• दादरी कांड पर अखिलेश और आजम आमने-सामने

    आजम खां द्वारा संयुक्त राष्ट्र को चिट्ठी लिखे जाने को मुख्‍यमं‍त्री अखिलेश यादव ने अनुचित करार दिया है लेकिन उनके छोटे भाई प्रतीक यादव की पत्‍नी अपर्णा ने आजम खां का समर्थन किया है। इस बीच आजम खां ने खुद को सही मानते हुए सरकार पर ही कई सवाल उठाए हैं।...

    -मुख्‍यमंत्री बोले- इस मसले पर यूएन को चिट्ठी लिखना ठीक नहीं

    -पलटकर आजम ने कहा- क्‍या बदायूं मसले पर यूएन को खत लिखना सही था

    -सियासी गलियारों में तरह तरह की चर्चाएं, दोनो नेताओं में दूरी बढ़ने का अंदेशा

    लखनऊ, 7 अक्‍टूबर (देशबंधु) : दादरी मामले पर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री और सरकार का मुस्लिम चेहरा कहे जाने वाले आजम खां द्वारा संयुक्त राष्ट्र को चिट्ठी लिखे जाने को मुख्‍यमं‍त्री अखिलेश यादव ने अनुचित करार दिया है लेकिन उनके छोटे भाई प्रतीक यादव की पत्‍नी अपर्णा ने आजम खां का समर्थन किया है

    इस बीच आजम खां ने खुद को सही मानते हुए सरकार पर ही कई सवाल उठाए हैं। इस मसले को लेकर अखिलेश यादव और आजम खां आमने-सामने आ गए हैं। आजम खां ने फिर कहा है कि इस मामले को यूएन ले जाने से उन्हें कोई नहीं रोक सकता है, वहीं अखिलेश यादव ने कहा कि यह घर का मामला है। इस पर बात यहीं होनी चाहिए। वैसे उन्‍होंने भाजपा पर तंज कसते हुए यह भी कहा कि ये चालू लोग हैं। हर छह महीने पर नई समस्‍या पैदा करते रहते हैं। इनसे सावधान रहने की जरूरत है।

    यह मामला आज उत्‍तर प्रदेश उर्दू अकादमी के कार्यक्रम में उठा तो मुख्‍यमंत्री की बात पर आजम खां कुछ तिलमिलाए से दिखे। आजम खां ने कहा कि जब कैलाश सत्‍यार्थी को यूएन में पुरस्कार मिल सकता है तो हम अपनी बात वहां क्यों नहीं पहुंचा सकते हैं

    एक और उदाहरण देते हुए उन्‍होंने कहा कि बदायूं मसले को भी यूएन ले जाया गया था, जिसके बाद मुख्‍यमंत्री को जवाब भी देना पड़ा था। ऐसे लोगों को कुछ नहीं गया और मुझे गद्दार कहा जा रहा है। जब मुख्‍यमंत्री जी ने विदेश में सबको चोर कहा, सबको कमीशन खोर कहा तब बदनामी नहीं हुई।

    अपनी पीड़ा को सियासी चोला पहनाते हुए आजम ने कहा कि लोग कहते हैं कि पाकिस्तान चले जाओ। आखिर कब तक वे पाकिस्तान भेजेंगे। इस्लामिक स्टेट जाना होता तो देश से प्यार करने वाले मुसलमान आजादी के समय ही चले जाते। उन्होंने कहा कि बाबरी से दादरी का मंसूबा आखिर क्या है।


       आजम खां के सियासत और इस पर मुख्‍यमंत्री अखिलेश यादव के प्रतिवाद को लेकर कई कयास लगाए जा रहे हैं।

    सियासी गलियारों में यह भी चर्चा है कि आजम खां ऐसे हालात पैदा कर देना चाहते हैं कि जिससे यह मुसलमानों को लगे कि सपा सरकार मुसलमानों के साथ खड़ी है लेकिन अगर अखिलेश यादव भी उनके सुर में सुर मिलाते दिखेंगे तो केंद्र सरकार उन पर भौंहें तरेरेगी और रिश्‍तों में कुछ ज्‍यादा ही खटास आ जाएगी। वैसे उनके भाई की पत्‍नी ने भले ही आजम खां की बात का समर्थन किया है लेकिन चूंकि उनकी कोई राजनीतिक पहचान नहीं है, इसलिए मुलायम सिंह यादव या अखिलेश सरकार पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। पर आजम खां और मुख्‍यमंत्री अखिलेश यादव के बीच जो संवाद हुआ है उससे दोनो नेताओं के रिश्‍तों पर तरह तरह की बातें हो रही हैं।

    पिछले पौने चार साल में यह पहला मौका है जब अखिलेश यादव ने आजम खां की बात पर सार्वजनिक रूप से अस‍हमति जताई है। इससे दोनों नेताओं के बीच दूरी बढ़ने का भी अंदेशा जताया जा रहा है।

    रतिभान त्रिपाठी

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