• 'बाबा साहब आंबेडकर ने यातनाएं सहीं, शोषण सहा'

    नई दिल्ली । लोकसभा में पीएम नरेंद्र मोदी ने संविधान पर चर्चा करते हुए डॉ. भीमराव आंबेडकर को याद करते हुए कहा, 'बाबा साहब आंबेडकर ने यातनाएं सहीं, शोषण सहा था।' नरेंद्र मोदी ने अपनी बात आगे बढ़ाते हुए कहा, 'बाबा साहब का दर्द संविधान में शब्द के रूप में उभरा। उन्होंने बहुत कुछ झेला लेकिन संविधान बनाते समय देश के लिए सबसे अच्छी बातें शामिल कीं। उन्होंने जहर पी लिया।' बता दें कि दो दिन से सदन में संविधान पर चर्चा हो रही है। 26 नवंबर, 1949 को संविधान बनकर तैयार हुआ था। उसी की याद में संविधान दिवस मनाया ग...

    नई दिल्ली । लोकसभा में पीएम नरेंद्र मोदी ने संविधान पर चर्चा करते हुए डॉ. भीमराव आंबेडकर को याद करते हुए कहा, 'बाबा साहब आंबेडकर ने यातनाएं सहीं, शोषण सहा था।' नरेंद्र मोदी ने अपनी बात आगे बढ़ाते हुए कहा, 'बाबा साहब का दर्द संविधान में शब्द के रूप में उभरा। उन्होंने बहुत कुछ झेला लेकिन संविधान बनाते समय देश के लिए सबसे अच्छी बातें शामिल कीं। उन्होंने जहर पी लिया।' बता दें कि दो दिन से सदन में संविधान पर चर्चा हो रही है। 26 नवंबर, 1949 को संविधान बनकर तैयार हुआ था। उसी की याद में संविधान दिवस मनाया गया।

    मोदी ने अपने भाषण में ये अहम बातें कही- पीएम मोदी ने कहा, राजनेता ही खुद पर बंदिशें लगाते हैं। चुनाव में खर्च की सीमा जैसी तमाम चीजों के लिए नेता आगे आए। राजनेताओं को यह सोचना होगा कि लोग हमारे में बारे में राय बदलें। नरसिंह मेहता, महात्मा गांधी, ज्योतिबा फुले और आंबेडकर जैसे लोगों ने समाज को बेहतर बनाने का काम किया। जयप्रकाश नारायण ने भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाई। हमारा समाज हजारों साल पुराना है। हमारे यहां भी बुराइयां आई हैं। लेकिन उसी समाज से निकले महापुरुषों ने बड़े काम किए।

    पीएम मोदी ने विद्यासागर, राजा राममोहन रॉय को याद किया। उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार एक वोट से गिर गई थी। यह इस बात का उदाहरण है कि संविधान की ताकत क्या होती है और जब वह सही हाथों में होता है तो क्या होता है। लोकतंत्र में असली ताकत तब आती है जब सहमति बनती है। लेकिन जब सब फेल हो जाए तो अल्पमत और बहुमत की बात आती है। भारत में सिर्फ संविधान ही सर्वोच्च है। यही विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका को उनकी शक्तियां देता है। इस बात को बार-बार उजागर किया जाना चाहिए। सरकार का काम सिर्फ संस्थाएं बनाना ही नहीं, उनकी सीमाएं भी तय करना है।

    मोदी ने कहा कि बाबा साहब आंबेडकर ने यातनाएं सहीं, शोषण सहा। उनका दर्द संविधान में शब्द के रूप में उभरा। उन्होंने बहुत कुछ झेला लेकिन संविधान बनाते समय देश के लिए सबसे अच्छी बातें शामिल कीं। उन्होंने जहर पी लिया। संविधान के 60 साल पूरे होने पर हाथी पर उसकी सवारी गुजरात में निकलवाई थी। मैं खुद उसके आगे-आगे चला था। सरल भाषा में कहूं तो हमारे संविधान का मूल भाव डिग्निटी फॉर इंडियन और यूनिटी फॉर इंडियन है।

    कई लोगों का नाम इतना बड़ा है कि कोई उनका नाम ले या नहीं, उनका नाम मिट नहीं सकता। संविधान में भी सभी की भूमिका रही है। इस संविधान की जितनी सराहना करें, कम है। लाल किले पर से बोल चुका हूं कि इस देश में सभी सरकारों ने काम किया है। किसी ने उम्मीद से थोड़ा कम किया होगा। इस देश को राजाओं ने नहीं बनाया है। इसे गरीबों, शिक्षकों, मजदूरों और किसानों ने बनाया है। यह बात सही है कि 26 जनवरी गणतंत्र दिवस मनाते हैं। लेकिन 26 नवंबर भी ऐतिहासिक दिन है। इस बात को भी उजागर करना अहम है। 26 जनवरी की ताकत 26 नवंबर में निहित है। मैं भी अन्य सदस्यों की तरह एक सदस्य के तौर पर अपने भाव पुष्प अर्पित करने के लिए खड़ा हुआ हूं। 


    सदन में इस कार्यक्रम को लेकर जो रुचि दिखाई गई, इसके लिए मैं सभी सदस्यों का हृदय से आभार प्रकट करता हूं। लोकसभा अध्यक्ष ने संविधान दिवस के मौके पर भाषण देने के लिए धन्यवाद देता हूं। मोदी का भाषण इसलिए मायने रखता है क्योंकि सोमवार से लोकसभा में रेगुलर कामकाज शुरू होगा और राज्यसभा में संविधान पर चर्चा का अाखिरी दिन होगा। 

    मोदी का भाषण यह तय करने में अहम भूमिका अदा करेगी कि आने वाले दिनों में असहिष्णुता और जीएसटी जैसे मुद्दों पर सरकार को विपक्ष से कितना साथ मिलता है। विपक्ष से बातचीत की कोशिश के तहत ही मोदी ने शुक्रवार शाम कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और पूर्व पीएम मनमोहन सिंह को चाय पर चर्चा के लिए बुलाया है। इस पर कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी का कहना है कि जनता के दबाव के चलते मोदी को सोनिया और मनमोहन को न्योता देना पड़ा।  

     

     

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