• सोनिया का मोदी सरकार पर हमला कहा, ‘जिन लोगों की संविधान में आस्था नहीं वे जप रहे हैं इसका नाम

    नई दिल्ली । कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने आज लोकसभा में संविधान पर चर्चा के दौरान किसी का नाम लिए बिना मोदी सरकार को आड़े हाथ लिया। उन्होंने कहा- ‘जिन लोगों की संविधान में किसी तरह की आस्था नहीं रही है, न इसके निर्माण में जिनकी कोई भूमिका रही है, वे आज इसका नाम जप रहे हैं। वे आज इसके अगुआ बनना चाहते हैं। वे आज संविधान के प्रति वचनबद्धता पर बहस कर रहे हैं।’ ...

    नई दिल्ली । कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने आज लोकसभा में संविधान पर चर्चा के दौरान किसी का नाम लिए बिना मोदी सरकार को आड़े हाथ लिया। उन्होंने कहा- ‘जिन लोगों की संविधान में किसी तरह की आस्था नहीं रही है, न इसके निर्माण में जिनकी कोई भूमिका रही है, वे आज इसका नाम जप रहे हैं। वे आज इसके अगुआ बनना चाहते हैं। वे आज संविधान के प्रति वचनबद्धता पर बहस कर रहे हैं।’

    सोनिया के इस बयान पर जब एनडीए के कुछ सदस्यों ने एतराज जताया तो स्पीकर सुमित्रा महाजन ने दखल दिया। उन्होंने कहा- हम सभी संविधान बनने के बाद ही जन्मे हैं। पिछले कुछ महीनों से हमने जो कुछ भी देखा है, वह पूरी तरह से उन मूल्यों के खिलाफ है जिन्हें संविधान द्वारा सुनिश्चित किया गया है। जिन लोगों की संविधान में किसी तरह की आस्था नहीं रही है, न इसके निर्माण में जिनकी कोई भूमिका रही है, वे आज इसका नाम जप रहे हैं। वे आज इसके अगुआ बनना चाहते हैं।

    वे आज संविधान के प्रति वचनबद्धता पर बहस कर रहे हैं। सोनिया ने किसी का नाम लिए बिना मोदी सरकार को आड़े हाथ लिया। आज खुशी का दिन है, लेकिन दुख का भी, क्योंकि संविधान के आदर्शों पर आज जानबूझ कर हमला हो रहा है। उन्होंने कहा- डॉ. आंबेडकर कहते थे कि संविधान कितना भी अच्छा हो, अगर उसे लागू करने वाले बुरे हों तो नतीजा बुरा ही होगा। सोनिया ने कहा- जिन सिद्धांतों और मूल्यों के आधार पर संविधान बना, उन पर आज खतरा मंडरा रहा है। डॉ. अांबेडकर ने संविधान की रचना में कांग्रेस की भूमिका और उसके महत्व को पहचाना था। सोनिया ने कहा- आज सचमुच ऐतिहासिक दिन है। यह संविधान हमारे देश को मजबूत करने वाला दस्तावेज है।


    सोनिया ने कहा, हमारे संविधान का निर्माण दशकों के संघर्ष का परिणाम है। हमारे देश के हर वर्ग ने संघर्ष करते हुए देश को आजाद कराया । इस संविधान को बनाने में 3 साल लगे। उन्होंने कहा- कांग्रेस ही उनकी प्रतिभा को पहचानकर ही संविधान सभा में लाई थी। संविधान ने हमारे समाज के कमजोर तबको को भागीदारी और गौरव का एहसास दिया है। यह निर्विवाद है।

    उन्होंने कहा, हमारे संविधान में सेक्युलर मूल्यों का निवेश है। इसने हमारे शासन को अधिक जवाबदेह बनाया है। हमें डॉक्टर आंबेडकर की चेतावनी नहीं भूलनी चाहिए। उन्हीं के शब्दों में- कोई संविधान कितनी भी अच्छा न हो, यदि उसे लागू करने वाले बुरे निकले। तो वह निश्चित रूप से बुरा ही साबित होगा। कितना भी बुरा संविधान क्यों न हों। यदि उसे लागू करने वाले अच्छे हुए तो वह अच्छा ही साबित होगा। संविधान का व्यवहारिक अमल केवल संविधान की अपनी प्रकृति पर निर्भर नहीं करता। संविधान की भावना का भी उतना ही महत्व है जितना की इसके शब्दों का है।

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