• पुलिस ज्यादतियों पर लगे लगाम

    एक अजीब पुलिसिया कार्रवाई सामने आई है। एक महिला राज्य के पुलिस महानिदेशक को फोन पर शिकायत करती है कि उसे जांच के नाम पर परेशान किया जा रहा है। वह मैसेज भेजती है कि यदि उसकी शिकायत की सुनवाई नहीं हुई तो वह आत्महत्या कर लेगी।...

    एक अजीब पुलिसिया कार्रवाई सामने आई है। एक महिला राज्य के पुलिस महानिदेशक को फोन पर शिकायत करती है कि उसे जांच के नाम पर परेशान किया जा रहा है। वह मैसेज भेजती है कि यदि उसकी शिकायत की सुनवाई नहीं हुई तो वह आत्महत्या कर लेगी। महिला शिक्षाकर्मी है और अपनी समस्या डीजीपी तक पहुंचाने की उसने जैसी कोशिश की उसे देखते हुए उसकी दिमागी हालत पर शक करने का कोई कारण नहीं है। आत्महत्या कर लेने की धमकी देने के लिए उसे गिरफ्तार कर लिया जाता है, लेकिन उसकी शिकायत पर कोई त्वरित कार्रवाई नहीं की जाती। किसी मामले की जांच और कार्रवाई के संबंध में सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों का पालन करने की अपेक्षा पुलिस से की जाती है। अब कितने मामलों में ऐसा होता है, पुलिस महानिदेशक से अच्छा कौन जान सकता है। बहरहाल, इस महिला के मामले में उसकी यह शिकायत बेहद गंभीर है कि पुलिस उसे फोन करके परेशान कर रही थी। उसके खिलाफ थाने में मारपीट का कोई मामला पंजीबद्ध है और उसे पुलिस इसी सिलसिले में फोन कर रही थी। इसे एक प्रकार की पुलिसिया ज्यादती ही कही जाएगी। महिला आयोग को इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए। उसे देखना चाहिए कि क्या किसी मामले की जांच के लिए उसे बार-बार फोन करना उसके अधिकारों का हनन नहीं है। देखा जा रहा है कि प्रदेश में पुलिसिया ज्यादती के शिकायतें बढ़ती ही जा रही है। पुलिस क्या कर सकती है क्या नहीं, कानून का बंधन उसके लिए जैसे समाप्त हो गया है। इसकी वजह यह है कि पुलिस के खिलाफ शिकायतों को सुनने का तरीका इस महिला के मामले में अपनाए गए तरीके से अलग नहीं है। दरअसल, पुलिस कई मामलों में पहले डराती है और फिर दोहन की कोशिश करती है। उसकी इस कार्यप्रणाली से लोगों में पुलिस की छवि ऐसी बनती जा ही है, जिसमें वह क्रूर और डरावनी दिखाई देती है। वह बेबस और लाचार लोगों से भी इसी तरह पेश आ रही है। ये अपनी आवाज भी कहीं नहीं पहुंचा पाते। ऐसे अनेक मामले हैं, पर इन मामलों को उजागर करने वाला कोई प्रभावी तंत्र पुलिस महकमे में नहीं है। कहते हैं कि लोकल इंटेलिजेन्स इस तरह का काम करती है, मगर देखने वाली बात यह है कि उसकी रिपोर्ट पर कितनी कार्रवाइयां होती हैं। पुलिस के कामकाज में सुधार लाने के लिए उसकी कार्रवाइयों पर निगरानी का एक प्रभावी स्वतंत्र और गुप्त तंत्र विकसित करना आवश्यक है। न्यायपालिका में ऐसा तंत्र है जो शिकायतों की जांच कर कार्रवाई करता है, उसी प्रकार का एक तंत्र पुलिस महकमे के लिए भी होना चाहिए।

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