• उधर सुकून इधर बेचैनी

    राज्य मौसम विज्ञान केन्द्र की 4 अक्टूबर की रिपोर्ट शहरों की चिन्ता बढ़ाने वाली है। इस रिपोर्ट में 36 डिग्री सेल्सियस के साथ बिलासपुर को छत्तीसगढ़ का सबसे गर्म शहर तो बताया ही गया है, यहां से करीब 100 किलोमीटर दूर पेण्ड्रारोड का जो तापमान बताया गया है वह बिलासपुर की तुलना में आधा से भी कम है।...

    राज्य मौसम विज्ञान केन्द्र की 4 अक्टूबर की रिपोर्ट शहरों की चिन्ता बढ़ाने वाली है। इस रिपोर्ट में 36 डिग्री सेल्सियस के साथ बिलासपुर को छत्तीसगढ़ का सबसे गर्म शहर तो बताया ही गया है, यहां से करीब 100 किलोमीटर दूर पेण्ड्रारोड का जो तापमान बताया गया है वह बिलासपुर की तुलना में आधा से भी कम है। अर्थात पेण्ड्रा के लोग बिलासपुर आए तो उन्हें झुलस जाने का अनुभव हो।  तापमान में इतना अन्तर पहले कभी दर्ज नहीं किया गया। क्रांकीट की बस्तियों में तापमान अधिक होने के कई कारण हो सकते हैं, लेकिन यह जो अंतर है वह सोचने पर विवश करने वाला है। पिछले कुछ वर्षों से बिलासपुर तापमान के मामले में राज्य का सबसे गर्म शहर बना हुआ है। बिलासपुर शहर के आसपास लगे उद्योगों को भी तापमान बढऩे का एक कारण माना जाता है। एनटीपीसी की 3200 मेगावाट सीपत परियोजना को भी इससे जोड़कर देखा जाता है। हालांकि एनटीपीसी के अधिकारी इसे सही नहीं मानते। उनका कहना है कि सीपत जहां प्लांट है वहां बिलासपुर से हमेशा कम तापमान होता है। क्या अरपा की सूखी रेत इसके लिए जिम्मेदार है या शहर की जीवनशैली का वातावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है, शहर के विकास की योजनाएं बनाने वालों को सोचना होगा। एक बड़ी महत्वाकांक्षी विकास परियोजना शहर के लिए तैयार की गई है। अरपा विकास के नाम से एक प्राधिकरण का गठन किया है, जिसके जरिए इस परियोजना को आगे बढ़ाया जाएगा। इसमें अरपा को पुनर्जीवित करने के साथ इसे हमेशा साफ-सुथरा रखने का प्रबन्ध किया जाएगा। पिछले ही साल लिंक रोड के सैकड़ों पेड़ काट डाले गए थे। कहा गया था कि ये पेड़ काफी पुराने हैं और सड़कों पर ट्रैफिक का दबाव कम करने के लिए इन पेड़ों को काटना जरुरी हो गया है। पेड़ों को काटने का विरोध भी हुआ। पेड़ों को बचाना और शहर को हरा-भरा रखना एक मुद्दा है। इन प्रयासों से एक हद तक ही तापमान को नियंत्रित किया जा सकता है। शहर जब स्मार्ट सिटी बनने का रहा है, इस बात पर भी गौर करना होगा कि बढ़ते तापमान को रोकने के क्या उपाय हो सकते हैं। जानकारों के अनुसार एयर कंडीशनरों का उपयोग अधिक होना भी इसका एक बड़ा कारण है। इस पर नियंत्रण का कोई कानून नहीं है। सक्षम वर्ग एयर कंडीशन में सुकून से होता है और आम आदमी झुलसने को मजबूर। एयर कंडीशनों के अधिक उपयोग को हतोत्साहित क्यों नहीं किया जाना चाहिए।

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