• स्कूली शिक्षा में सुधार के प्रयास

    स्कूली शिक्षा में गुणात्मक सुधार के लिए छत्तीसगढ़ सरकार निरंतर प्रयास कर रही है। पिछला शैक्षणिक वर्ष शिक्षा गुणवत्ता वर्ष के रुप में मनाया गया और अब पूर्व राष्ट्रपति डा. एपीजे अब्दुल कलाम के नाम पर शिक्षा गुणवत्ता अभियान चलाया जा रहा है।...

    स्कूली शिक्षा में गुणात्मक सुधार के लिए छत्तीसगढ़ सरकार निरंतर प्रयास कर रही है। पिछला शैक्षणिक वर्ष शिक्षा गुणवत्ता वर्ष के रुप में मनाया गया और अब पूर्व राष्ट्रपति डा. एपीजे अब्दुल कलाम के नाम पर शिक्षा गुणवत्ता अभियान चलाया जा रहा है। स्कूली शिक्षा भविष्य की बुनियाद है और सरकार चाहती है कि जिस तरह राज्य अपने विभिन्न कार्यक्रमों,ं योजनाओं के जरिए रोल मॉडल के रुप में उभरा है, इस मामले में भी आदर्श प्रस्तुत कर सके। इसके लिए सबसे पहले राज्य के 47 हजार से अधिक स्कूलों में बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध करानी होगी। पानी, बिजली और विद्यालय परिसर को स्वच्छ रखने के उपायों पर जोर देने के साथ शिक्षकों की नियमित उपस्थिति पर विशेष ध्यान देना होगा। पिछले कुछ वर्षों में इसमें सुधार भी आया है। दो साल पहले हाईस्कूल बोर्ड की परीक्षा में आधे बच्चों के फेल हो जाने पर मुख्यमंत्री ने चिंता जाहिर की थी। उन्होंने अधिकारियों से कहा था कि स्कूली शिक्षा के ये नतीजे बेहद निराशाजनक हैं और वे व्यवस्था में सुधार लाने के लिए जरुरी कदम उठाएं। मुख्यमंत्री के निर्देश पर गुणवत्ता वर्ष मनाने तथा स्कूलों में बच्चों का सतत् मूल्यांकन करने की व्यवस्था लागू की गई। अब सरकार व्यवस्था पर नजर रखने के लिए आधुनिक तकनीक का सहारा भी लेने जा रही है। हायर सेकेण्डरी के बच्चों की कैरियर काउंसिलिंग भी की जाएगी। इसके लिए आनलाइन टेस्ट होगा। इसी तरह शिक्षकों और बच्चों की उपस्थिति के लिए बायोमेट्रिक प्रणाली इस्तेमाल में लानेे का निर्णय लिया गया है। हालांकि फिलहाल ये सब प्रयोग के तौर पर होंगे, लेकिन आगे इसे पूरे राज्य में लागू किया जा सकता है। सर्व शिक्षा अभियान के तहत शिक्षा में सुधार के लिए अब तक कई प्रयोग किए गए। प्राइमरी स्कूल के बच्चों को खेल-खेल में शिक्षा तथा स्कूल का माहौल आकर्षक बनाने के लिए खेल सुविधाएं बढ़ाने की भी कोशिश की गई। अंग्रेजी सिखाने के लिए हर स्कूल को रेडियो दिए गए। इन सबकी अब चर्चा नहीं होती। क्योंकि आज भी प्राथमिकताएं बदल गई हैं। लोग शिक्षा के प्रति जागरुक हो चुके हैं और वे बच्चों को स्कूल भेजना चाहते हैं। अब यह समस्या नहीं है कि स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति कैसे बढ़ाई जाए। इसकी जगह शैक्षणिक गतिविधियां बढ़ाने की आवश्यकता है ताकि लोगों का विद्यालयों पर ध्यान जाए और वे उन बच्चों को भी नियमित विद्यालय भेजें जो किन्हीं कारणों से स्कूल नहीं जाते। सरकार जल्दी ही सभी स्कूलों को विद्युतीकृत करने की योजना पर भी काम करने जा रही है। इससे कई चीजें बदलेंगी। ग्राम सभाओं के जरिए स्कूलों का मूल्यांकन और ग्रेडिंग कराने का भी कार्यक्रम बनाया गया है। सरकार ने पहले ही जिले के वरिष्ठ अधिकारियों से कहा है कि वे स्कूलों में बच्चों की क्लास लें और यह जानने की कोशिश करें कि वहीं अध्यापन का स्तर क्या है। एक सामूहिक भागीदारी की व्यवस्था तय की जा रही है, जिससे शिक्षा व्यवस्था में सुधार आए और स्कूलों से निकलने वाले बच्चे प्रतिस्पर्धा में भी पीछे न रहें।

अपनी राय दें