• 7/11 के दोषियों की जमायत उलेमा उच्च न्यायालय में मदद करेगी

    मुंबई ! जमायत-ए-उलेमा (अरशद मदनी) राष्ट्रीय गैर मुनाफा वाली संस्था जिसने मुंबई में 11 जुलाई 2006 को श्रृंखलाबद्ध ट्रेन बम विस्फोट मामले में 13 आरोपियों को कानूनी मदद की थी अब 12 दोषियों को कानूनी सहायता दिलाने के लिए उच्च न्यायालय में जाने का निर्णय लिया है।...

    मुंबई !   जमायत-ए-उलेमा (अरशद मदनी) राष्ट्रीय गैर मुनाफा वाली संस्था जिसने मुंबई में 11 जुलाई 2006 को श्रृंखलाबद्ध ट्रेन बम विस्फोट मामले में 13 आरोपियों को कानूनी मदद की थी अब 12 दोषियों को कानूनी सहायता दिलाने के लिए उच्च न्यायालय में जाने का निर्णय लिया है। महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण कानून (मकोका) अदालत ने आज 12 दोषियों में पांच को फांसी और सात को उम्रकैद की सजा सुनायी है। विशेष मकोका अदालत में 13 आरोपियों के खिलाफ मुकदमा चल रहा था जिसमें से विशेष न्यायाधीश वाई डी शिंदे ने 11 सितंबर को 12 आरोपियों को दोषी ठहराया था जबकि एक आरोपी को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया था। विशेष न्यायाधीश ने 23 सितंबर को हुए जिरह में सरकारी वकील राजा ठाकरे ने 8 दोषियों के खिलाफ फांसी की सजा और चार के खिलाफ उम्रकैद की मांग की थी। दोनो पक्षों की बात सुनने के बाद श्री शिंदे ने आज पांच दोषियों को मृत्यु दंड और सात दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनायी। जमायत उलेमाये हिंद के अध्यक्ष मौलाना सैय्यद अरशद मदनी ने कहा कि संस्था के कानूनी विभाग के सचिव गुलजार आजमी ने कहा कि हम लोग मकोका अदालत के आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती देंगे। उन्होंने कहा कि हम अदालत के फैसले का सम्मान करते हैं लेकिन हम उच्च न्यायालय में चुनौती पेश करेंगे।  उन्होंने कहा कि सरकारी वकील ने यह सिद्ध नहीं कर पाये के विस्फोट के समय दोषी लोग वहां थे और एक दूसरे से मोबाइल फोन से संपर्क में थे। लेकिन हम लोगों ने मोबाइल फोन काॅल के जरिए सिद्ध किया था कि घटना के समय न तो ये लोग वहां थे और नहीं ही मोबाइल फोन के जरिए एक दूसरे के संपर्क में थे हालांकि अदालत ने उस समय इस बात पर ध्यान नहीं दिया। उन्होंने आतंकवादी से जुड़े मामलों में निर्दोष मुसलमान युवकों को कानूनी मदद दे रहे हैं और इसके पूर्व हम उनके परिवार वालों से मिलते हैं और दस्तावेज देखते हैं और जब लगता है कि निर्दोष हैं तब हम सिर्फ कानूनी मदद करते हैं। उन्होंने कहा कि वर्ष 2006 में हुए मालेगांव बम विस्फोट, औरंगाबाद आरडीएक्स तथा भारतीय मुजाहिदीन मामले को लिया है। उन्होंने कहा कि 26/11 आतंकवादी सुनवाई, 7/11 विस्फोट मामला, मालेगांव विस्फोट मामला (2006), औरंगाबाद शस्त्र मामला, मुलुंड बम विस्फोट मामला, गेटवे आॅफ इंडिया विस्फोट मामला, 13/7 मुंबई तिहरे बम विस्फोट, आर्थर रोड जेल मारपीट मामला, इंडियन मुजाहिदीन मामले (अहमदाबाद, मुंबई, दिल्ली) अक्षरधाम हमला मामला, कोलकाता अमेरिकन सेंटर हमला मामला, हरेन पंड्या हत्या मामले एवं अन्य मामलों में हम कानूनी मदद कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमारी यह संस्था 1919 से है और यह संस्था आजादी पाने के लिए अंग्रेजों के खिलाफ थी। हम 1947 से निर्दोष लोगों को बचाने के लिए कानूनी मदद करते रहते हैं।


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