• मैगी की अंतहीन जांच नहीं चल सकती : उपभोक्ता अदालत

    नई दिल्ली ! नेस्ले इंडिया के विरुद्ध सरकार द्वारा 640 करोड़ रुपये का क्लास एक्शन सूट दाखिल किए जाने के बाद देश की शीर्ष उपभोक्ता अदालत ने मंगलवार को कहा, "मैगी के नमूनों की अंतहीन जांच नहीं हो सकती है।" राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निपटारा आयोग (एनसीडीआरसी) के न्यायमूर्ति वी.के. जैन और न्यायमूर्ति बी.सी. गुप्ता की पीठ ने जांच के मुद्दे पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।...

    नई दिल्ली !   नेस्ले इंडिया के विरुद्ध सरकार द्वारा 640 करोड़ रुपये का क्लास एक्शन सूट दाखिल किए जाने के बाद देश की शीर्ष उपभोक्ता अदालत ने मंगलवार को कहा, "मैगी के नमूनों की अंतहीन जांच नहीं हो सकती है।" राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निपटारा आयोग (एनसीडीआरसी) के न्यायमूर्ति वी.के. जैन और न्यायमूर्ति बी.सी. गुप्ता की पीठ ने जांच के मुद्दे पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। पीठ ने कहा कि 31 नमूनों पर फिर से जांच पर वह बाद में फैसला करेगी। सरकार के वकील ने सोमवार को आयोग से मैगी नूडल के 31 नमूनों की फिर से जांच कराए जाने का अनुरोध किया था। पीठ हालांकि 31 नमूनों की जांच के लिए सैद्धांतिक रूप से सहमत हो गई है, फिर भी उसने फैसला सुरक्षित रख लिया और कहा कि फैसला बाद में दिया जाएगा। 31 नमूने सरकार ने पेश किए हैं। अदालत ने करीब दो घंटे की सुनवाई के बाद कहा कि वह यह फैसला भी बाद में करेगी कि यदि इन नमूनों की जांच की जाएगी, तो कहां की जाएगी। सरकार के वकील के अनुरोध पर इससे पहले 15 अक्टूबर को नूडल के नौ बैचों में से 13 नमूनों की जांच का आदेश दिया गया था। फिर से जांच कराने के सवाल पर नेस्ले इंडिया के वकील इकबाल चागला ने अदालत में कहा, "क्या वे पिछली जांच की रपट को इसलिए स्वीकार नहीं करना चाहते हैं, क्योंकि यह हमारे पक्ष में है? क्या इसलिए वे और जांच चाहते हैं।" सरकार के वकील ने कहा, "यह अपनी तरह का पहला मामला है, जब सरकार देश के सभी उपभोक्ताओं का प्रतिनिधित्व कर रही है तो उपभोक्ताओं की ओर से लड़ने की जरूरत है, जो विषैले खाद्य पदार्थ से प्रभावित हुए हैं।" सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता संजय जैन ने कहा कि उत्पाद की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अधिक नमूनों की जांच की जरूरत है। जैन ने सलाह दी कि नए नमूनों की जांच मैसूर के केंद्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी शोध संस्थान या मैसूर के ही रक्षा खाद्य शोध प्रयोगशाला में या कोलकाता की निर्यात जांच एजेंसी में होनी चाहिए। भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण के छह नवंबर के आदेश के तहत हालांकि ये संस्थान मान्यता प्राप्त नहीं हैं।


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