• मक्का हादसे के सबक

    सऊदी अरब के विश्वप्रसिद्ध धार्मिक शहर मक्का में 15 दिनों के भीतर दो दर्दनाक हादसे हुए और कई बेकसूर लोग अकाल मौत के शिकार हुए। 12 सितंबर को मशहूर अल हरम मस्जिद की छत पर क्रेन गिरने से दो भारतीयों समेत 107 लोगों की मौत हो गई।...

    सऊदी अरब के विश्वप्रसिद्ध धार्मिक शहर मक्का में 15 दिनों के भीतर दो दर्दनाक हादसे हुए और कई बेकसूर लोग अकाल मौत के शिकार हुए। 12 सितंबर को मशहूर अल हरम मस्जिद की छत पर क्रेन गिरने से दो भारतीयों समेत 107 लोगों की मौत हो गई। उसके बाद गुरुवार 24 सितंबर को हज के दौरान मीना में शैतान को कंकड़ मारने की रस्म के दौरान मची भगदड़ में 7 सौ से अधिक लोगों की मौत हो गई, इसमें 29 भारतीय शामिल हैं। आठ सौ से अधिक लोग घायल हैं और हताहतों की संख्या बढऩे का अंदेशा बना हुआ है। ये दोनों ही दुर्घटनाएं प्राकृतिक आपदा नहींहै, बल्कि मानवीय चूकों का नतीजा है। अगर अधिक सतर्कता बरती जाती तो बकरीद पर कई घरों में मातम का माहौल नहींरहता। दुनिया की सबसे पुरानी मस्जिदों में से एक अल हरम में जिस समय हादसा हुआ उस वक्त मस्जिद में मगरिब की नमाज की तैयारी हो रही थी और हादसे की जगह हजारों श्रद्धालु थे।  2011 से ही मुख्य मस्जिद के विस्तार का काम चल रहा है। इसके लिए परिसर में कई बड़ी और भारीभरकम क्रेनें लगाई गई हैं। 12 सितंबर को तेज आंधी और हवा की वजह से एक क्रेन गिर गई, जो बड़ी दुर्घटना का कारण बनी। अगर सऊदी अरब सरकार और मस्जिद का प्रशासन देखने वालों ने सतर्कता बरती होती तो जिस जगह कार्य चल रहा है उस जगह श्रद्धालुअें को जाने से रोका जाता और क्रेन गिरने की स्थिति में भी अकारण मौतें नहींहोतीं। क्रेन गिरने के इस हादसे का दर्द अभी कम भी नहींहुआ था कि एक और बेहद दर्दनाक हादसा भगदड़ के रूप में सामने आया। मक्का में इससे पहले भी हज के दौरान भगदड़ की दुर्घटनाएं हुई हैं, जिनसे सबक लेकर हर साल और बेहतर इंतजाम होने चाहिए। किंतु 24 सितंबर को हुई दुर्घटना ने साबित कर दिया कि धार्मिक स्थल पर बढ़ती भीड़ को संभालने में अभी कई प्रशासनिक, व्यवस्थागत खामियां हैं, जिन्हें दूर किया जाना चाहिए। मक्का की इस दुर्घटना में ईरान के करीब 130 लोग मारे गए हैं। ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने पिछले 25 सालों में हुई इस सबसे बड़ी दुर्घटना को हृदय विदारक बताया और संयुक्त राष्ट्र से इसकी जांच कराने की मांग की। लेकिन सऊदी अरब के सबसे वरिष्ठ धार्मिक नेता ग्रैंड मुफ्ती शेख अब्दुल अज़ीज़ बिन-अब्दुल्ला अल-शेख ने कहा है कि मक्का में हज के दौरान हुई भगदड़ पर इंसान का वश नहीं था। इस हादसे को मानव नियंत्रण से बाहर बताते हुए उन्होंने अधिकारियों का बचाव किया। वहींईरान के एक धार्मिक नेता ने एक विवादित बयान दिया  सऊदी अरब तीर्थयात्रा का इंतजाम कर पाने में फेल साबित हुआ है। हज यात्रा के बंदोबस्त का जिम्मा इस्लामिक स्टेट (आईएस) को सौंप देना चाहिए। सऊदी अरब और ईरान के बीच क्षेत्रीय प्रभाव को बढ़ाने के लिए तनातनी चलती रहती है, किंतु इसका यह मतलब नहींकि गंभीर दुर्घटनाओं पर राजनीति की जाए, जैसा इस वक्त नजर आ रहा है। सऊदी अरब के किंग सलमान की ओर से हज यात्रियों की सुरक्षा की समीक्षा करने के आदेश दिए गए हैं, मुमकिन है उससे कोई तर्कसंगत समाधान भविष्य के लिए निकले। लेकिन इस समीक्षा में कई व्यावहारिक पहलुओं का ईमानदारी से विश्लेषण होगा, तभी वह सार्थक होगी। मसलन हज के लिए मुख्य जगह है मीना शहर, यह एक सीमित क्षेत्र है और धर्म के अनुसार जो लोग हज करने आते हैं उन्हें इसी क्षेत्र में रहना होता है। मुश्किल यह कि इस जगह में कोई विस्तार नहीं कर सकते, ऐसे में हज के लिए आने वाले मुसलमानों का कोटा निर्धारित करना एक व्यवहारिक पहल है लेकिन यह बड़ी राजनीतिक चुनौती भी है। इस बात को तय करना होगा कि यहां अधिकतम कितने लोग आ सकते हैं और उतने ही लोगों को आने की अनुमति दी जाए, लेकिन इसके लिए यहां की सरकार को दुनियाभर के लोगों को अपना पक्ष समझाना होगा। 2006 में जब भगदड़ हुई तो यह अहसास हुआ कि कंकड़ मारने वाली जगह बहुत छोटी है। इसलिए इस कॉम्पलेक्स को पांच मंजिल का बना दिया गया। उसमें बाहर निकलने और अंदर आने के कई रास्ते बनाने के साथ कई उम्दा इंतज़ाम किए गए। लेकिन एक बार फिर इसी जगह पर गंभीर दुर्घटना हुई जो यह बताती है कि अभी कुछ और गंभीर खामियां हैं, जिन्हें दूर करने पर ही हज यात्रा को अधिक सुविधाजनक और सुरक्षित बनाया जा सकेगा।

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