• सोयाबीन तबाह, कर्ज में डूबे किसान

    इंदौर ! कभी पग-पग रोटी, डग-डग नीर वाले मालवा और सफ़ेद सोना कहे जाने वाले कपास की पैदावार वाले निमाड़ के किसानों की माली हालत बहुत पतली हो चुकी है। किसान कर्ज में इतने डूबे हैं कि अब उनका हौंसला भी टूटने लगा है। वे आत्महत्या जैसे कदम उठा रहे हैं।...

    इंदौर !  कभी पग-पग रोटी, डग-डग नीर वाले मालवा और सफ़ेद सोना कहे जाने वाले कपास की पैदावार वाले निमाड़ के किसानों की माली हालत बहुत पतली हो चुकी है। किसान कर्ज में इतने डूबे हैं कि अब उनका हौंसला भी टूटने लगा है। वे आत्महत्या जैसे कदम उठा रहे हैं। देवास जिले के बरखेडी गाँव में एक किसान ने फांसी लगाकर ख़ुदकुशी कर ली वहीँ खंडवा जिले के दुल्हार में भी एक किसान ने कीटनाशक पीकर जान दे दी। इसी तरह इंदौर जिले के पीपल्दा और धार जिले के पिटगारा में भी दो किसानों की मौतें हो चुकी है। देवास शहर से करीब 25 किमी दूर विजयागंज सड़क पर एक छोटा सा गाँव है-बरखेडी। यहाँ अब भी मौत का सन्नाटा पसरा हुआ है। चौपाल पर बैठे बूढ़े हर आने-जाने वालों को सहमी सी नजरों से देखते हैं। पहले कभी इतने लोगों को उन्होंने कभी गाँव में आते-जाते नहीं देखा है। पर बीते पांच दिनों से यहाँ मीडिया और नेताओं का सतत आना-जाना चल रहा है। गाँव में थोडा आगे ही अनिल कुमावत का घर है। अनिल ने बीते मंगलवार को अपने ही घर के एक कमरे में फांसी लगाकर आत्म हत्या कर ली। उसके पिता बद्रीलाल फफकते हुए बताते हैं कि अब इस उम्र में जवान बेटे की मौत का बोझ कैसे उठाऊंगा। वे बताते हैं कि खेतीबाड़ी का काम 28 साल का अनिल ही संभालता था पर बीते कुछ दिनों से वह बढ़ते कर्ज से परेशान रहने लगा था। सोयाबीन की फसल पहले ही तबाह हो चुकी थी। उसे टमाटर पर उम्मीद थी पर वह भी खराब हो गई मंगलवार की दोपहर उसने अपने खेत से चौपट हो चुकी टमाटर के सूखे पौधों को उखाड़ कर फेंका और घर की ओर लौट आया जबकि बाकी लोग खेत पर ही काम कर रहे थे। अनिल के दो मासूम बच्चे हैं। 3 साल की मासूम बेटी हर आने वाले की आहट से यही समझती है कि उसके पिता लौट आये हैं पर उसे कौन समझाये कि अब उसके पिता फिर कभी नहीं लौटेंगे। 2 माह का बेटा माँ की गोद में सबको रोते देखता है तो वह भी रोने लगता है। उसे तो यह भी नहीं मालूम कि इतनी छोटी सी उम्र में उस पर कितनी बड़ी गाज गिरी है। पत्नी के सामने पहाड़ सी जिन्दगी डराती है। उसकी सिसिकियां तने का नाम ही नहीं ले रही है। गाँव के किसान भी यहाँ हैं। वे बताते हैं कि इलाके में फसलें खराब होने के बाद किसानों की बहुत बुरी हालत हो गई है। गाँव के ही 50-60 किसान हैं पर सबकी हालत एक सी ही है। सरपंच ताराचंद मालवीय बताते हैं कि बीते दो सालों में गाँव की करीब साढे छह सौ बीघा जमीन में किसी को कोई फायदा नहीं हुआ। जबकि कुछ सालों पहले तक यह इलाका खेती के लिए ख़ासी पहचान रखता था। सरकारी और निजी कर्जे किसानों पर बढ़ते जा रहे हैं। यहाँ के किसानों पर ही करीब पांच करोड़ का कर्जा है। खुद अनिल पर ही 6 लाख का कर्ज था। करीब 75 फीसदी किसान कर्जे से घिरे हैं और इधर की 85 से 90 फीसदी फसल चौपट हो चुकी है। अनिल की ख़ुदकुशी के बाद सियासत भी तेज हो गई है। भारतीय किसान संघ के जगदीश नागर बताते हैं कि किसानों के सामने अब यह बड़ा संकट है कि पिछली फसलें बर्बाद होने के बाद वे अब रबी फसलों के लिए खाद, बीज और बिजली का इंतजाम कहाँ से करें। उधर देवास विधानसभा उपचुनाव सामने होने से कांग्रेस और भाजपा भी इसे भुनाने में जुटे हैं। शनिवार को अचानक सांसद मनोहर ऊँटवाल भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ अनिल के घर पंहुचे और यहाँ उन्होंने शासन की ओर से एक लाख रूपये की सहायता निधि और बच्चों की पढाई में मदद का भरोसा भी दिया। इसके साथ ही पटवारी रेखा भी 5 दिन बाद शनिवार को ही अनिल के घर पंहुची और पंचनामा बनाया। भाजपा प्रदेशाध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान से पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं होना चाहिए। देरी क्यों हुई इस पर मैं कलेक्टर से बात करूँगा। किसान की मौत का हमें दु:ख है और जनप्रतिनिधि उनके घर जा चुके हैं। जिला कलेक्टर आशुतोष अवस्थी बताते हैं कि आत्महत्या मामले में तथ्यों की जानकारी के लिए एसडीएम से रिपोर्ट मांगी है।


     

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