• दादरी हत्याकांड : मोदी की चुप्पी पर साहित्यकार अशोक वाजपेयी ने भी पुरस्कार लौटाया

    नई दिल्ली ! देश की सांस्कृतिक विविधता पर पैदा हुए खतरे पर नाराजगी जताते हुए जानेमाने हिंदी साहित्यकार अशोक वाजपेयी ने भी अपना साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटा दिया है। राष्ट्रीय ललित कला अकादमी के पूर्व प्रमुख वाजपेयी का कहना है कि भारत की सांस्कृतिक विरासत पर जिस शातिर तरीके से हमले हो रहे हैं, उसे देखते हुए इस बारे में लेखकों को खड़े होने का वक्त आ गया है।...

    नई दिल्ली !   देश की सांस्कृतिक विविधता पर पैदा हुए खतरे पर नाराजगी जताते हुए जानेमाने हिंदी साहित्यकार अशोक वाजपेयी ने भी अपना साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटा दिया है। राष्ट्रीय ललित कला अकादमी के पूर्व प्रमुख वाजपेयी का कहना है कि भारत की सांस्कृतिक विरासत पर जिस शातिर तरीके से हमले हो रहे हैं, उसे देखते हुए इस बारे में लेखकों को खड़े होने का वक्त आ गया है। गौरतलब है कि इससे पहले भी साहित्कार उदय प्रकाश ने कन्नड़ लेखक एम.एम. कलबुर्गी की हत्या के विरोध में अपना पुरस्कार लौटा दिया था। इससे पहले मंगलवार को देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित नेहरू की भतीजी नयनतारा सहगल ने अपना साहित्य अकादमी अवॉर्ड लौटा दिया था। उनसे पहले कन्नड़ लेखक एम.एम. कलबुर्गी की हत्या से दुखी मशहूर लेखक उदय प्रकाश ने भी अपना अवॉर्ड लौटा दिया था। मशहूर लेखक अशोक वाजपेयी ने दादरी में गौमांस की अफवाह फैलने के बाद अखलाक नाम के शख्स की हत्या से जुड़ी घटना का जिक्र तो नहीं किया। लेकिन उन्होंने इसी तरफ इशारा करते हुए कहा, हमारे प्रधानमंत्री लाखों लोगों को संबोधित करते हैं, कई मुद्दों पर अपनी राय भी रखते हैं, लेकिन सास्कृतिक विरासत पर हो रहे हमलों को लेकर वे चुप क्यों हैं? प्रधानमंत्री कुछ क्यों नहीं बोलते? निर्दोष लोगों की हत्या हो रही है, लेखकों को मारा जा रहा है, उनके मंत्री भड़काऊ बयानबाजी कर रहे हैं, लेकिन मोदी चुप हैं। देश की गंगा जमुनी तहजीब की तरफ इशारा करते हुए वाजपेयी ने कहा, यह देश बहुवचन है और बहुवचन ही रहेगा। अवॉर्ड लौटाने पर उन्होंने कहा कि जब इंग्लिश लिटरेचर लिखने वालीं नयनतारा इस मामले में सख्त कदम उठा सकती हैं तो हिंदी के लेखकों को भी उनका समर्थन करने की जरूरत है। वाजपेयी को उनकी कविताओं के लिए साल 1994 में साहित्य अकादमी पुरस्कार दिया गया था।


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