• प्रधानमंत्री की खामोशी और राष्ट्रपति की समझाइश

    देश के अलग-अलग हिस्सों में घट रही कुछ घटनाएं हैं, जिनका प्रत्यक्ष रूप से एक-दूसरे से सीधा संबंध भले न हो, लेकिन इनका डीएनए विश्लेषण किया जाए तो इनका आपसी संबंध समझा जा सकता है। जम्मू-कश्मीर में हाईकोर्ट ने गोमांस पर प्रतिबंध लगाया था, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने दो महीने के लिए रोक लगा दी। ...

    देश के अलग-अलग हिस्सों में घट रही कुछ घटनाएं हैं, जिनका प्रत्यक्ष रूप से एक-दूसरे से सीधा संबंध भले न हो, लेकिन इनका डीएनए विश्लेषण किया जाए तो इनका आपसी संबंध समझा जा सकता है। जम्मू-कश्मीर में हाईकोर्ट ने गोमांस पर प्रतिबंध लगाया था, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने दो महीने के लिए रोक लगा दी।  निर्दलीय विधायक इंजीनियर रशीद गोमांस पर प्रतिबंध की मुखालफत करते रहे हैं। बुधवार को उन्होंने बीफ पार्टी आयोजित की। इसकी खबर मिलने पर भाजपा के कई विधायक एमएलए हास्टल परिसर में पहुंच गए जहां यह पार्टी चल रही थी। वहां इन विधायकों ने न केवल हंगामा मचाया, तोड़-फोड़ की बल्कि भाजपा विधायक रवींद्र रैना द्वारा रशीद को थप्पड़ मारने की खबर भी है। दूसरी खबर, पाकिस्तानी गज़़ल गायक गुलाम अली 9 अक्टूबर को दिवंगत गज़़ल गायक जगजीत सिंह की याद में मुंबई में एक कार्यक्रम पेश करने वाले थे। शिïवसेना ने हमेशा की तरह इस बार भी पाकिस्तान के फनकार का विरोध किया। जो इतना प्रभावशाली था कि आयोजक ने कार्यक्रम रद्द करने का फैसला कर लिया। शिवसेना अपनी देशभक्ति दिखाते हुए चाहती है कि पाकिस्तान जब तक आतंकवाद खत्म नहींकरता, तब तक उसके खिलाडिय़ों या कलाकारों को हिंदुस्तान में आयोजन की अनुमति नहींमिलनी चाहिए। शिवसेना का बस चले तो वह आज ही पाकिस्तान के साथ युद्ध भी छेड़ दे। बहरहाल, महाराष्ट्र सरकार में शामिल शिवसेना के कारण एक बेहतरीन कलाकार को सुनने से मुंबई की जनता वंचित हो गई। देवेन्द्र फडऩवीस की सरकार इतना तक सुनिश्चित नहींकर सकी कि विरोध के बावजूद गुलाम अली का कार्यक्रम आयोजित हो। बांग्लादेश से निकल कर भारत में निर्वासित जीवन बिता रही लेखिका तस्लीमा नसरीन इस घटना से व्यथित होकर सवाल उठाती हैं कि क्या भारत हिंदू सऊदी अरब बनता जा रहा है? गुलाम अली एक गज़़ल गायक हैं, जिहादी नहीं। उन्होंने लिखा है कि कृपया एक जिहादी और गायक में फर्क करें। तीसरी खबर, भारत-पाकिस्तान के बीच चलने वाली समझौता एक्सप्रेस को वाघा सीमा पर रोक कर पाकिस्तानी यात्रियों को उतरने और आगे सफर न करने का अनुरोध किया गया। ऐसा सुरक्षा कारणों से किया गया क्योंकि पंजाब में किसानों की हड़ताल चल रही है और भारतीय अधिकारियों को लगता है कि इससे ट्रेन की सुरक्षा को खतरा है। चौथी खबर दादरी के बिसाहड़ा गांव में गौमांस की अफवाह पर अखलाक की हत्या के बाद शांति की कोशिशें जारी हैं। पांचवी खबर हरियाणा सरकार के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने मांग की है कि रायल बंगाल टाइगर की जगह गाय को राष्ट्रीय पशु बनाया जाए। ये तमाम खबरें, घटनाएं यह बताने के लिए पर्याप्त हैं कि हिंदुस्तान के सामाजिक, सांप्रदायिक, जातीय और धार्मिक सौहाद्र्र का ताानाबाना किस तरह बिखर रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी खामोश हैं। अब  जितना उनका बड़बोलापन चुभता है, उतनी ही उनकी खामोशी भी चुभती है। नयनतारा सहगल और अशोक बाजपेयी द्वारा साहित्य अकादमी सम्मान लौटाने और देश में कई जगह से इस सांप्रदायिकता, संकीर्णता, कट्टरता, असहिष्णुता के खिलाफ उठती आवाजों के बावजूद प्रधानमंत्री की चुप्पी टूट नहींरही है। सरकार की संवेदनशीलता कोमा में चली गई है। नवजोत सिंह सिद्धू की बीमारी पर नरेन्द्र मोदी ट्विटर पर शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना करते हैं। देश की भी यही कामना है। देश का बड़ा वर्ग अखलाक की मौत से, सांप्रदायिक माहौल खराब होने से दुखी है, पर इस दुख की आवाज में प्रधानमंत्री की आवाज शामिल नहींहो रही है। शायद इसलिए संकेतों में ही सही पर राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी को समझाना पड़ा कि जो मूल्य इस देश की खास पहचान रहे हैं, उन्हें खोने नहींदिया जा सकता। ये संकेत भाजपा सरकार को कितने समझ में आते हैं, यह देखने की बात है।

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