• आप को संजीवनी देगा यह महिला अपमान का दांव ?

    नई दिल्ली ! दिल्ली विधानसभा भाजपा विधायक ओपी शर्मा द्वारा आप विधायक अलका लांबा को 'रात में घूमने वाली महिलाÓ बताने के मामले से आम आदमी पार्टी को महिलाओं के बीच हमदर्दी हासिल करने का जहां एक दांव दे दिया है वहीं सरकार ने विधायकों, जनता के बीच सत्ता विरोधी, कामकाज के प्रति बढ़ती नाराजगी को शून्य कर भाजपा के खिलाफ आंदोलनकारी बना दिया है।...

    अनिल सागर अलका लांबा मामले को हवा देकर भाजपा को पटखनी देने में जुटी आप नई दिल्ली !   दिल्ली विधानसभा भाजपा विधायक ओपी शर्मा द्वारा आप विधायक अलका लांबा को 'रात में घूमने वाली महिलाÓ बताने के मामले से आम आदमी पार्टी को महिलाओं के बीच हमदर्दी हासिल करने का जहां एक दांव दे दिया है वहीं सरकार ने विधायकों, जनता के बीच सत्ता विरोधी, कामकाज के प्रति बढ़ती नाराजगी को शून्य कर भाजपा के खिलाफ आंदोलनकारी बना दिया है। मीडिया में लालू प्रसाद यादव की बाजुओं में मुस्कुराते चेहरे से दिखाई दिए अरविंद केजरीवाल जहां महिलाओं के प्रति इसे बड़ा अपमान मान रहे हैं वही सदन के भीतर भी कई राजनेता इस मुद्दे के बहाने अपने अपने राजनीतिक दांव खेल रहे हैं। इसी विधानसभा सत्र में कई विधायकों ने तल्ख लहजे में सरकार से सवाल कि पिछली सरकार के दौरान उनके इलाके से बसें चलती थीं अब क्यों नहीं चल रही हैं? एक विधायक ने सवाल दाग दिया कि उनके इलाके में फीडर बसें कब आएंगी? जनता की अपेक्षाओं पर खरे उतरने और श्रेय लेने की छटपटाहट भी दिखाई दे रही है जब एक विधायक ने ग्रुप हाउसिंग सोसायटी में विधायक निधि से विकास कार्य करवाए जाने के लिए खुद को श्रेय देने के लिए जमकर वकालत की। समर्थन देने में स्पीकर रामनिवास गोयल भी पीछे नहीं रहे और याद दिलाया कि पिछली भाजपा की 1993 से 1998 और उसके बाद की कांग्रेस सरकार इस मुद्दे पर कैसे विफल रहीं। यह बात दीगर है कि जिस अधिसूचना का जिक्र यहां किया गया वह जारी होने वाली तारीख को समाचार नहीं बन सका या कहें कि सरकार ने इसे औपचारिक तौर पर मीडिया को मुहैया नहीं करवाया।  उपराज्यपाल नजीब जंग से पहले जंग खुलकर चल रही है और राजनिवास ने तो यहां तक आरोप लगाया कि आप सरकार अपने विधायकों पर विभिन्न थानों में दर्ज मुकदमों को वापिस करवाने के लिए दबाव बना रही है। इसके बाद सत्र का ऐलान होने के बाद आप सरकार जो विधेयक लेकर आई उन्हें न तो उपराज्यपाल की मंजूरी के लिए भेजा गया और न ही अपने अधिकारियों की ही सलाह इन पर मानी गई। यह नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने चुनौती देकर कहा भी कि सरकार अपने अधिकारियों की टिप्पणी को विधेयक की प्रमाणिकता को पुख्ता करने के लिए पेश करे। लेकिन शिक्षा विधेयक हो या फिर सीआरपीसी दोनों को पेश कर दिया जबकि सीआरपीसी पारित भी हो गया। हां, उपमुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया ने यह कहा भी कि केंद्र इसे पास करे अथवा नहीं। चूंकि विधायी जानकार मानते हैं कि इस सूरत में सरकार न तो शिक्षा के सुधार लागू कर पाएगी और न ही सीआरपीसी में धारा 176 के तहत पुलिस पर अपने दबाव के लिए इस्तेमाल करने वाला यंत्र हासिल कर सकेगी। लालू प्रसाद यादव से गले मिलने का मामला गरमाया था कि एक विधायक ने जहां सड़क पर एक पुलिसकर्मी से भिड़ कर सुर्खियां बटोर ली तो वहीं एक अन्य विधायक ने बारातियों से ही पंगा ले लिया। बारात का खाना खराब हो गया और अब कहा जा रहा है कि मेरे गांव का मामला है हम निपटा लेंगे। अलका लांबा सहित सभी महिला विधायकों ने महिला सुरक्षा के नाम पर अभी तक खाली हाथ बैठी सरकार को संजीवनी जरूर दे दी है। क्येांकि समाचार पत्रों की सुर्खियों में महिला स्वाभिमान के नाम पर आप का दांव तो महिलाओं के बीच चल ही जाएगा। हां, ओमप्रकाश शर्मा भाजपा से आप में पहुंचे नेताओं व अपने ही दल में बैठे राजनीतिक प्रतिद्वंदियों की बिसात देख कर चलें तो राजनीतिक भविष्य के लिए बेहतर होगा।


     

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