• रुपया 2 साल के निचले स्तर तक गिरकर संभला

    मुंबई । देश की मुद्रा रुपया शुक्रवार को शुरुआती कारोबार में डॉलर के मुकाबले तेज गिरावट के साथ दो साल से अधिक समय के निचले स्तर पर पहुंच गया, लेकिन बाद में भारतीय रिजर्व बैंक के हस्तक्षेप के बाद थोड़ा संभल गया। शुरुआती कारोबार में 9.15 बजे सुबह रुपया प्रति डॉलर 66.88 रुपये पर पहुंच गया। विश्लेषकों के अनुमान के मुताबिक, हालांकि रिजर्व बैंक के आदेश पर सरकारी बैंकों द्वारा डॉलर की बिकवाली करने से रुपये की स्थिति बाद में थोड़ी संभल गई।...

    मुंबई । देश की मुद्रा रुपया शुक्रवार को शुरुआती कारोबार में डॉलर के मुकाबले तेज गिरावट के साथ दो साल से अधिक समय के निचले स्तर पर पहुंच गया, लेकिन बाद में भारतीय रिजर्व बैंक के हस्तक्षेप के बाद थोड़ा संभल गया। शुरुआती कारोबार में 9.15 बजे सुबह रुपया प्रति डॉलर 66.88 रुपये पर पहुंच गया। विश्लेषकों के अनुमान के मुताबिक, हालांकि रिजर्व बैंक के आदेश पर सरकारी बैंकों द्वारा डॉलर की बिकवाली करने से रुपये की स्थिति बाद में थोड़ी संभल गई। बंबई स्टॉक एक्सचेंज के 30 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक सेंसेक्स में 0.57 फीसदी या 150 अंकों से अधिक की तेजी ने भी रुपये के संभलने में भूमिका निभाई। सुबह करीब 11.45 बजे रुपये डॉलर के मुकाबले 66.74 पर कारोबार कर रहा था। इससे पहले सुबह के कारोबार में यह सितंबर 2013 के बाद अब तक के निचले स्तर पर पहुंच गया था। दोपहर करीब 2.30 बजे तक यह प्रति डॉलर 66.77 पर कारोबार करते देखा गया। 


    विश्लेषकों के मुताबिक, दो दिनों की छुट्टी के बाद डॉलर में बढ़ी रुचि और महीने के अंत में होने वाली डॉलर की खरीदारी की वजह से रुपये पर दबाव बना। देश का हाजिर बाजार 25 नवंबर को बंद था। उसके बाद 26 नवंबर को अमेरिका का बाजार बंद था। आनंद राठी फाइनेंशियल सर्विसेज के मुद्रा सलाह विभाग के वरिष्ठ उपाध्यक्ष हीरेन शर्मा ने आईएएनएस से कहा, "शेयर बाजार में तेजी और संभावित बिकवाली के कारण रुपये संभल गया।" शर्मा के मुताबिक अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व की दिसंबर की बैठक, सीरिया संकट और हाल के आतंकी हमले के कारण बाजार में उतार-चढ़ाव की स्थिति बनी रहेगी। शर्मा ने कहा, "रुपये में कमजोरी बनी रह सकती है। यह फेड की बैठक से पहले प्रति डॉलर 67.20 से 66.20 के दायरे में रह सकता है।" अमेरिका के ताजा आंकड़े को देखते हुए दिसंबर की बैठक में फेड दर बढ़ा सकता है। दर बढ़ने की स्थिति में भारत जैसे उभरते बाजारों में भारी बिकवाली होगी। इसके साथ ही डॉलर में अन्य मुद्राओं, सोने तथा अन्य संपत्ति के मुकाबले तेजी आएगी।

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