नई दिल्ली ! आधुनिक विज्ञान, चिकित्सा लेखन के क्षेत्र में अतुल्नीय योगदान देने के लिए भारत सरकार के विदेश मंत्रालय ने डॉ. के.के. अग्रवाल को विश्व हिंदी सम्मान प्रदान किया है। डॉ. अग्रवाल को यह सम्मान भोपाल में आयोजित 10वें विश्व हिंदी सम्मेलन के दौरान उनकी किताब 'एलोवेदा' के लिए दिया गया। सम्मान प्रदान करने वालों में केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज चौहान शामिल थे।
इस मौके पर केंद्रीय विज्ञान एवं प्रोद्यौगिकी और भूमि विज्ञान मंत्री डॉ. हर्षवर्धन, हरियाणा के मुख्यमंत्री मोहल लाल खट्टर, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह, गोआ की राज्यपाल मृदुला सिन्हा, पश्चिम बंगाल के राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी, विदेश राज्यमंत्री वी.के. सिंह, ईस्ट एमईए के सेक्रेटरी अनिल वधवा, मॉरीशस की सामाजिक सुरक्षा मंत्री लीला देवी और सांसद अनिल माहाव दवे व अलोक संजर मंच पर उपस्थित थे।
हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष एवं इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के ऑनरेरी सेक्रेटरी जनरल डॉ. के.के. अग्रवाल ने 'एलोवेदा' में वैदिक चिकित्सा की वैज्ञानिक ढंग से व्याख्या की है।
वह आईजेसीपी ग्रुप ऑफ मेडिकल कम्यूनिकेशनस के एमडी भी हैं, जिसके जरिए उन्होंने चिकित्सा विज्ञान के लेखन में अहम योगदान दिया है। डॉ. अग्रवाल समाज के पिछड़े वर्ग के लोगों का जीवन स्तर सुधारने के लिए भी अथक प्रयास कर रहे हैं। उनका मानना है कि बिना किसी लिंग, जाति और सामाजिक रुतबे के भेदभाव के सभी को उचित चिकित्सा सेवाएं प्राप्त करने का हक है।
डॉ. अग्रवाल को इससे पहले तीन राष्ट्रीय सम्मान पद्मश्री सम्मान, डॉ. बीसी रॉय राष्ट्रीय सम्मान और नेशनल साइंस कम्युनिकेशन अवार्ड प्राप्त हो चुके हैं। हैंड्स ओनली सीपीआर (जीवन रक्षक तकनीक) सबसे ज्यादा लोगों को सिखाने के लिए वह लिम्का बुक ऑफ वल्र्ड रिकार्डस में अपना नाम भी दर्ज करवा चुके हैं।
एलोवेदा ऐसी किताब है, जिसमें डॉ. अग्रवाल ने वैदिक ज्ञान को एलोपैथिक भाषा में लिखा है। यह हिंदी की किताब बताती है कि कैसे आधुनिक क्रिया-कलापों में वैदिक ज्ञान को प्रयोग किया जा सकता है। उदाहरण के लिए स्वरों के उच्चारण करने से इंटरल्यूकिन 2 पैदा होता है और अनुनासिक व्यंजनों के उच्चारण से ईईजी में डेल्टा गतिविधि होती है, यानी स्वरों और अनुनासिक व्यंजनों के मिश्रण से उत्पन होनी वाल ध्वनि से मानसिक और शारीरिक तनाव से मुक्ति मिलती है।
डॉ. अग्रवाल अद्वैत रामायण की व्याख्या भी आधुनिक विज्ञान की भाषा में तन, मन और आत्मा को जोड़ने के संकल्प के साथ करते हैं। वह अपनी किताब में परानुकंपी जीवनशैली और सांस प्रणाली अपने पर जोर देते हैं। कोई भी गतिविधि जो हमें अनुकंपी से परानुकंपी स्थिति में लाती है, वह इलाज करने में मदद कर सकती है।
इस साल विश्व हिंदी सम्मेलन के दौरान 40 सम्मान प्रदान किए गए हैं, जिनमें से 20 सम्मान अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त व्यक्तियों को और 20 सम्मान भारत की प्रमुख शख्सियतों को प्रदान किए गए हैं।