• बिहार चुनाव से पूर्व दिल्ली में केजरी, ममता की बैठक

    नई दिल्ली | दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने गैर राजग राज्य सरकारों का एक संयुक्त मोर्चा घोषित करने के क्रम में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ एक मंच साझा किया। दोनों मुख्यमंत्रियों ने कहा कि उनकी बैठक संघीय ढांचे के क्रियान्वयन को गति देने की शुरुआत भर थी। केंद्र सरकार इस ढांचे को नुकसान पहुंचा रही है।...

    नई दिल्ली | दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने गैर राजग राज्य सरकारों का एक संयुक्त मोर्चा घोषित करने के क्रम में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ एक मंच साझा किया। दोनों मुख्यमंत्रियों ने कहा कि उनकी बैठक संघीय ढांचे के क्रियान्वयन को गति देने की शुरुआत भर थी। केंद्र सरकार इस ढांचे को नुकसान पहुंचा रही है। ममता ने यहां एक होटल में उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए दिल्ली में उपराज्यपाल और मुख्यमंत्री के बीच जारी तना-तनी के संदर्भ में कहा, "राज्य सरकार के आदेशों को अवैध घोषित करना अच्छा नहीं है.. दिल्ली में और अन्य राज्यों में जो हो रहा है वह सहकारी संघवाद नहीं है। यह एक खतरा है।" ममता ने अपनी सरकार के बारे में कहा कि पश्चिम बंगाल के राज्यपाल उन्हें सूचित किए बगैर निर्णय ले रहे हैं। उन्होंने कहा, "राज्यपाल ने पश्चिम बंगाल नगर निकाय चुनाव से पूर्व केंद्र सरकार से सुरक्षा बलों के लिए अनुरोध किया, और मुझे बताया तक नहीं गया। वह तो गृहमंत्रालय ने इसके बारे में मुझे सूचित किया। यह एक समानांतर सरकार चलाने का उदाहरण है, जो सहकारी संघवाद नहीं है।" ममता ने आईएएनएस से कहा, "आप इस बैठक से कुछ अच्छे परिणाम की उम्मीद कर सकते हैं। हम सभी बहुत जल्द फिर मिलेंगे।" केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली सरकार के 30 आदेशों को उपराज्यपाल नजीब जंग ने अवैध घोषित कर दिया। उन्होंने कहा, "दिल्ली सरकार के 30 सालों के इतिहास में यह पहला मौका है, जब उपराज्यपाल ने 30 आदेशों को रद्द कर दिया। राज्य के मामलों में केंद्र सरकार का हस्तक्षेप उचित नहीं है।" यह बैठक इस लिहाज से महत्वपूर्ण मानी जा रही है, क्योंकि बिहार चुनाव महज 15 दिन दूर है। केजरीवाल ने कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विधानसभा चुनाव में व्यस्त होने के कारण बैठक में हिस्सा नहीं ले पाए। त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक सरकार भी सहकारी संघवाद पर आयोजित चर्चा के हिस्सा थे, लेकिन सार्वजनिक संबोधन में उन्होंने हिस्सा नहीं लिया, जिसका नेतृत्व केजरीवाल और ममता ने किया। पुडुचेरी के मुख्यमंत्री एन. रंगास्वामी और मिजोरम के मुख्यमंत्री ललथनहावला भी बैठक में हिस्सा लेने वाले थे, लेकिन पूर्व व्यस्तताओं के कारण वे उपस्थित नहीं हो पाए। केजरीवाल ने हालांकि आईएएनएस से कहा, "बैठक की तिथि की घोषणा पहले ही कर देना गलती थी। हमने तिथि घोषित कर दी। यह एक गलती थी। हमें सभी मुख्यमंत्रियों से किसी उपयुक्त तिथि के लिए परामर्श करना चाहिए था। मिजोरम के मुख्यमंत्री किसी वित्तीय कार्य में व्यस्त थे, लेकिन पुडुचेरी के मुख्यमंत्री ने हमारे समर्थन में एक बहुत ही जोरदार पत्र लिखा है।" नीतीश कुमार और ललथनहावला ने भी समर्थन का पत्र भेजा है। केजरीवाल से पूछा गया कि क्या यह देश में कोई धर्मनिरपेक्ष विपक्ष का जुटाव तो नहीं है, उन्होंने कहा, "आप मुख्यमंत्रियों की इस बैठक से कुछ बड़े परिणाम की उम्मीद कर सकते हैं। बिहार चुनाव के बाद हम जल्द ही फिर मिलेंगे।" केजरीवाल ने कहा कि उन्होंने कांग्रेस सहित विभिन्न दलों के मुख्यमंत्रियों से बात की और उन्हें बैठक के लिए आमंत्रित किया था। उन्होंने कहा, "लेकिन वे विभिन्न कारणों से बैठक में उपस्थित नहीं हो पाए, जिसमें पूर्व व्यस्तता से लेकर राजनीतिक मजबूरी भी थी।" उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत को भी आमंत्रित किया गया था और वह संभवत: इस बैठक में हिस्सा लेने वाले थे। लेकिन सरकारी अधिकारियों ने कहा कि उन्होंने निमंत्रण का जवाब नहीं दिया है।


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