• मानसून और सरकार के बीच बेबस 'अन्नदाता'

    प्रदेश के अन्नदाता दोहरी मार झेल रहे हैं। मानसून की बेरुखी और सरकार की उदासीनता ने उनको पस्त कर दिया है। अल्पवर्षा के कारण धान की रोपाई और बियासी का काम रुका है। ...

    प्रदेश के अन्नदाता दोहरी मार झेल रहे हैं। मानसून की बेरुखी और सरकार की उदासीनता ने उनको पस्त कर दिया है। अल्पवर्षा के कारण धान की रोपाई और बियासी का काम रुका है। किसान फसल की सिंचाई के लिए सरकार से पानी मांग रहा है, मिन्नतें कर रहा है। लेकिन सारी मिन्नतें बेअसर हैं। यह तब हो रहा है जब कैबिनेट की बैठक में मुख्यमंत्री ने अल्पवर्षा से सूख रही फसल को बचाने के लिए किसानों को पानी देने के निर्देश दिए हैं। यही नहीं गत दिनों गंगरेल बांध से पानी छोड़े जाने की मांग करते समय बेबस किसानों पर लाठियां बरसाई गईं। सवाल यह है कि जिन किसानों की मेहनत पर छत्तीसगढ़ देश भर में धान का कटोरा कहा जाता है, उसकी आवाज क्या सरकारी अमले तक नहीं पहुंच पा रही है या वह जानबूझकर इनकी अनदेखी कर रहा है। हैरत यह कि प्रतिवर्ष सूखे से निपटने के लिए कार्ययोजनाएं बनाई जाती हैं। लेकिन जब अमल की बारी आती हैं तो नतीजा सिफर होता है। कई बांधों में पर्याप्त पानी होने के बावजूद उसे सिंचाई के लिए उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है। मसलन कांकेर में दुधवा बांध (रविशंकर जलाशय) से किसानों को पानी नहीं मिल रहा है। मोंगरा बैराज से केवल 30 गांवों को पानी दिया जा रहा है जबकि इसका निर्माण यहां के 25000 एकड़ से अधिक खेती की भूमि की सिंचाई के लिए किया गया था। सरकारी अमला बांध में जलभराव न होने की बात कह किसान को टरका रहा है। कहना न होगा कि यहां के किसानों की अर्थव्यवस्था धान पर निर्भर है। यहां प्रतिवर्ष चावल का उत्पादन 61 लाख मीट्रिक टन से अधिक का है । सर्वाधिक चावल उत्पादन के लिए प्रदेश को राष्ट्रीय कृषि कर्मण पुरस्कार भी मिल चुका है। ऐसे में यदि पर्याप्त सिंचाई न हुई तो धान की फसल चौपट और किसान तबाह हो जाएगा। धान उत्पादन में कमी का असर प्रदेश के विद्युत क्षमता पर भी पड़ेगा। यहां धान की भूसी से करीब 220 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जाता है। दरअसल, फसल उत्पादन के लिए किसान आज भी वर्षा पर निर्भर है । लिहाजा सरकार को ऐसी मुकम्मल योजना बनाने और उसके प्रभावी क्रियान्वयन पर ध्यान देना होगा ताकि अल्पवर्षा के दौरान फसलों का उत्पादन प्रभावित न हो, क्योंकि किसान की समृद्धि ही विकास की असल कुंजी है।

अपनी राय दें