• कालका-शिमला टॉय रेलगाड़ी बेपटरी, 2 ब्रिटिश पर्यटकों की मौत

    परवाणू (हिमाचल प्रदेश) ! हिमाचल प्रदेश में परवाणू कस्बे के पास शनिवार को कालका-शिमला टॉय रेलगाड़ी के दो डिब्बे पटरी से उतर गए। इस दुर्घटना में दो ब्रिटिश पर्यटकों की मौत हो गई, जबकि सात अन्य घायल हो गए। रेलगाड़ी में 37 विदेशी पर्यटकों का एक समूह सवार था। पुलिस महानिरीक्षक (रेलवे) जहूर जैदी ने आईएएनएस को टेलीफोन पर बताया कि मृतकों की पहचान दो महिलाओं के रूप में हुई है।...

    परवाणू (हिमाचल प्रदेश) !  हिमाचल प्रदेश में परवाणू कस्बे के पास शनिवार को कालका-शिमला टॉय रेलगाड़ी के दो डिब्बे पटरी से उतर गए। इस दुर्घटना में दो ब्रिटिश पर्यटकों की मौत हो गई, जबकि सात अन्य घायल हो गए। रेलगाड़ी में 37 विदेशी पर्यटकों का एक समूह सवार था। पुलिस महानिरीक्षक (रेलवे) जहूर जैदी ने आईएएनएस को टेलीफोन पर बताया कि मृतकों की पहचान दो महिलाओं के रूप में हुई है। इनमें से एक का नाम लॉरैन टोनर और दूसरे का नाम जोआन निकोलस है। दोनों की उम्र 60 वर्ष है।  घायलों को दुर्घटनास्थल से 30 किलोमीटर दूर चंडीगढ़ के पीजीआई अस्पताल में भर्ती कराया गया है। दुर्घटना में जीवित बचे एक व्यक्ति ने पुलिस को बताया कि एक मोड़ पर रेलगाड़ी की अत्यधिक गति दुर्घटना के लिए जिम्मेदार थी। नई दिल्ली में उत्तर रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी (सीआरपीआरओ) नीरज शर्मा ने संवाददाताओं को बताया कि रेलगाड़ी विदेशी पर्यटकों, खासतौर से ब्रिटिश पर्यटकों, के एक समूह के लिए बुक थी। शर्मा ने बताया कि दुर्घटना के समय 37 यात्री रेलगाड़ी में सवार थे। पुलिस ने कहा कि रेलगाड़ी अपराह्न् 12 बजकर 40 मिनट पर चार इंजनों के साथ हरियाणा के कालका स्टेशन से रवाना हुई थी। कालका से मात्र तीन किलोमीटर दूर टकसल में यह पटरी से उतर गई। विश्व धरोहर कालका-शिमला रेल मार्ग 96 किलोमीटर लंबा है। सदी पुराने इस नैरो गेज रेल मार्ग पर यातायात फिलहाल बंद कर दिया गया है और रविवार तक इस पर यातायात बहाल होने की संभावना है। इस रेल खंड पर चार्टर्ड रेलगाड़ियों की जिम्मेदारी भारतीय रेलवे के कैटरिंग एवं पर्यटन निगम संभालता है। यह भारतीय रेल की एक शाखा है। शर्मा ने आईएएनएस से कहा, "घटना के कारण का सही पता करना अभी बाकी है। पटरी या रेल डिब्बे में कोई समस्या हो सकती है। यह भी संभावना है कि पटरी पर अचानक कोई पशु या चट्टान गिरने के कारण रेल पटरी से उतर गई हो।" इस रेल मार्ग का निर्माण यूरोपीय लोगों को शिमला ले जाने और वापस लाने के लिए ब्रिटिश शासकों ने 1903 में कराया था। उस समय शिमला ब्रिटिश भारत की गर्मी के मौसम की राजधानी हुआ करती थी। इसे यूनेस्को ने 2008 में विश्व धरोहर स्थल के रूप में चुना है।

    इस रेलगाड़ी में शिमला के निवासी एक इतिहासकार, राजा भसीन भी यात्रा कर रहे थे। उन्होंने आईएएनएस को बताया कि विदेशियों का समूह ब्रिटेन से था। भसीन ने आईएएनएस से कहा, "यह दुर्घटना रेलगाड़ी के कालका स्टेशन से प्रस्थान करने के महज 10 मिनट बाद घटी।"


    कालका और शिमला के बीच प्रत्येक दिन आम तौर पर पांच रेलगाड़ियां चलती हैं। प्रत्येक टॉय रेलगाड़ी में लगभग सात डिब्बे होते हैं और इनमें लगभग 200 यात्री सवार हो सकते हैं।

    कालका-शिमला रेल मार्ग पर इसके पहले दिसंबर 2008 में रेलगाड़ी पटरी से उतरी थी। उस दुर्घटना में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी और तीन व्यक्ति घायल हो गए थे।

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