• व्यवस्था के हाथों फुटबाल बनी बच्ची

    कटनी (म.प्र) । वो अभी केवल 13 साल की ही है, उसका दोष यह है कि उसके सौतेले पिता ने उसके साथ बलात्कार किया। अब वह 7 माह की गर्भवती है और उसे सरकारी फरमान का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। अब हालत यह है, कि इस बच्ची को कहां रखा जाए, यह एक पहेली बनी हुई है। मामला मंप्र के पन्ना जिले का है।...

    भारत शर्मा कटनी (म.प्र) । वो अभी केवल 13 साल की ही है, उसका दोष यह है कि उसके सौतेले पिता ने उसके साथ बलात्कार किया। अब वह 7 माह की गर्भवती है और उसे सरकारी फरमान का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। अब हालत यह है, कि इस बच्ची को कहां रखा जाए, यह एक पहेली बनी हुई है। मामला मंप्र के पन्ना जिले का है। यहां यह आदिवासी बच्ची अपनी मां के साथ रहती थी, उसके पिता की मौत काफी पहले हो चुका था, मां ने दूसरी शादी कर ली, दूसरे पिता ने इस बच्ची का शोषण शुरू किया। यह सिलसिला पिछले तीन साल से चल रहा था, पर मां इस बात को मानने को तैयार नहीं थी। जब बेटी गर्भवती हो गई, तब भी मां ने इसे स्वीकार नहीं किया। गर्भ जब पांच माह से ऊपर का हो गया, तब जाकर उसे अस्पताल ले जाया गया। जानकारी सामने आने के बाद पुलिस ने सौतेले बाप पर मुकदमा दर्ज कर उसे जेल भेज दिया, पर आफत उस बच्ची पर आ गई। बताया जाता है, कि उसकी मां उसे साथ रखने को तैयार नहीं है, क्योंकि वह यह मानती है, कि इसके कारण उसका पति जेल चला गया है, दूसरी तरफ समाज ने भी उसका एक तरह से बहिष्कार कर दिया है। इस बच्ची के सामने फिर से नई परेशानियां खड़ी हो गई, अब सवाल सामने आया, बच्ची को कहां रखा जाए? पन्ना में ऐसी बच्चियों को रखने की जगह नहीं है, लिहाजा पन्ना जिले की बाल कल्याण समिति ने उसे लिटिल स्टार चिल्ड्रन होम कटनी में उसे भेज दिया। इस संस्थान को डॉ. संमीर चौधरी और उनकी पत्नी मिलकर चलाते हैं। वे लावारिश बच्चियों को यहां रखकर उनका पालन करते हैं। डा चौधरी खुद बाल रोग विशेषज्ञ हैं और उनकी पत्नी स्त्री रोग विशेषज्ञ हैं, इनके भाई का अपने नर्सिंग होम भी है। कटनी आने के बाद इस बच्ची के सामने नई परेशानी हुई, मामला पुलिस केस का था, इसलिए सरकारी संस्थानों के भरोसे ही रहना है। हालांकि डॉ. चौधरी ने उस बच्ची का पूरा चैक अप कराया है, पर नियम के अनुसार उसे सरकारी अस्पताल में अपनी जांच करानी है। बच्ची अल्प आयु की है, इसलिए कटनी के जिला अस्पताल ने उसे गंभीर मानते हुए जबलपुर रिफर कर दिया। जानकारों का कहना है, इसकी जरुरत नहीं थी, क्योंकि अभी तो केवल जांच भर होना था, डिलिवरी के वक्त उसे मेडिकल कालेज भेजा जा सकता था, फिलहाल इसकी जरुरत नहीं थी, दूसरी तरफ नियमानुसार सरकारी अस्पताल इस तरह के मामलों में बाहर से भी विशेषज्ञों को बुला सकता है।


     

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