• 'हनुमान सेना' से मिली धमकियों पर बोले बशीर- मुझे लिखने से कोई नहीं रोक सकता

    बशीर ने कहा, "भारत के लेखक कठिन दौर से गुजर रहे हैं। तमिल लेखक पेरूमल मुरुगन को लेखन न करने के लिए बाध्य करने और कर्नाटक के लेखक एम.एम. कलबुर्गी को मार दिए जाने जैसी घटनाएं विचारों की स्वतंत्रता को दबाने की बढ़ती प्रवृत्ति दर्शाती हैं। " ...

    मुझे लिखने से कोई नहीं रोक सकता : एमएम बशीर

    भारत के लेखक कठिन दौर से गुजर रहे हैं।

    तमिल लेखक पेरूमल मुरुगन को लेखन न करने के लिए बाध्य करने और एम.एम. कलबुर्गी को मार दिए जाने जैसी घटनाएं विचारों की स्वतंत्रता को दबाने की बढ़ती प्रवृत्ति दर्शाती हैं

    नई दिल्ली। मलयालम के साहित्यिक आलोचक लेखक एम.एम.बशीर ने दबावों के कारण लेखन रोक देने की रपटों को ठुकराते हुए कहा है कि वे ऐसे किसी भी दबाव के आगे नहीं झुकेंगे।

    कई रपटों में कहा गया था कि हिंदू गुट 'हनुमान सेना' से मिली धमकियों के बाद रामायण पर उनके छह लेखों की श्रृंखला में से आखिरी को मातृभूमि द्वारा रोक दिया गया। दरअसल इंडियन एक्सप्रेस ने लिखा था कि मुसलमान होते हुए भी रामायण लिखने के लिए अज्ञात व्यक्तियों द्वारा फोन पर भर्त्सना करने के कारण बशीर को अपना आखिरी लेख रोकना पड़ा था।

    कालीकट से आईएएनएस को दिए एक टेलीफोन साक्षात्कार में बशीर ने कहा, "कई धमकियों के बावजूद मैंने लेखों की श्रृंखला पूरी की। मैं जब तक जीवित रहूंगा, तब तक लिखना जारी रखूंगा।"

    बशीर ने कहा, "मैंने अखबार के दफ्तर के बाहर, अखबार को हिंदू विरोधी करार देते और एक मुसलमान को रामायण लिखने देने के लिए अखबार का बहिष्कार करने की धमकी भरे पोस्टर देखे थे। "

    बशीर ने बताया कि मातृभूमि ने उन्हें कहा था कि वे धमकियों के चलते आखिरी लेख रोक रहे हैं, लेकिन मैंने इसे कभी नहीं रोका।

    बशीर ने कहा, "लेख छपने के बाद रामायण लिखने के लिए निंदा करते हुए मुझे कम से कम 250 कॉल आए। राम या रामायण की उन्हें कोई समझ नहीं थी, उन्हें केवल इस बात से मतलब था कि एक मुसलमान ने रामायण क्यों लिखी।"

    बशीर ने कहा कि कॉल करने वाले इस बात से क्रोधित थे कि लेख में राम का मानव के रूप में चित्रण किया गया था।


    बशीर ने स्पष्ट किया कि मैंने केवल वाल्मीकि रामायण को आधार बनाकर ही रामायण लिखा है। वाल्मीकि ने भी राम का मानव के रूप में चित्रण करते हुए उनके कर्मो की अलोचना की थी।

    बशीर ने कहा, "75 वर्ष की उम्र में केवल एक मुसलमान के तौर पर देखे जाने से मैं दुखी हूं क्योंकि मैंने कभी भी केवल एक मुसलमान के रूप में अपना जीवन नहीं जिया।"

    बशीर ने कहा कि भारत में रामायण के 700 से अधिक संस्करण हैं और कई लेखकों ने कहानी को अलग तरीके से लिखा है। यहां तक कि एक संस्करण में सीता को रावण की पुत्री बताया गया है। केरल में 25 से अधिक संस्करण हैं, जिसमें एक मुस्लिम संस्करण 'मप्पिलाह रामायणम' भी शामिल है।

    धर्म के नाम पर राज्य के बंटवारे से बशीर बेहद दुखी हैं। कालीकट विश्वविद्यालय में प्राध्यापक बशीर ने मलयालम काव्य पर 40 से अधिक लेख लिखे हैं।

    बशीर ने कहा, "भारत के लेखक कठिन दौर से गुजर रहे हैं। तमिल लेखक पेरूमल मुरुगन को लेखन न करने के लिए बाध्य करने और कर्नाटक के लेखक एम.एम. कलबुर्गी को मार दिए जाने जैसी घटनाएं विचारों की स्वतंत्रता को दबाने की बढ़ती प्रवृत्ति दर्शाती हैं। "

    बशीर ने कहा, "रामायण पर मेरी किताब शीघ्र ही आएगी। एक मुसलमान द्वारा रामायण लिखने का विरोध करने वालों के लिए यह एक करारा जवाब होगा। "

    प्रीथा नायर

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