रघुराम राजन पर मुकदमा चलाया जाना चाहिए
मनमाने फैसले के पीछे एक बड़े घोटाले की बू आती है
चेन्नई ! भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा भुगतान बैंक स्थापित करने के लिए मनमाना तरीके से 11 आवेदकों को सैद्धांतिक मंजूरी दी गई है और इसके लिए गवर्नर रघुराम राजन पर मुकदमा चलाया जाना चाहिए। यह बात भारतीय जनता पार्टी के नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी ने कही। स्वामी ने शनिवार को जारी एक बयान में कहा, "आरबीआई ने हाल ही में 11 आवेदकों को सैद्धांतिक मंजूरी देने की घोषणा की है। इस मनमाने फैसले के पीछे एक बड़े घोटाले की बू आती है और इसके लिए गवर्नर रघुराम राजन पर मुकदमा चलाया जाना चाहिए।"
उन्होंने कहा कि 11 नाम तय करने में स्थापित नियमों का पालन नहीं किया गया है।
स्वामी ने कहा, "यह स्पष्ट नहीं है कि आरबीआई ने 11 की संख्या कैसे तय की और बाकी को मंजूरी क्यों नहीं दी गई।"
स्वामी ने सवाल उठाया है कि आरबीआई ने इन मंजूरियों में बैंकिंग नियमन अधिनियम-1949 का उपयोग क्यों किया, जबकि भुगतान प्रणाली को तय करने के लिए एक अलग कानून 'भुगतान और निपटारा प्रणाली अधिनियम-2007' बना हुआ है।
उन्होंने कहा, "भुगतान बैंक दिशानिर्देश के चौथे अनुच्छेद में इन संस्थानों को ऋण देने की अनुमति नहीं दी गई है, इसलिए यह स्पष्ट नहीं है कि आरबीआई ने उन्हें बैंक की श्रेणी में क्यों रखा है।"
स्वामी के मुताबिक, आरबीआई की समिति द्वारा इनके चयन के लिए अपनाई गई शर्ते अस्पष्ट हैं।
उन्होंने कहा, "यह स्पष्ट नहीं है कि समिति ने इन शर्तो पर मूल्यांकन कैसे किया। क्या प्रत्येक शर्त के लिए अंक दिए गए? क्या कोई कट-ऑफ सीमा थी। अंक या तुलनात्मक रैंकिंग करने का आधार क्या था? 41 आवेदकों में से नवाचार का मूल्यांकन कैसे किया गया?"
उन्होंने कहा कि रद्द किए गए आवेदकों के लिए समीक्षा या अपील का प्रावधान नहीं रखा गया है। यह भी कानून का उल्लंघन है।
उन्होंने कहा, "11 भुगतान बैंकों के बदले यदि 30 होता तो भी कोई समस्या नहीं होती। इससे अधिक प्रतियोगिता होती और उपभोक्ताओं का खर्च कम हो जाता।"