान इस बात पर होना चाहिए कि दलितों, शोषितों और पीडि़तों के भाग्य को कैसे बदला जाए, इस बात पर होना चाहिए।ÓÓ प्रधानमंत्री ने आरक्षण को पिछड़ों की ताकत करार दिया।  प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें यह भाषा, वह भाषा, यह भूभाग, वह भू-भाग की बातों से ऊपर उठकर समाज के सभी वर्गों और जन-जन को साथ लेकर राष्ट्र को मजबूत बनाना है। मोदी ने कहा कि संविधान की पवित्रता बनाए रखना हम सबका दायित्व और जिम्मेदारी है, हमें अल्पसंख्यक-अल्पसंख्यक करने की बजाए सर्वानुमति बनाने पर जोर देना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह ठीक है कि आखिरी चीज अल्पमत और बहुमत से बनती है लेकिन लोकतंत्र में ज्यादा ताकत तब बनती है जब हम सहमति से चले। सहमति नहीं बनने पर अल्पमत या बहुमत की बात आती है लेकिन यह अंतिम विकल्प होना चाहिए जब सहमति बनाने के हमारे सारे प्रयास विफल हो जाएं। मोदी ने कहा कि हमारे लिए संविधान आज और भी महत्वपूर्ण है क्योंकि हमारा देश विविधताओं वाला है और सबकी अलग अलग आकांक्षाएं हैं। लोकतंत्र को बनाए  रखने को रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री ने बाबा साहब अंबेडकर को उदाहरण करते हुए कहा कि हमें लोकतंत्र को बनाए रखना है तब पहली चीज है कि हम अपने सामाजिक और आर्थिक लक्ष्यों की दिशा में संविधान के तरीकों का दृढ़ता से पालन करने हुए बढ़े। ........


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