• दादरी मामलाः हमले में शामिल दस में से सात आरोपी भाजपा नेता के रिश्तेदार

    नोएडा। उत्तर प्रदेश के दादरी में बीफ खाने की अफवाह फैलने के बाद मोहम्मद अखलाक नाम के शख्स की पीट-पीटकर हत्या करने के मामले में हर रोज नए खुलासे हो रहे हैं। एक अंग्रेजी अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक, भीड़ ने जब अखलाक के घर पर हमला किया तो उन्होंने घबराकर अपने बचपन के दोस्त मनोज सिसोदिया को कॉल करके मदद मांगी। सिसोदिया ने पुलिस को जानकारी दी और दोस्त की मदद के लिए उसके घर भागे। पुलिस और सिसोदिया, दोनों घटना के 15 मिनट के अंदर मौके पर पहुंचे, लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी। अखलाक मारे जा चुके थे। उधर, जानकारी मिली है कि मामले में आरोपी दस में से सात भाजपा नेता संजय राणा के रिश्तेदार हैं। ...

    अखलाक ने आखिरी बार अपने हिंदू दोस्त को मदद के लिए किया था फोन

    नोएडा। उत्तर प्रदेश के दादरी में बीफ खाने की अफवाह फैलने के बाद मोहम्मद अखलाक नाम के शख्स की पीट-पीटकर हत्या करने के मामले में हर रोज नए खुलासे हो रहे हैं। एक अंग्रेजी अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक, भीड़ ने जब अखलाक के घर पर हमला किया तो उन्होंने घबराकर अपने बचपन के दोस्त मनोज सिसोदिया को कॉल करके मदद मांगी। सिसोदिया ने पुलिस को जानकारी दी और दोस्त की मदद के लिए उसके घर भागे। पुलिस और सिसोदिया, दोनों घटना के 15 मिनट के अंदर मौके पर पहुंचे, लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी। अखलाक मारे जा चुके थे। उधर, जानकारी मिली है कि मामले में आरोपी दस में से सात भाजपा नेता संजय राणा के रिश्तेदार हैं।


    पुलिस के मुताबिक, अखलाक की कॉल डिटेल्स से पता चलता है कि उन्होंने आखिरी बार सिसोदिया को रात साढ़े दस बजे के आसपास कॉल किया। सब इंस्पेक्टर सतबीर सिंह चौहान ने भी बताया कि पुलिस को कॉल करने वाले सिसोदिया ही थे। अखलाक के फोन में भी आखिर डायल हुआ नंबर सिसोदिया का ही था। सिसोदिया गांव में ही एक छोटी-सी किराने की दुकान चलाते हैं। उनका घर अखलाक के घर से 500 मीटर की दूरी पर है। सिसोदिया ने बताया कि उन्हें अपने दोस्त की मौत से सदमा लगा है, क्योंकि इस घटना से पहले गांव में सांप्रदायिक हिंसा का कोई मामला नहीं हुआ था। मनोज ने बताया, ''गांव के हिसाब से काफी रात हो चुकी थी और मैं सोने की तैयारी कर रहा था। तभी मेरे मोबाइल स्क्रीन पर अखलाक का नाम उभरा। वह काफी डरा हुआ था। उसने कहा, "मनोज भाई, हम खतरे में हैं। किसी तरह पुलिस को फोन करके फोर्स बुलवा दो। ये उसके आखिरी शब्द थे।" मनोज ने कहा, ''मैंने पुलिस को फोन करके बताया कि मेरे दोस्त की जान खतरे में हैं। फोन रखकर मैं दोस्त के घर की ओर दौड़ा। मैं कहीं भी रुका नहीं, लेकिन देर हो चुकी थी। पुलिस भी पंद्रह मिनट के अंदर आ गई। अगर मैं थोड़ी देर पहले पहुंचता तो शायद भीड़ का गुस्सा कम करने की कोशिश करता।''

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