• जलवायु का तेजी से बदलना चिंता का विषय

    लंदन । स्वीडन की लिकोंपिंग यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों का कहना है कि ग्लोबल वार्मिग हमारी सोच के विपरीत अधिक तेजी से बढ़ रही है। ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन स्वाभाविक रूप से ग्लोबल वार्मिग को बढ़ा रहा है। एक शोध में पता चला है कि जीवाष्म ईंधन (कोयला, तेल वगैरह) के प्रयोग से ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन तेजी से होता है और इससे जलवायु परिवर्तन, वातावरण और तापमान प्रभावित होता है। ...

    लंदन । स्वीडन की लिकोंपिंग यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों का कहना है कि ग्लोबल वार्मिग हमारी सोच के विपरीत अधिक तेजी से बढ़ रही है। ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन स्वाभाविक रूप से ग्लोबल वार्मिग को बढ़ा रहा है। एक शोध में पता चला है कि जीवाष्म ईंधन (कोयला, तेल वगैरह) के प्रयोग से ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन तेजी से होता है और इससे जलवायु परिवर्तन, वातावरण और तापमान प्रभावित होता है। वैज्ञानिकों के अनुसार, "जब हम जीवाश्म ईंधनों का उपयोग करते हैं तो वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन तीव्र गति से होता है, जिससे वायुमंडल में परिवर्तन होता है और वैश्विक तपन बढ़ती है। यानी मानव के क्रिया-कलाप के क्रम में होने वाले ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन से ग्लोबल वार्मिग तेजी से बढ़ रही है।" शोधकर्ताओं ने बताया कि उन्होंने तीन झीलों में ग्रीनहाउस गैस 'मीथेन' के उत्सर्जन की जांच की इसके बाद उन्हें पता चला कि मिथेन गैस के उत्सर्जन के साथ ही तापमान में भी बढ़ोतरी हुई है। जांच से स्पष्ट हुआ कि तापमान में 15-20 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि से मिथेन गैस का स्तर दोगुना हो गया। शोधपत्र के मुख्य लेखक के मुताबिक, "मानव के कृत्यों द्वारा प्राकृतिक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन से ग्लोबल वार्मिग में वृद्धि हो रही है। हमारे विस्तृत लेखा-जोखा से स्पष्ट है कि उच्च तापमान पर झीलों से मिथेन गैस का उत्सर्जन अधिक होता है।"


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