• भारत में सहिष्णुता

    15 दिन में दूसरी बार राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी को देश को याद दिलाना पड़ा कि पांच हजार साल पुरानी भारत की संस्कृति में विविधता और सहिष्णुता का क्या स्थान है, क्या महत्व है। सात धर्म, 16 सौ बोलियां और कई भाषाएं भारत में एक साथ विद्यमान हैं।...

    15 दिन में दूसरी बार राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी को देश को याद दिलाना पड़ा कि पांच हजार साल पुरानी भारत की संस्कृति में विविधता और सहिष्णुता का क्या स्थान है, क्या महत्व है। सात धर्म, 16 सौ बोलियां और कई भाषाएं भारत में एक साथ विद्यमान हैं। राष्ट्रपति ने हाल ही की अपनी जार्डन, फिलीस्तीन और इजरायल की यात्रा का जिक्र करते हुए कहा कि इन तीनों ही देशों में नेताओं, छात्रों और शिक्षकों ने एक जैसा ही सवाल किया कि भारत में इतने मजबूत राष्ट्रवाद के पीछे मंत्र क्या है, जहां धर्म, जाति, भाषा और इसी तरह की कई विविधताएं हैं। उन्होंने आशंका भी जतलाई कि क्या देश में सहिष्णुता और असंतोष को स्वीकार करने की प्रवृत्ति समाप्त हो रही है? दुर्गा पूजा के अवसर पर बुराई पर अच्छाई की जीत, समाज से आसुरी प्रवृत्ति के खात्मे का संदेश और इसी तरह की उपदेशात्मक बातें वरिष्ठों द्वारा की जाती हैं। लेकिन अगर बार-बार देश में बढ़ती असहिष्णुता पर सवाल उठ रहे हैं, तो यह अकारण नहींहै। रोजाना ऐसी घटनाएं हो रही हैं, जिनसे यह संदेश प्रसारित हो रहा है कि समाज में धर्म के नाम पर कट्टरता हिंसक, जानलेवा होने की हद तक बढ़ रही है। विविध धर्मों वाले देश में परस्पर मतभेदों का होना स्वाभाविक है। कभी-कभी मतभेद झगड़े-फसादों तक भी बढ़े हैं, लेकिन फिर उन पर अंकुश भी लगे और जीवन सामान्य गति से चलने लगा। लेकिन अब यह नजर आ रहा है कि एक जगह का झगड़ा शांत हुआ नहींकि दूसरी जगह नया विवाद उठ खड़ा होता है। दादरी हत्याकांड के बाद जम्मू-कश्मीर में एक नौजवान को ऐसी ही अफवाह पर मार डाला गया और अब घाटी फिर पत्थरबाजी, कफ्र्यू और प्रदर्शनों की आग में झुलस रही है। कुछ दिनों पहले जम्मू-कश्मीर में बीफ पार्टी देने वाले विधायक इंजीनियर रशीद के चेहरे पर सोमवार को नई दिल्ली प्रेस क्लब में कालिख पोती गई। पंजाब में गुरूग्रंथ साहिब के अपमान का विवाद और विरोध प्रदर्शन चल रहे हैं। मुंबई में शिवसैनिक पाकिस्तान के विरोध के नाम पर खुलेआम गुंडागर्दी कर रहे हैं। उनके कृत्यों के कारण भारत-दक्षिण अफ्रीका सीरीज में अंपायर अलीम डार और कमेंट्री कर रहे वसीम अकरम व शोएब अख्तर वापस पाकिस्तान लौट रहे हैं। ऐसी और घटनाएं जगह-जगह हो रही हैं, जिनके कारण न केवल राष्ट्रपति के मन में बल्कि बहुसंख्यक भारतीयों के मन में यह सवाल उठ रहा है कि देश के माहौल में संदेह, नफरत, असहिष्णुता क्यों पनप रही है। विपक्षी दल केेंद्र सरकार पर सवाल उठा रहे हैं, जिनका कोई संतोषजनक जवाब नहींमिल रहा है। भाजपा के प्रवक्ता एक समाचार चैनल पर कहते हैं कि विकास के एजेंडे से ध्यान भटकाने के लिए यह साजिश रची जा रही है। अगर ऐसा है तो क्या पूर्ण बहुमत प्राप्त सरकार इस साजिश के आगे लाचार महसूस कर रही है। जिस भाजपा ने करोड़ों लोगों को सदस्य बनाने की मुहिम चलाई, जो विदेश में भारत का झंडा गाडऩे के दावे करती है, जो अधिकतम प्रशासन की बात करती रही है, वह देश की समरसता को बिगाडऩे वालों पर कड़ी कार्रवाई क्यों नहींकरती, ताकि सबको चेतावनी मिल सके। आखिर ऐसा क्यों है कि राष्ट्रपति जो नसीहत देते हैं और जिस पर चलने की अपील प्रधानमंत्री करते हैं, उसे सत्तारूढ़ दल के नेता, कार्यकर्ता ही अनसुनी करते हैं। अगर सांप्रदायिकता के खिलाफ छद्म धर्मनिरपेक्षता विपक्षियों ने खड़ी की है तो भाजपा सरकार उस छद्म आवरण को हटाने और सच्ची धर्मनिरपेक्षता कायम करने के लिए क्या कर रही है? देश में खराब हुए माहौल के बीच हिंदू महासभा ने निर्णय लिया है कि महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोड़से की मृत्यु की तारीख 15 नवंबर को सभी राज्यों में जिला स्तर पर बलिदान दिवस मनाया जाएगा और वे देशभक्त थे या गद्दार यह बहस जमीनी स्तर तक ले जायी जाएगी। गोडसे का बलिदान दिवस मनाने का सीधा अर्थ है कि गांधीजी की हत्या को सही साबित करने की कोशिश हिंदू महासभा करेगी। क्या केेंद्र को इसमें भी विपक्ष की साजिश नजर आती है? भारत की इन तमाम बुरी और निराश करने वाली खबरों के बीच एक अच्छी खबर पाकिस्तान से है, वहां एक रेस्तरां श्रृंखला के मालिक ने कम अवधि के वीजा पर आए भारतीयों के लिए भोजन निशुल्क रखा है और अपने सभी रेस्तरांओं में पाकिस्तान और भारत का झंडा लगाया है। इकबाल लतीफ कहते हैं कि हिंदुस्तानियों को हमारे फ्री खाने की भूख नहींहै। हम बस उन्हें बताना चाहते हैं कि हम उनसे मोहब्बत करते हैं। इकबाल कहते हैं कि हमें गांधी के शांति के संदेश को आगे बढ़ाने की जरूरत है। क्या भारत के लोग सुन रहे हैं।

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