• डॉलर के मुकाबले रुपया दो साल के निचले स्‍तर

    नई दिल्ली । डॉलर के मुकाबले रुपया आज दो साल के निचले स्‍तर पर आ गया। एक डॉलर की कीमत 66.78 रुपए तक पहुंच गई। रुपए में आगे और गिरावट जारी रहती है तो इससे महंगाई बढ़ने का खतरा बढ़ जाएगा। डर है कि रुपए की कीमत 68 तक जा सकती है। अगर ऐसा हुआ तो बढ़ी कीमतों की वजह से पब्लिक की जेब कटनी तय है। इंडिया फॉरेक्स के सीईओ अभिषेक गोयनका कहते हैं कि चीन की करेंसी यूआन के डीवैल्युएशन के बाद अब अमेरिका में ब्याज दरें बढ़ सकती हैं। शुक्रवार को आए बेरोजगारी दर के आंकड़ों के बाद सितंबर में वहां ब्याज दरें बढ़ने की संभावनाएं बढ़ गई हैं। इसीलिए डॉलर इंडेक्स एक हफ्ते के ऊपरी स्तर 96 पार पहुंच गया है।...

    नई दिल्ली । डॉलर के मुकाबले रुपया आज दो साल के निचले स्‍तर पर आ गया। एक डॉलर की कीमत 66.78 रुपए तक पहुंच गई। रुपए में आगे और गिरावट जारी रहती है तो इससे महंगाई बढ़ने का खतरा बढ़ जाएगा। डर है कि रुपए की कीमत 68 तक जा सकती है। अगर ऐसा हुआ तो बढ़ी कीमतों की वजह से पब्लिक की जेब कटनी तय है। इंडिया फॉरेक्स के सीईओ अभिषेक गोयनका कहते हैं कि चीन की करेंसी यूआन के डीवैल्युएशन के बाद अब अमेरिका में ब्याज दरें बढ़ सकती हैं। शुक्रवार को आए बेरोजगारी दर के आंकड़ों के बाद सितंबर में वहां ब्याज दरें बढ़ने की संभावनाएं बढ़ गई हैं। इसीलिए डॉलर इंडेक्स एक हफ्ते के ऊपरी स्तर 96 पार पहुंच गया है।

    रुपए में गिरावट से विदेश से मंगवाने वाली चीजों पर सरकार का खर्च बढ़ जाएगा। यह बोझ ज्‍यादा बढ़ा तो इसका भार आम लोगों पर डाला जा सकता है। ऐसे में कार, एलईडी, मोबाइल, पेट्रोलियम प्रोडक्‍ट्स, गोल्‍ड सहित इम्‍पोर्ट की जाने वाली बाकी चीजों के दाम बढ़ सकते हैं। एक्‍सपोर्ट करने वाली कंपनियों को हालांकि इसका फायदा मिलता है। भारत अपनी जरूरत का करीब 80 फीसदी पेट्रोलियम प्रोडक्‍ट्स इम्पोर्ट करता है। रुपए में गिरावट से यह इम्पोर्ट बेहद महंगा हो जाएगा। इसकी वजह से तेल कंपनियां पेट्रोल-डीजल की घरेलू कीमतों में इजाफा कर सकती हैं। डीजल के दाम बढ़ने से माल की ढुलाई बढ़ जाएगी, जिसके चलते महंगाई में तेजी आ सकती है। भारत बड़े पैमाने पर खाद्य तेलों और दालों का भी इम्पोर्ट करता है।

    रुपए के कमजोर होने से घरेलू बाजार में खाद्य तेलों और दालों की कीमतें भी बढ़ सकती हैं। रुपए में गिरावट का फायदा आईटी, फार्मा, टेक्‍सटाइल, डायमंड, जेम्‍स और ज्‍वैलरी सेक्‍टर के एक्सपोर्टरों को मिलेगा। इसके अलावा देश से चाय, कॉफी, चावल, गेहूं, कपास, चीनी, मसालों का भी अच्‍छा-खासा एक्सपोर्ट होता है। यानी कृषि और इससे जुड़े प्रोडक्ट्स का एक्सपोर्ट करने वाली कंपनियों को भी रुपए में गिरावट का फायदा होगा। एचडीएफसी सिक्युरिटीज ने आशंका जताई है कि डॉलर के मुकाबले रुपए में गिरावट जारी रहने पर रुपया 1 से 2 महीने में 68 के स्तर के पार जा सकता है। ब्रोकिंग फर्म के मुताबिक, डॉलर के मुकाबले रुपए में बढ़त के रुख पर एक्सचेंज रेट को 65.41 और 65.05 पर सपोर्ट मिल सकता है। यानी एक्सचेंज रेट के इस स्तर से नीचे जाने की संभावना नहीं है। वहीं, गिरावट के दौरान एक्सचेंज रेट को 67.50 और 68.10 के स्तर पर रेजिस्टेंस मिलने की संभावना है। यानी डॉलर के मुकाबले रुपया अगर 67.50 का स्तर पार करता है तो एक्सचेंज रेट 68 का स्तर पार कर सकता है।


    जनवरी से अब तक भारतीय रुपया डॉलर के मुकाबले पांच फीसदी लुढ़क गया है। हालांकि, अन्य उभरते देशों की करेंसी के मुकाबले ये गिरावट काफी कम है। इंडोनेशिया, ब्राजील और मैक्सिको की करेंसी इस साल 15 फीसदी तक कमजोर हो चुकी है। अगस्त के महीने में डॉलर के मुकाबले रुपया 3.9 फीसदी गिरा है। वहीं, 10 अगस्त से 31 अगस्त के बीच डॉलर के मुकाबले रुपया 4.3 फीसदी गिरा है। इस दौरान चीन ने अपनी मुद्रा डिवैल्यूएट करनी शुरू की। 24 अगस्त को भारतीय बाजारों में रिकॉर्ड गिरावट के साथ रुपए ने भी अगस्त का अपना निचला स्तर देखा। 24 अगस्त को डॉलर के मुकाबले रुपया 67 के स्तर से पार होकर बंद हुआ था।

    देश का विदेशी मुद्रा भंडार दो सप्ताह की बढ़त खोता हुआ 28 अगस्त को समाप्त सप्ताह के दौरान 3.43 अरब डॉलर घटकर 351.92 अरब डॉलर रह गया। इससे पहले 21 अगस्त को समाप्त सप्ताह के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार 354.43 अरब डॉलर रहा था। रिजर्व बैंक द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, इस सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार के सबसे बड़े घटक विदेशी मुद्रा परिसंपत्ति में 3.42 अरब डॉलर की गिरावट दर्ज की गई और यह 328.31 अरब डॉलर पर रहा। 21 अगस्त को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा परिसंपत्ति 331.73 अरब डॉलर रही थी। इस दौरान सोने का भंडार 18.25 अरब डॉलर पर स्थिर रहा। विशेष आहरण अधिकार 71 लाख डॉलर तथा अंतररष्ट्रीय मुद्रा कोष के पास सुरक्षित निधि 23 लाख डॉलर घटकर क्रमश: 4.07 अरब डॉलर तथा 1.3 अरब डॉलर पर रही।

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