• मुशर्रफ ने परदे के पीछे कश्मीर के लिए कामकाजी ढांचा तैयार कर लिया था

    इस्लामाबाद ! पाकिस्तान के एक पूर्व विदेश मंत्री खुर्शीद महमूद कसूरी ने कहा है कि कश्मीर के बारे में पाकिस्तान ,भारत तथा कश्मीरियों के एक दूसरे से मेल नहीं खाने वाले रुख के बावजूद मुशर्रफ सरकार ने परदे के पीछे चलने वाली बातचीत के माध्यम से ऐसा कामकाजी ढांचा तैयार कर लिया था, जो सभी पक्षों को स्वीकार था ।...

    इस्लामाबाद !   पाकिस्तान के एक पूर्व विदेश मंत्री खुर्शीद महमूद कसूरी ने कहा है कि कश्मीर के बारे में पाकिस्तान ,भारत तथा कश्मीरियों के एक दूसरे से मेल नहीं खाने वाले रुख के बावजूद मुशर्रफ सरकार ने परदे के पीछे चलने वाली बातचीत के माध्यम से ऐसा कामकाजी ढांचा तैयार कर लिया था, जो सभी पक्षों को स्वीकार था । श्री कसूरी ने कहा कि कश्मीर विवाद को लेकर भारत तथा पाकिस्तान 10 युद्ध या युद्ध जैसी स्थिति का सामना कर चुके थे किन्तु समझौते का जो नया फाॅर्मूला तैयार किया गया था, उसमें जर्मनी तथा फ्रांस के बीच हुई आयलिसी संधि जैसी शांति , सुरक्षा तथा मैत्री संधि की व्यवस्था थी । कश्मीर संबंधी समझौते के मसविदे में विसैन्यीकरण आतंकवादियों को मुख्यधारा में लाने, जम्मू कश्मीर में स्वशासन, साझी व्यवस्था विकास तथा जल स्रोतों के बारे में साझी नीति निगरानी तथा समीक्षा प्रक्रिया, नियंत्रण रेखा को केवल मानचित्र की रेखा के रुप में बदलने और शांति समझौते पर हस्ताक्षर की व्यवस्था थी । उन्होंने कहा कि हमने तीन वर्ष की परदे के पीछे चली बातचीत के बाद फाॅर्मूला तैयार किया था । श्री कसूरी ने ये बातें अपनी पुस्तक में लिखी है, जिसका प्रकाशनोद्घाटन मंगलवार आठ सितंबर को हो रहा है । इस समारोह के मुख्य वक्ता राजनयिक तथा राजनीतिज्ञ मणिशंकर अय्यर होंगे । उन्होंने कहा कि पाकिस्तान कश्मीर के बारे में यथास्थिति स्वीकार नहीं कर सकता, कश्मीरी रियासत का विभाजन नही चाहते । भारत कश्मीर की भौगोलिक स्थिति बदलना नहीं चाहता । यह बड़ी चुनौती थी, जिसका हल निकालने में तीन वर्ष लग गये । श्री कसूरी ने कहा कि उनके समय में जो फार्मूला निकाला गया, वह दूसरे फार्मूले से बेहतर था ।


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