• चीन ने भारत के लिए बजाई खतरे की घंटी, ब्रह्मपुत्र पर सबसे बड़ा बांध शुरू

    नई दिल्ली/बीजिंग । तिब्बत में ब्रहमपुत्र नदी पर बनी चीन की सबसे बड़ी पनबिजली परियोजना-जम पनबिजली केेंद्र की सभी छह इकाइयों का समावेश आज पावर ग्रिड में कर दिया गया जबकि इस परियोजना से जल आपूर्ति की आशंका पर भारत की चिंता बढ़ गई है। ...

    - साल में 2.5 अरब किलोवाट-घंटे बिजली उत्पादन करेगा

    नई दिल्ली/बीजिंग । तिब्बत में ब्रहमपुत्र नदी पर बनी चीन की सबसे बड़ी पनबिजली परियोजना-जम पनबिजली केेंद्र की सभी छह इकाइयों का समावेश आज पावर ग्रिड में कर दिया गया जबकि इस परियोजना से जल आपूर्ति की आशंका पर भारत की चिंता बढ़ गई है। चीन के वुहान में स्थित प्रमुख चीनी पनबिजली ठेकेदार चाइना गेक्षोउबा ग्रुप ने समाचार एजेंसी शिन्हुआ को बताया कि केंद्र की सभी इकाइयों का समावेश पावर ग्रिड में करा दिया गया है और इससे डेढ़ अरब डॉलर के केंद्र ने संचालन करना शुरू कर दिया। शन्नान प्रिफेक्चर के ग्यासा काउंटी में स्थित जम हाइड्रो पावर स्टेशन को जांगमू हाइड्रोपावर स्टेशन के नाम से भी जाना जाता है। यह ब्रहमपुत्र नदी के पानी का इस्तेमाल करता है। ब्रहमपुत्र नदी को तिब्बत में यारलुंग जांगबो नदी के नाम से जाना जाता है। यह नदी तिब्बत से भारत आती है और फिर वहां से बांग्लादेश जाती है। इस बांध को विश्व की सबसे ज्यादा ऊंचाई पर बने पनबिजली केंद्र के रूप में जाना जाता है। यह अपने किस्म की सबसे बड़ी परियोजना है जो एक साल में 2.5 अरब किलोवाट-घंटे बिजली उत्पादन करेगी।  इस बांध को विश्व की सबसे ज्यादा ऊंचाई पर बने पनबिजली केन्द्र के रूप में जाना जाता है। यह अपने किस्म की सबसे बड़ी परियोजना है जो एक साल में 2.5 अरब किलोवाट-घंटे बिजली उत्पादन करेगी। यह मध्य तिब्बत की बिजली की किल्लत दूर करेगी और बिजली की कमी वाले क्षेत्र में विकास लाएगी।

    तिब्बत से भारत आती है ब्रह्मपुत्र नदी शन्नान प्रिफेक्चर के ग्यासा काउंटी में स्थित जम हाइड्रो पावर स्टेशन को जांगमू हाइड्रोपावर स्टेशन के नाम से भी जाना जाता है। यह ब्रह्मपुत्र नदी के पानी का इस्तेमाल करता है। ब्रह्मपुत्र नदी को तिब्बत में यारलुंग जांगबो नदी के नाम से जाना जाता है। यह नदी तिब्बत से भारत आती है और फिर वहां से बांग्लादेश जाती है।


    भारत की चिंता वर्ष 2013 में बनी सहमति के अनुसार चीनी पक्ष ब्रह्मपुत्र की बाढ़ के आंकड़े जून से अक्टूबर के बजाय मई से अकटूबर के दौरान प्रदान करने में सहमत हुआ था। 2008 और 2010 के नदी जल करारों में जून से अक्टूबर के दौरान आंकड़े प्रदान करने का प्रावधान था। भारत को चिंता है कि अगर पानी बाधित किया गया तो ब्रह्मपुत्र नदी की परियोजनाएं, खास तौर पर अरूणाचल प्रदेश की अपर सियांग और लोअर सुहांस्री परियोजनाएं प्रभावित हो सकती हैं।

     

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