• बिसाहड़ा मामला :वीआईपी हुए शांत पर अफवाहों ने उड़ाई नींद

    दनकौर ! सोमवार को बिसाहड़ा में पीडि़त परिवार से मिलने वाले वीआईपी का सिलसिला तो थम गया लेकिल अफवाहों ने पुलिस और प्रशासन की नींद उड़ा दी है। सोमवार सुबह दनकौर कोतवाली क्षेत्र में सलारपुर अंडरपास के नजदीक गौकशी की सूचना मिलने पर पुलिस में हड़कंप मच गया।...

     दनकौर में गौकशी की सूचना पर पुलिस में मचा हड़कंप ठ्ठ पुलिस को मौके पर से चार गाय के शव बरामद  ठ्ठ पूछताछ में पता चला कि बीमारी के कारण हुई मौत दनकौर !   सोमवार को  बिसाहड़ा  में पीडि़त परिवार से मिलने वाले वीआईपी का सिलसिला तो थम गया लेकिल अफवाहों ने पुलिस और प्रशासन की नींद उड़ा दी है।  सोमवार सुबह दनकौर कोतवाली क्षेत्र में सलारपुर अंडरपास के नजदीक गौकशी की सूचना मिलने पर पुलिस में हड़कंप मच गया। पुलिस को मौके पर 4 गायों के शव पड़े हुए मिले। आनन फानन में पुलिस ने चारों शवों को वहीं दफना दिया। पुलिस के मुताबिक सभी मृतक गाय दनकौर में स्थित गऊशाला की थी, जोकि रविवार को बीमारी के कारण मर चुकी थी। जानकारी के मुताबिक दनकौर कस्बे में रहने वाले नवीन और तेजपाल सुबह के समय दनकौर सलारपुर रोड पर टहलने के लिए गए थे। नवीन ने बताया कि एक व्यक्ति 4 मरी हुई गायों को बुग्गी में डालकर ले जा रहा था। उन्होंने बुग्गी रूकवाकर गायों को नीचे उतार लिया और पुलिस को सूचना दे दी। सूचना मिलते ही पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया और आनन फानन में थानाध्यक्ष प्रवीण यादव पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंच गए। पुलिस ने मृतक गायों को गढा खुदवाकर दफना दिया। पुलिस के मुताबिक चारों गाय द्रोण गऊशाला की थी और बीमारी से ग्रस्त होने के कारण रविवार को ही मर चुकी थी। गऊशाला समिति ने मृत गायों की गौकशी का ठेका कस्बे के ही एक व्यक्ति को दिया हुआ है। वहीं व्यक्ति मृत गायों को कट्टीघर लेकर जा रहा था। कस्बे के ही दो लोगों ने सूचना पुलिस को दी। पुलिस ने मृत गायों को दफना दिया है।   एसडीएम सदर सुभाष यादव ने बताया कि दनकौर की द्रोण गऊशाला की चार मृतक गायों की गौकशी की सूचना पुलिस को मिली थी। पुलिस ने गायों को दफना दिया है और गऊशाला समिति के प्रबंधक को मृतक गायों को दफनाने की व्यवस्था करने की चेतवानी दी गई है। समिति की ओर से जल्द बैठक कर मामले का समाधान करने का आश्वासन दिया गया है।    बिसाहड़ा में थमा दलों का पहिया  आखिरकार अखलाक की हत्या पर शुरू हुआ नेताओं का सांत्वना देने के बहाने गांव में आवाजाही का दौर सोमवार को थम गया। जिसके बाद गांव के लोगों ने राहत की सांस ली। ग्रामीण सुबह होते ही अपनी मजदूरी के लिए गांव से बाहर जाते देखे गए। गांव में पूरे दिन अमन शांति का माहौल रहा। जिसके बाद प्रशासन के उच्च अधिकारियों ने भी राहत की सांस ली है। हालांकि पुलिस गांव में मोर्चा संभाले हुए हैं। वहीं पुलिस व प्रशासन के आला अफसरान पल-पल की जानकारी लेते दिखे। बता दें कि अखलाक की हत्या के बाद गांव राजनीतिक का अखाड़ा बन गया था। राजनेताओं के विवादित बयानों ने गांव में बड़े प्यार से रह रहे दो समुदायों के बीच लंबी खाई खींच दी थी। घटना के बाद दोनों समुदायों के लोग एक दूसरे से आंखें चुरा रहे थे। वहीं नेताओं के बड़बोलेपन ने गांव में बहने वाली शांति की बयार को भंग कर दिया था। घटना के सात दिन बाद गांव में जैसे ही राजनीतिक नेताओं का जमावड़ा खत्म हुआ। वहीं गांव में अमन शांति की आबोहवा बहने लगी। गांव में दोनों संप्रदायों के लोग को एक साथ बैठे देखा गया। गांव में दोनों समुदायों के बीच बिगड़ती बात सुधरते दगेख बड़े बुजुर्ग खुश है। उन्हें दोनों समुदायों के बीच खुदी गहरी खाई भरती दिखाई दे रही है। बुजुर्ग रामपाल ने गांव की हालातों से परिचित कराते हुए बताया कि गांवों में मीडिया पहले ही हटा दी थी। सोमवार को नेताओं का पहिया भी थमा रहा। जिसके बाद गांव में अमन शांति का माहौल है। ग्रामीण सतपाल का कहना है कि नेताओं ने गांव को राजनीति का अखाड़ा बनाया हुआ है।  