नयी दिल्ली ! उच्चतम न्यायालय ने उत्तर प्रदेश के बागपत जिले में दो दलित हनों के साथ कथित रूप से बलात्कार करने के खाप पंचायत के आदेश से जुड़े मामले में जिले के पुलिस अधीक्षक (एसपी) और जांच अधिकारी (आईओ) को आज तलब किया।
शीर्ष अदालत ने इस मामले में राज्य सरकार को आदेश दिया कि वह पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए उनके भाई को तुरंत रिहा करे। यह लड़का पिछले तीन महीनों से जेल में बंद है। साथ ही अदालत ने अगली सुनवाई में उसे पेश करने का भी निर्देश दिया है।
उन्होंने इस मामले से जुड़े सभी दस्तावेज भी पेश करने के आदेश दिए हैं। न्यायालय ने पीड़ित परिवार को पुलिस सुरक्षा मुहैया करने का भी आदेश दिया है।
इस मामले में पीड़ित दोनों बहनों ने अपनी याचिका में कहा है कि उसके भाई के दूसरी जाति की लड़की के साथ गांव छोड़कर भाग जाने के चलते ही बागपत के संकरौद गांव की पंचायत ने उनका बलात्कार किए जाने का फरमान सुनाया था।
गौरतलब है कि पूरा मामला अगस्त में सामने आया था, जब दोनों बहनों ने शीर्ष अदालत में याचिका देकर सुरक्षा की गुहार लगाई थी। उन्होंने अपनी शिकायत में कहा था कि खाप पंचायत ने उनके साथ बलात्कार करने और नंगा घुमाने का फरमान सुनाया है, क्योंकि उसका भाई एक ऊंची जाति की शादीशुदा महिला के साथ भाग गया था। इसके बाद न्यायालय ने दोनों को सुरक्षा मुहैया कराने की आदेश दिए थे।
हालांकि, इस मामले में पुलिस ने दोनों बहनों के आरोप को सिरे से खारिज कर दिया था और कहा था कि ऐसा कोई भी फरमान नहीं सुनाया गया। इस मामले में यह नया मोड़ तब आया जब दलित बहनों के भाई के साथ भागी महिला ने न्यायालय में कहा है कि वह खुद बलात्कार की पीड़िता है, जिसके बाद पुलिस ने बलात्कार समेत अपहरण का मामला दर्ज कराया।
दलित लड़के की महिला मित्र ने अपनी शिकायत में कहा कि वह उसे नौकरी दिलाने के बहाने दिल्ली लेकर गया था, जहां उसके साथ बलात्कार किया गया। इस पर परिवार वालों का कहना है कि लड़की झूठ बोल रही है, उसे यह बात तभी बतानी चाहिए थी, जब वह दिल्ली से मिली थी। उनका कहना है कि यह सब परिवार के दबाव में किया जा रहा है।