• देश में बर्बाद हो रहेे हैं 92 हजार करोड़ के कृषि उत्पाद

    नई दिल्ली ! खाद्य प्रसंस्करण और भंडारण सुविधाओं के अभाव में देश में प्रति वर्ष लगभग 92600 करोड़ रुपए के खाद्यान्न , फल, सब्जियां , दलहन, तिलहन, मसाले, पशु उत्पाद आदि नष्ट हो जाते हैं।...

    नई दिल्ली !   खाद्य प्रसंस्करण और भंडारण सुविधाओं के अभाव में देश में प्रति वर्ष लगभग 92600 करोड़ रुपए के खाद्यान्न , फल, सब्जियां , दलहन, तिलहन, मसाले, पशु उत्पाद आदि नष्ट हो जाते हैं। संसद की कृषि से सम्बन्धित एक समिति ने भी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि कृषि उत्पादों की निम्न स्तरीय प्रसंस्करण सुविधा नुकसान का प्रमुख कारण है। समिति को मिली जानकारी के मुताबिक देश में खाद्य उत्पादों का मात्र छह प्रतिशत ही प्रसंस्कृत किया जाता है।   भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने देश के चौदह कृषि जलवायु क्षेत्रों में पोस्ट हार्वेस्ट टेक्नोलाजी नेटवर्क पर अखिल भारतीय समन्वित शोध परियोजना के तहत किए गए अध्ययन में पाया है कि प्रति वर्ष 20698 करोड़ रुपए के अनाज, 16644 करोड़ रुपये के फल, 14842 करोड़ रुपए की सब्जियां, 18987 करोड़ रुपए के पशु उत्पाद , 9325 करोड़ रुपए के मसाले, 3877 करोड़ रुपए के दलहन और  8278 करोड़ रुपए का तिलहन बर्बाद हो जाता है। सेंट्रल इंस्टीच्यूट आफ पोस्ट हार्वेस्ट इंजीनियङ्क्षरग एंड टेक्नोलाजी (सीफेट) लुधियाना ने फौरी तौर पर चयनित 106 जिलों में 46 कृषि उत्पादों की खेती और फसल की कटाई के बाद हुए नुकसान को लेकर किए गए अध्ययन में कहा है कि राष्ट्रीय स्तर पर 3.9 से 6.0 प्रतिशत तक अनाज , 5.8 से 18.0 प्रतिशत तक फल और सब्जियां , 2.8 से 10.1 प्रतिशत तक तिलहन , 4.3 से 6.1 प्रतिशत तक दलहन , 6.9 प्रतिशत अंतरदेशीय मत्स्य , 2.9 प्रतिशत समुद्री मछलियां, 2.3 प्रतिशत मांस , 3.7 प्रतिशत पोल्ट्री उत्पाद  तथा 0.8 प्रतिशत दूध नष्ट हो जाता है।  खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय ने एक बार फिर से सीफेट को उन्हीं 106 जिलों में कृषि उत्पादों के नष्ट होने को लेकर अध्ययन करने को कहा है । इस बारे में रिपोर्ट का अभी इंतजार है। देश में फल सब्जियों के कुल उत्पादन का केवल 2.2 प्रतिशत ही प्रसंस्कृत हो पाता है ।  यही हाल समुद्री उत्पादों का है, जहां केवल आठ प्रतिशत  और पोल्ट्री उत्पादों में छह प्रतिशत ही प्रसंस्करण के दायरे में आता है । इनमें सबसे अधिक 20 प्रतिशत भैंस के मांस का प्रसंस्करण किया जाता है। दूसरी ओर अमेरिका , चीन , मलेशिया , फिलीपिन्स आदि देशों में 70 प्रतिशत से अधिक कृषि उत्पादों का प्रसंस्करण किया जाता है । कृषि और इससे जुड़े क्षेत्रों में व्यापक पैमाने पर नुक्सान से न केवल खाद्य पदार्थो की उपलब्धता कम होती है बल्कि छोटे और सीमांत किसानों को भी भारी आर्थिक क्षति होती है । समिति ने कहा है कि कृषि उत्पादों की क्षति को कम करने तथा किसानों के आय में वृद्धि के लिये देश के सभी हिस्सों में खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों को प्रोत्साहित करने के लिये ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है । समिति ने कहा है कि यदि इस उद्योग को भरपूर प्रोत्साहन मिले तो न केवल व्यापक पैमाने पर प्रसंस्करण किया जा सकेगा बल्कि खाद्य उत्पादों को खराब अैार बर्बाद होने से भी बचाया जा सकता है।  साथ ही इन उत्पादों को अलग अलग स्वरूपों में तैयार किया जा सकेगा जिससे फसल विविधिकरण को बढ़ावा मिल सकेगा और किसानों को बेहतर मूल्य मिलेगा। 


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