नयी दिल्ली ! सूचना एवं प्रसारण मंत्री अरुण जेटली ने आज कहा कि न्यूज चैनलों और सोशल मीडिया की गलाकाट प्रतिस्पर्धा के इस दौर में पाठकों की गंभीर खबरों की भूख को शांत करने के लिए प्रिंट मीडिया के पास अपनी सशक्त वापसी दर्ज कराने का यह सही मौका है।
श्री जेटली ने पाक्षिक पत्रिका ‘ओपिनियन पोस्ट’ की शुरुआत के अवसर पर कहा कि खबरों के पीछे की खबर छापने के चक्कर में आज अंधी दौड़ चल रही है और इस दौड़ में कई पत्रकार अपनी कल्पनाओं के आधार पर कपोल कल्पित समाचार लिख रहे हैं। यह रुझान खतरनाक है क्योंकि इसमें प्रतिद्वंद्वियों को पछाड़ने के चक्कर में खबरें कल्पना के आधार पर गढ़ी जा रही हैं।
उन्होंने कहा कि न्यूज चैनल और सोशल मीडिया को हर घंटे सुर्खियां चाहिए और ऐसे में हर बार खबरों को नए ढंग से पेश करने की होड़ मच जाती है। इससे असली खबरें खो जाती हैं और उन्हें गलत ढंग से पेश किया जाता है।
सूचना एवं प्रसारण मंत्री ने कहा कि देश में गंभीर पत्रकारिता की बढ़ती मांग के कारण प्रिंट मीडिया की वापसी हो रही है। डिजिटल और प्रिंट फॉर्मेट दोनों के पाठकों की संख्या बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि माइंड और मार्केट स्पेस के बीच खाई बढ़ रही है लेकिन यह स्थिति लंबे समय तक नहीं रहेगी। अंग्रेजी अखबार एक तरह से माइंड स्पेस का प्रतिनिधित्व करते हैं जबकि हिंदी और अन्य क्षेत्रीय भाषाओं के अखबार और पत्रिकाएं मार्केट स्पेस के केंद्र में हैं। उन्होंने कहा कि गंभीर पत्रकारिता समय की मांग है।
न्यूज चैनलों पर टिप्पणी करते हुए श्री जेटली ने कहा कि कई बार टीवी पर होने वाली चर्चाओं को देखकर लगता है कि जैसे यही राष्ट्रीय सुर्खी है लेकिन वास्तविकता इसके विपरीत होती है। उन्होंने कहा कि टीवी पत्रकारों को लगता है जो कुछ टीवी पर अच्छा दिखता है वही खबर है और बाकी सब कूड़ा है। इस प्रवृत्ति को छोड़ना होगा क्योंकि लोग अब वास्तविक और तथ्यों पर आधारित खबर चाहते हैं।