• वायु सेना के जांबाज अमेरिका के रेड फ्लैग में दिखाएंगे अपने जौहर

    नयी दिल्ली ! भारतीय वायु सेना के जांबाज लड़ाकू पायलट अमेरिका के अलस्का में अगले वर्ष होने वाले विश्वप्रसिद्ध ‘ रेड फ्लैग’ में अपने जौहर दिखाएंगे। भारतीय टुकड़ी इस बहुस्तरीय अभ्यास में वर्ष 2008 के बाद से दूसरी बार इसमें हिस्सा लेगी। वायुसेना के उच्च पदस्थ सूत्रों ने यहां यूनीवार्ता काे बताया कि सरकार ने इस रोमांचक और प्रतिष्ठित अभ्यास में हिस्सा लेने की अनुमति प्रदान कर दी है...

    नयी दिल्ली !   भारतीय वायु सेना के जांबाज लड़ाकू पायलट अमेरिका के अलस्का में अगले वर्ष होने वाले विश्वप्रसिद्ध ‘ रेड फ्लैग’ में अपने जौहर दिखाएंगे। भारतीय टुकड़ी इस बहुस्तरीय अभ्यास में वर्ष 2008 के बाद से दूसरी बार इसमें हिस्सा लेगी। वायुसेना के उच्च पदस्थ सूत्रों ने यहां यूनीवार्ता काे बताया कि सरकार ने इस रोमांचक और प्रतिष्ठित अभ्यास में हिस्सा लेने की अनुमति प्रदान कर दी है। इस अभ्यास में दुनिया भर की 50 से अधिक वायुसेनाओं के पायलट भाग लेते हैं। इनमें अधिकतर उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) से संबंधित देशों की होती है। भारतीय वायुसेना ने वर्ष में 2008 में पहली बार इस अभ्यास रेड फ्लैग में भाग लिया है। यह अभ्यास अलस्का के नेलिश में होता है, जो वायु सैन्य अभ्यास के लिए मक्का माना जाता है। भारतीय वायुसेना इस अभ्यास में हिस्सा लेने के लिए रूस निर्मित सुखोई -30 एमकेआई लेकर पहली बार अमेरिका जाएगी। अमेरिकी वायुसेना भी इस लड़ाकू विमान को देखने की इच्छुक है और यह पहली बार अमेरिकी आकाश में उड़ान भरेगा। सूत्रों ने बताया कि यह अभ्यास वर्ष 2016 के अगस्त में होने की उम्मीद है। हालांकि इसमें भाग लेने की लागत लगभग 100 करोड़ रुपए आएगी। अभ्यास में भाग लेने के लिए सभी वायुसेनाओं को दो भागों ‘ब्ल्यू’ अौर ‘व्हाइट’ फोर्स में बांटा जाता है। इसमें एक पक्ष आक्रमणकारी होता है जबकि दूसरा बचाव पक्ष होता है। वर्ष 1975 से आयोजित होने वाले इस रेड फ्लैग अभ्यास में चार लाख 40 हजार सैन्यकर्मी हिस्सा लेते हैं। इनमें एक लाख 45 हजार से अधिक वायुसेना कर्मी होते हैं। ये छह लाख 60 हजार घंटे की तीन लाख 85 हजार उडान भरते हैं।


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