• पुलिस की पिटाई से किशोर की मौत मामला राष्ट्रीय आयोग पहुंचा

    गोरखपुर ! उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले के हाटा में पुलिस की पिटाई से एक किशोर की मौत हो गई थी। इस घटना की शिकायत राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग से की गई है। मानवाधिकार कार्यकर्ता एवं मानव सेवा संस्थान के निदेशक राजेश मणि ने इस घटना के संबंध में सभी तथ्य दोनों आयोगों को प्रेषित कर हाटा पुलिस के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।...

    गोरखपुर !   उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले के हाटा में पुलिस की पिटाई से एक किशोर की मौत हो गई थी। इस घटना की शिकायत राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग से की गई है।   मानवाधिकार कार्यकर्ता एवं मानव सेवा संस्थान के निदेशक राजेश मणि ने इस घटना के संबंध में सभी तथ्य दोनों आयोगों को प्रेषित कर हाटा पुलिस के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। बाइक चोरी के आरोप में हाटा पुलिस ने पगरा गांव निवासी सिद्धार्थ सिंह (13) और संगम शर्मा (10) को पकड़कर तीन दिन तक थाने में रखा और इसके बाद 20 नवंबर को उसे सीजेएम कोर्ट में पेश किया। सीजेएम ने दोनों को नाबालिग होने के कारण बाल संरक्षण गृह भेजने का आदेश दिया। हाटा थाने के सिपाही दोनों किशोरों को 21 नवंबर को गोरखपुर स्थित बाल संरक्षण गृह ले गए। वहां मेडिकल परीक्षण कराने पर दोनों किशोर चोटिल पाए गए। उनके पैर व शरीर के अंदरूनी हिस्सों में चोट के निशान थे। सिद्धार्थ की हालत ज्यादा खराब थी। इसलिए सिपाहियों से बाल संरक्षण गृह के दाखिला रजिस्टर में लिखने को कहा गया कि दोनों किशोरों को चोट लगी है, जिससे उनके शरीर में सूजन है। बाल संरक्षण गृह में 23 नवम्बर को सिद्धार्थ की हालत और खराब हो गई तो उसे गोरखपुर जिला अस्पताल ले जाया गया, जहां उसकी मौत हो गई। सिद्धार्थ के पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी उसके शरीर के अंदरूनी हिस्सों में गंभीर चोट का उल्लेख है। कुशीनगर के पुलिस कप्तान ने इस मामले में पूरी तरह दोषी पाए जाने के बावजूद थानेदार सहित चार पुलिस कर्मियों को सिर्फ निलंबित किया। मानवाधिककार कार्यकर्ता राजेश मणि ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और राष्ट्रीय बालक संरक्षण आयोग को भेजी शिकायत में कहा है कि इस घटना में हाटा पुलिस ने जुवेनाइल एक्ट का पूरी तरह से उल्लंघन किया है। उन्होंने कहा कि कानून के मुताबिक, किसी अपराध में शामिल होने पर पकड़े गए किशारों को हाजत में नहीं रखा जाएगा और न उनको पीटा जाएगा। 24 घंटे के भीतर उन्हें जुवेनाइल कोर्ट के सामने पेश किया जाएगा और उसके आदेशानुसार पुलिस आगे की कार्रवाई करेगी। कानून में यह भी लिखा है कि किशोरों को विशेष पुलिस अधिकारी ही अपने साथ रखेंगे जो पुलिस की वर्दी में नहीं होंगे। लेकिन हाटा पुलिस ने किशोरों को न सिर्फ गिरफ्तार किया, बल्कि चार दिन तक थाने में रखकर बुरी तरह पीटा। यही नहीं, किशोरों को जुवेनाइल कोर्ट के बजाय सीजेएम अदालत में पेश किया। मणि ने कहा है कि वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने सभी तथ्यों से अवगत होने के बावजूद दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज नहीं किया, बल्कि उन्हें बचाने का प्रयास किया।


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