• वैश्विक आर्थिक हालात भारत के लिए अवसर : जेटली

    नई दिल्ली ! केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने मंगलवार को कहा कि चीन के घटनाक्रम का भारतीय अर्थव्यवस्था पर अधिक असर नहीं पड़ा है, बल्कि इसने भारत के लिए अवसर पैदा किया है, क्योंकि भारत विभिन्न कमोडिटी का शुद्ध आयातक देश है और तेल मूल्य निचले स्तर पर है। जेटली ने यहां चीन की अर्थव्यवस्था में सुस्ती और भारत के लिए पैदा हुए ...

    नई दिल्ली !   केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने मंगलवार को कहा कि चीन के घटनाक्रम का भारतीय अर्थव्यवस्था पर अधिक असर नहीं पड़ा है, बल्कि इसने भारत के लिए अवसर पैदा किया है, क्योंकि भारत विभिन्न कमोडिटी का शुद्ध आयातक देश है और तेल मूल्य निचले स्तर पर है। जेटली ने यहां चीन की अर्थव्यवस्था में सुस्ती और भारत के लिए पैदा हुए अवसरों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की काबिना मंत्रियों, कारोबारियों, अधिकारियों और अर्थशास्त्रियों के साथ हुई बैठक की जानकारी देते हुए संवाददाताओं से कहा, "भारतीय अर्थव्यवस्था चीन के मुद्रा अवमूल्यन तथा आर्थिक सुस्ती से कम प्रभावित हुई है। इसका एक कारण यह है कि हमारी बुनियाद अपेक्षाकृत मजबूत है।" जेटली ने कहा, "बैठक की परिचर्चा का मुख्य जोर इस बात पर था कि चूंकि भारत पर वैश्विक घटनाक्रमों का हल्का असर हुआ है, इसलिए घरेलू अर्थव्यवस्था को मजबूत करने पर ध्यान दिया जाना चाहिए, ताकि वैश्विक अर्थव्यवस्था का अधिकाधिक लाभ भारत उठा सके।" उन्होंने कहा, "तेल का शुद्ध आयातक होने के नाते इसकी कीमत में गिरावट एक अवसर है।" अगस्त में अंतर्राष्ट्रीय तेल मूल्य प्रति बैरल 40 डॉलर तक आ गया था। अभी यह 50 डॉलर प्रति बैरल से नीचे है। गत वर्ष इसकी कीमत प्रति बैरल 100 अरब डॉलर थी। तीन घंटे से अधिक लंबी चली बैठक में वैश्विक घटनाक्रमों जैसे अमेरिका में फेडरल रिजर्व द्वारा की जाने वाली दर वृद्धि, ईरान के साथ विश्व शक्तियों का समझौता, जिसने तेल मूल्य में गिरावट में भूमिका निभाई और चीन में विकास दर घटाने से भारत के लिए पैदा हो रहे अवसर पर चर्चा हुई। इन घटनाक्रमों से भारत को भी हल्का झटका लगा। भारतीय उद्योग परिसंघ के अध्यक्ष सुमित मजुमदार ने यहां बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा, "बैठक में आम राय यह रही कि उभरती अर्थव्यवस्थाओं की विकास दर धीमी है, लेकिन भारत सात फीसदी की दर से विकास कर रहा है और किस तरह से हम इस अवसर का लाभ उठा सकते हैं।" फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) की अध्यक्ष ज्योत्सना सूरी ने कहा, "प्रधानमंत्री ने कहा है कि यह हमारे लिए एक अवसर है और इसका लाभ उठाते हुए निवेश करना चाहिए। पूंजी की लागत काफी अधिक है। मुझे नहीं पता कि कितने लोग जोखिम उठाते हुए निवेश करेंगे। हममें से कई ने ब्याज दर का मुद्दा उठाया है।" बैठक में हिस्सा लेने वाले मंत्रियों में केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली, रेलमंत्री सुरेश प्रभु, केंद्रीय सड़क परिवहन और जहाजरानी मंत्री नितिन गडकरी, केंद्रीय वाणिज्य मंत्री निर्मला सीतारमण, केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेद्र प्रधान और केंद्रीय कोयला, बिजली तथा नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री पीयूष गोयल शामिल थे। प्रमुख उद्योगपतियों में मुख्य रूप से रिलायंस इंडस्ट्रीज के प्रमुख मुकेश अंबानी, आदित्य बिड़ला समूह के प्रमुख कुमार मंगलम बिड़ला, अडानी समूह के अध्यक्ष गौतम अडानी, टाटा समूह के अध्यक्ष साइरस मिस्त्री, विप्रो अध्यक्ष अजीम प्रेमजी, सन फार्मा अध्यक्ष दिलीप संघवी, आईटीसी के वाई.सी. देवेश्वर और आईएलएंडएफएस के अध्यक्ष रवि पार्थसारथी भी शामिल थे।


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