वहीं मीडिया उसमें नमक मिर्च लगाकर लोगों के सम्मुख पेश कर रही है। गांव में दोनों समुदायों के बीच पहले से प्यार था है, और रहेगा। बता दें कि गांव में राजनेताओं का जमावड़ा लगा हुआ था। पहले वृंदा कारत, ओवैसी, महेश शर्मा, अरविंद केजरीवाल, राहुल गांधी व बसपा नसीमुद्दीन सिद्दीकी समेत क्षेत्रीय नेताओं का आगमन हुआ। जिसके बाद यह लड़ाई दो या तीन परिवारों के बीच न होते हुए राजनीतिक दलों का अखाड़ा बन गई थी। सोमवार को गांव में किसी नेता के न पहुंचने से जहां ग्रामीणों ने राहत की सांस ली।  20 गांवों मे सद्भावना समिति का गठन बिसाहड़ा मे हुए बवाल के बाद अब प्रशासन चाहता कि किसी भी प्रकार की लापरवाही नहीं हो इसके लिए बिसाहड़ा के आसपास के गांवों में जिलााधिकारी ने सद्भावना समिति का गठन किया है। दादरी एनटीपीसी गेस्ट हाउस में हुई बैठक में जिलाधिकारी ने बताया कि उनके द्वारा भी कई गांवों मे जाकर ग्रामीणों से बात की गई है। गांव के गणमान्य लोगों ने प्रशासन को विश्वास दिलाया है कि क्षेत्र मे अमन शांति बनाए रखने के लिए पूर्ण सहयोग किया जाएगा। डीएम ने बताया कि जनपद के सभी ग्रामों में मृत पशुओं का रजिस्टर बनाकर प्रधान द्वारा ब्यौरा रखा जाएगा। समिति मे ग्राम विकास अधिकारी मृत पशु का स्वामी मृत पशुओं निस्तारण के लिए नामित ठेकेदार संबंधित थानाअध्यक्ष मौजूद होंगे। उन्होंने कहा मृत पशु का फोटो और उसका ब्यौरा रजिस्टर मे लिखा जाएगा। उसके बाद समिति के सभी सदस्यो के हस्ताक्षर के बाद सभी की सहमति के आधार पर गुणवत्ता के साथ निस्तारण होगा। इस बैठक मे ऊंचा हमीरपुर, सलारपुर, धूममानिकपुर, जारचा, छौलस, आदि गांवों के प्रधान मौजूद थे। छुट भैया नेताओं की अब गांव में होगी नो एन्ट्री   अफवाह में अखलाक की हत्या से सुर्खियों में आया बिसाहड़ा गांव की हो रही फजीहत से जहां बुजुर्गों महिलाओं व युवाओं का मन खिन्न है। वहीं घटना के बाद गांवों में लगा राजनीतिक जमवाड़ा भी लोगों को खलने लगा है। ग्रामीणों ने अब दो टुक कहा है कि किसी कीमत पर गांव को राजनीति का अखाड़ा नहीं बनने दिया जाएगा। इसके साथ ही सोमवार को ग्रामीणों ने गांव में आने वाले छुट भैया नेताओं पर भी नो एन्ट्री लगा दी।  इसके साथ ही ग्रामीणों ने मीडिया पर भी लगाम कसते हुए चले जाने की हिदायत दी है। ग्रामीणों का कहना है कि जो घटना घटी शर्मनाक थी। नहीं घटनी चाहिए थी। जो हुआ उस पर कानूनी कार्रवाई की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है। अब गांव की इस घटना को किसी भी कीमत पर राजनीतिक अखाड़ा नहीं बनने दिया जाएगा। बिसाहड़ा गांव की महिला राजवंती, दयावती व सुमन का कहना है कि  बहुत हुआ अब हमें खाने ओर कमाने दो, घटना पर राजनीतिक रोटियां सेंकना बंद करों। बता दें कि दिग्गज नेताओं के साथ-साथ अब गांव के बाहर मीडिया का जमवाड़ा देख छुट भैया नेता भी सांत्वना के बहाने पहुंच रहे हैं। रविवार व सोमवार को गांव के बाहर छुट भैया नेताओं का जमावड़ा देखा गया। हालांकि गांव में ग्रामीणों की सख्ती के आगे छुट भैयाओं को अपनी मंशा मन में ही दबाकर रखनी पड़ी। जारचा कोतवाली क्षेत्र के बिसाहड़ा गांव में बीते 28 सितम्बर को हुए बवाल का दिन मृतक अखलाक के परिवार के आंखों से ओझल ही नहीं हो पा रहा है। पीडि़त ने इस गम को भूलने की काफी कोशिश की। मगर स्थानीय सियासी नेताओं की मौजूदगी उनके गम की आग में घी डालने का काम कर रही है। गांव के स्थानीय नेता उनके जख्मों को और हरा कर दे रहे हैं। जिसे वह लाख कोशिशों के बाद भी नहीं भूल पा रहे हैं। जिसकी वजह से अखलाक का परिवार और उससे ताल्लुक रखने वाले लोग भी दहशत में है।  


     

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