गांव वालों से लगने लगा है भय ठ्ठ स्थायी ठिकाने की तलाश
नोएडा ! लगता है अब गांव में कोई अपना नहीं रहता। सभी लोग जान के दुश्मन बन गए हैं। जैसे ही कोई सुरक्षित ठिकाना मिल जाएगा, गांव छोड़कर चले जाएंगे। इसके बाद परिवार का कोई सदस्य गांव में कदम नहीं रखेगा। यह कहना है कि बिसाहड़ा कांड के मृतक अखलाक के बेटे सरताज का। वह कैलाश अस्पताल में भर्ती भाई दानिश का इलाज करा रहा है। दानिश की हालत में मामूली सुधार है।
सरताज ने बताया कि वह सरताज अभी तक उस रात का गम नहींभूल पाया है। बचपन से जिन दोस्तों के साथ खेल कर वह बड़ा हुआ आज वहीं उसके पिता के कातिलों में शामिल हैं। परिवार अब भी बुरी तरह दहशत में है। आज भी रह-रह कर उसकी बहन शाइस्ता घटना को याद कर कांप उठती है। जिन लोगों ने उसके पिता को पीट-पीट कर मौत के घाट उतार दिया और भाई अब भी जिंदगी और मौत से लड़ रहा हैं, ऐसे में गांव वालों पर कैसे भरोसा करे।
उन्होंने कहा कि एक स्थायी ठिकाने की तलाश है, ठिकाना मिलते ही गांव छोड़ कर चला आएगा। फिर इस गांव में कभी दोबारा पैर नहीं रखूंगा। सरताज ने कहा कि प्रदेश सरकार ने मकान के लिए आश्वासन दिया है। जैसे ही कहीं पर मकान मिल जाता है। उसके बाद गांव बिसाहड़ा छोड़ कर चले जाएगें। एयर फोर्स के अधिकारियों से बात हुई है। वहां से भी आश्वासन मिला है कि रहने के लिए मकान मिल जाएगा। लेकिन वह अस्थायी होगा।
समय से मिलती मदद तो बच सकते थे अखलाक
सेक्टर-27 स्थित कैलाश अस्पताल में दानिश का इलाज करा रहे सरताज ने बताया कि अगर समय से लोगों की मदद मिल जाती तो शायद हमारे पिता अखलाक जिन्दा होते। लोग तमाशा देखते रहे और भीड़ मेरे पिता को घसीटती रही। अगर इस भीड़ में से कुछ लोग मदद को सामने आए होते वह आज हमारे बीच में होते। सोमवार रात हुए हमले का वो मंजर जीवन भर याद रहेगा उसको कभी भूल नही पाऊंगा। मेरे पिता को मारा गया वह एक साजिश थी। नहीं तो इतनी भीड़ में कुछ लोग तो मेरे साथ होते। लेकिन हालत यह थी कि सब लोग एक तरफा थे और जिसके हाथ में जो भी था उसके भाई और पिता पर मारना शुरू कर दिया। पूरा परिवार चीखता चिल्लाता रहा लेकिन मदद के लिए कोई सामने नहीं आया। दोनों को घसीट-घसीट कर अधमरा कर दिया गया।